Saraswati Puja 2024:नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। जिसमें मां सरस्वती का भी एक स्थान है। इस दौरान पंचमी तिथि के दिन माता सरस्वती की पूजा के लिए अलग किया गया है। इसलिए सनातन धर्म में मां सरस्वती को ज्ञान की देवी कहा गया है। माता सरस्वती की दिव्या कृपा पाने के लिए भक्त इस दिन मां की पूजा करके देवी को प्रसन्न करते हैं। हिंदू कैलेंडर के अनुसार सरस्वती पूजा आश्विन महीने की शुक्ल पक्ष तिथी के 9वें दिन की जाती है।
Saraswati Puja 2024: सरस्वती पूजा कब है?
• सरस्वती पूजा- 10 अक्टूबर, बृहस्पतिवार को की जाएगी।
• पूर्वाषाढा पूजा मुहूर्त- 11:22 AM से 05:28 PM तक रहेगा।
• पूर्वाषाढा नक्षत्र प्रारम्भ- 10 अक्टूबर, को 05:15 AM पर होगा।
• पूर्वाषाढा नक्षत्र समाप्त- 11 अक्टूबर, को 05:41 AM पर होगा।
Saraswati Puja 2024: क्या है सरस्वती पूजा महत्व
• धार्मिक ग्रंथों के अनुसार सृष्टि के निर्माण के समय सबसे पहले महालक्ष्मी देवी प्रकट हुई थी।
• उन्होंने सबसे पहले त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महादेव को जन्म दिया और तीनों भगवान को अपने-अपने गुण अनुसार देवियों को प्रकट करने का
अनुरोध किया।
• भगवान शिव ने तमोगुण से महाकाली को, भगवान विष्णु ने रजोगुण से मां लक्ष्मी को और भगवान ब्रह्मा ने सत्वगुण से मां सरस्वती को प्रकट किया था।
• मां सरस्वती को ज्ञान, विद्या, संगीत, वाणी, दिव्या और शांति की देवी कहा जाता है। वो हंस या मोड़ पर सवारी करती है और उन्हें मां शारदा श्वेत भी कहते है।
• सरस्वती पूजा दक्षिण भारतीय राज्य जैसी तमिलनाडु और केरल में शरद नवरात्रि के दौरान आम है। नवरात्रि में सरस्वती पूजा तीन दिन, दो दिन और एक दिन की जाती है।
• पंचांग नक्षत्र के अनुसार सरस्वती पूजा चार दिन तक की जाती है। पूजा के चारो दिन सरस्वती आवाहन, सरस्वती पूजा, सरस्वती बलिदान, और सरस्वती विसर्जन किया जाता है।
• शारदीय नवरात्रि हिंदू कैलेंडर के आश्विन महीने में सरस्वती पूजा की जाती है।
Saraswati Puja 2024: देवी सरस्वती की कथा
शिव महापुराण के अनुसार देवी सरस्वती के उपस्थिति से जुड़ी है, एक कथा बहुत प्रचालित है। प्राचीन किंवदंतियों और हिंदू शास्त्रों के अनुसार, राक्षसों और देवताओं में अमृत पाने के लिए समुद्र मंथन करने का फैसला किया था। ऐसा माना जाता है, की यह देवी सरस्वती थी, जिन्होंने हिमालय में अमृत पाया और इसे दिव्य प्राणियों को दिया था।
Saraswati Puja 2024:सरस्वती पूजा की विधि एवं तैयारी
• घर को साफ सुथरा करें और पूजा स्थल को सजाएं।
• दरवाजे पर आम या अशोक के पत्ते का तोरण लगाए।
• मां सरस्वती की मूर्ति या छवि को सजाने के लिए एक विशेष स्थान तैयार करें।
• पूजा में उपयोग होने वाले सामग्री को तैयार करें- जैसे कि फूल, फल, दीप, कपूर, सुगंध, धूप को एक स्थान पर रख लें। • सरस्वती पूजा का समय सुबह के सूर्योदय के पहले होता है, या फिर इसको शुभ मुहूर्त में करना फल दायक होता है।
• पूजा की शुरुआत गणपति पूजा से करें। मां सरस्वती को पुष्प, धूप, दीप, आदि से पूजन करें।
वर्णानामर्थसंघानां रसानां छन्दसामपि।
मंगलानां च कर्तारी वन्दे वाणी विनायकौ।।
• धूप-अर्पण के बाद मंत्र जाप करते हुए माता सरस्वती को दीप अर्पित करें और आरती करें।
• आरती के बाद तैयार किया गया प्रसाद महादेवी को भेंट करें और भक्तों में वितरित करें।
• विद्यार्थियों की किताबें और उनकी शिक्षाएं उपकरणों की पूजा करें। सरस्वती पूजा का आयोजन भक्ति और श्रद्धा के साथ करना चाहिए।
जिससे भक्तों को विद्या, ज्ञान और कला में समृद्धि मिल सकें।
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