Vaikuntha Ekadashi 2025:आज इस लेख में हम बात करेंगे दक्षिण भारत में परम आस्था के साथ मनाई जाने वाली वैकुण्ठ एकादशी के बारे में। यह एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित है, और दक्षिण भारत में इसे मुक्कोटी एकादशी के नाम से जाना जाता है।
चलिए अब जानते हैं इस वर्ष वैकुण्ठ एकादशी Vaikuntha Ekadashi 2025 कब मनाई जाएगी-
**वैकुण्ठ एकादशी 10 जनवरी 2025, शुक्रवार के दिन मनाई जाएगी। **
• इसका पारण (व्रत तोड़ने का) समय 11 जनवरी को 06:45 ए एम से 08:21 ए एम तक रहेगा।
• पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय 08:21 ए एम
• एकादशी तिथि प्रारम्भ 09 जनवरी 2025 को 12:22 पी एम बजे से
• एकादशी तिथि समाप्त 10 जनवरी 2025 को 10:19 ए एम बजे तक
तमिल कैलेंडर के अनुसार धनुर्मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी को वैकुण्ठ एकादशी मनाई जाती है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार यह पौष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि होती है।
भारत के एक और दक्षिणी राज्य केरल में भी इस एकादशी तिथि को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है, और मलयालम कैलेंडर के अनुसार इसे ‘स्वर्ग वथिल एकादशी’ के नाम से जाना जाता है।
हमारे देश में किसी भी हिस्से में एकादशी पर किये गए व्रत के पारण को बहुत महत्वपूर्ण बताया गया है। और एकादशी व्रत का पारण अगले दिन द्वादशी तिथि पर हरिवासर की अवधि समाप्त होने के बाद ही किया जाता है।
Vaikuntha Ekadashi 2025:चलिए इस अब विशेष दिन पर होने वाले विशेष अनुष्ठानों के बारे में भी जानते हैं-
• तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश और केरल में मुख्य रूप से मनाई जाने वाली इस एकादशी पर भगवान विष्णु के भक्त उनके लिए उपवास रखते है, रात्रि में जागरण करते है और मंदिरों में बनाएं गए वैकुंठ द्वारम से गुजरते हैं। इन सभी कार्यों को बहुत शुभ माना जाता है।
• वैकुंठ एकादशी के शुभ अवसर पर दक्षिण भारत के प्रसिद्ध तिरुपति बालाजी मंदिर, श्रीरंगम रंगनाथस्वामी मंदिर और भद्राचलम सीता रामचंद्र स्वामी मंदिर में बहुत से धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन किये जाते हैं।
• वैकुंठ एकादशी और इसके अगले दिन द्वादशी पर भक्त अपने निकटतम स्थित विष्णु जी के मंदिरों के पास बने तालाबों और नदियों में डुबकी लगाकर पवित्र स्नान करते हैं। भक्त इस दिन किए गए स्नान को ब्रह्मांड की सभी पवित्र नदियों में स्नान करने के बराबर मानते हैं।
• तो दोस्तों इस तरह वैकुंठ एकादशी, या मुक्कोटी एकादशी के नाम से प्रचलित यह पर्व उपवास, प्रार्थना, ध्यान और तपस्या का पर्व है।
हम आशा करते हैं कि आपको यह जानकारी अवश्य पसंद आएगी। हम इस उम्मीद के साथ विदा लेते हैं की आपका व्रत सफल हो और भगवान विष्णु अपने आशीर्वाद से आपको सराबोर रखें।