Mahesh Navami 2024: “2024 में महेश नवमी कब है?” महेश नवमी की संपूर्ण जानकारी

Mahesh Navami 2024: प्रति वर्ष ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली नवमी तिथि को ‘महेश नवमी’ का पर्व मनाया जाता है। ये उत्सव विशेष रूप से माहेश्वरी समाज के लोग मनाते हैं। यह दिन ‘महेश’ अर्थात् भगवान शंकर एवं माता गौरी को समर्पित होता है।

Mahesh Navami 2024

इस लेख में हम ये जानेंगे !

• 2024 में महेश नवमी कब है?

• महेश नवमी क्यों मनाई जाती है?

• माहेश्वरी समाज की उत्त्पत्ति कैसे हुई?

• महेश नवमी का धार्मिक महत्व

• महेश नवमी पर्व से मिलने वाली प्रेरणा

• बोध चिन्ह व प्रतीक

2024 में महेश नवमी Mahesh Navami 2024

साल 2024 में महेश नवमी 15 जून 2024, शनिवार को मनाई जाएगी।

नवमी तिथि प्रारम्भ -15 जून 2024, शनिवार को 12:03 AM पर

नवमी तिथि समाप्त 16 जून 2024, रविवार को 02:32 AM पर

Mahesh Navami 2024: महेश नवमी क्यों मनाई जाती

ऐसी मान्यता है कि ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष के नवें दिन भगवान शंकर के वरदान स्वरूप माहेश्वरी समाज की उत्पत्ति हुई थी। महेश नवमी का पर्व माहेश्वरी धर्म को मानने वाले प्रत्येक व्यक्ति के लिए एक प्रमुख अवसर है। माहेश्वरी समाज के लोग इस पावन पर्व को अत्यंत आस्था व हर्षउल्लास के साथ मनाते हैं।

Mahesh Navami 2024: माहेश्वरी समाज की उत्त्पत्ति

धर्मग्रंथों में वर्णन मिलता है कि माहेश्वरी समाज के पूर्वज पूर्व में क्षत्रिय वंश के थे। एक बार शिकार करते समय उन्हें कुछ ऋषियों ने श्राप दे दिया। जिसके पश्चात् इस श्राप से मुक्ति पाने के लिए क्षत्रियों ने भगवान शिव की उपासना की। इसके फलस्वरूप शंकर जी ने अपनी कृपा से उन्हें श्राप से मुक्त कर दिया। यही कारण है कि यह समुदाय ‘माहेश्वरी’ नाम से जाना जाने लगा।

जिसमें ‘महेश’ का अर्थ है शंकर और वारि का अर्थ है समुदाय या वंश। शिव जी की आज्ञा होने के कारण इस समाज के पूर्वजों ने क्षत्रिय कर्म छोड़कर वैश्य या व्यापारिक कार्य को अपनाया, इसलिए आज भी माहेश्वरी समाज के लोग वैश्य या व्यापारिक समुदाय के रूप में जाने जाते हैं।

Mahesh Navami 2024: महेश नवमी का धार्मिक महत्व

माहेश्वरी समाज के लिए महेश नवमी का दिन अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। इस उत्सव की मनाने की तैयारी लगभग तीन दिन पहले से ही आरंभ हो जाती है, जिनमें कई प्रकार के धार्मिक व सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।

इसके अलावा इस दिन लोग ‘जय महेश’ के जयकारे लगाते हैं। महेश नवमी के अवसर पर भगवान भोलेनाथ एवं माता पार्वती की विशेष रूप से पूजा अर्चना होती है।

Mahesh Navami 2024: महेश नवमी पर्व से मिलने वाली प्रेरणा

माहेश्वरी समाज को श्राप से मुक्त करते समय भगवान शिव ने क्षत्रिय राजपूतों को शिकार करने की प्रवृत्ति का त्याग कर व्यापार या वैश्य कर्म अपनाने की आज्ञा दी। इसके पीछे कारण था उन्हें हिंसा के मार्ग से हटा कर अहिंसा के रास्ते पर चलाना। इस प्रकार महेश नवमी के इस पर्व से हमें प्रेरणा मिलती है कि मनुष्य को हर प्रकार की हिंसा का त्याग कर जगत् कल्याण, परोपकार के कर्म करने चाहिए।

Mahesh Navami 2024: बोध चिन्ह व प्रतीक

‘महेश’ स्वरूप में भगवान ‘शिव’ पृथ्वी से ऊपर कमल पुष्म पर बेलपत्ती, त्रिपुंडू, त्रिशूल, डमरू के साथ लिंग रूप में विराजमान होते हैं। भगवान शिव के इस बोध चिह्न के प्रत्येक प्रतीकों के अलग अलग महत्व हैं।

Mahesh Navami 2024

पृथ्वी

पृथ्वी गोल परिधि में है, परंतु भगवान महेश ऊपर हैं, अर्थात पृथ्वी की परिधि भी जिन्हें नहीं बाँध सकती, वह एक लिंग भगवान महेश संपूर्ण ब्रह्मांड में व्याप्त हैं।

त्रिपुंड

इसमें तीन आड़ी रेखाएँ हैं, जो कि संपूर्ण ब्रह्मांड को समाए हुए हैं। एक खड़ी रेखा जो भगवान शिव का तीसरा नेत्र मानी जाती है, जो केवल दुष्टों के विनाश हेतु खुलता है। यह त्रिपुंड भस्म से ही लगाया जाता है। ये महादेव के वैराग्य और त्याग के स्वभाव का प्रतीक है। त्रिपुंड हमें प्रेरणा देता है कि हमें भी अपने जीवन में सदैव त्याग व वैराग्य की भावना रखनी चाहिए।

त्रिशूल

त्रिशूल समस्त दुष्ट प्रवृत्ति के जीवों का विनाश कर सर्वत्र शांति की स्थापना करने का प्रतीक है।

डमरू

डमरू स्वर व संगीत से फैलाई जाने वाली सकारात्मकता का महत्व बताता है। डमरू प्रेरणा देता है कि उठो, जागो और जनमानस को जागृत कर सकारात्मकता का डंका बजाओ।

कमल

कमल नौ पंखुड़ियों हैं, जो नौ दुर्गाओं का प्रतीक मानी जाती हैं। कमल एक ऐसा पुष्प है, जिसे भगवान विष्णु ने अपनी नाभि से अंकुरित कर ब्रह्मा की उत्पत्ति की। महालक्ष्मी भी कमल पर ही विराजमान हैं, इसके अलावा ज्ञान की देवी सरस्वती का भी आसन श्वेत कमल ही है।

कमल कीचड़ में खिलता है, जल में रहता है, परंतु वो किसी तरह की नकारात्मकता को अपने अंदर समाहित नहीं करता है। जिस प्रकार कमल सदैव पवित्र व पूज्यनीय होता है, उसी प्रकार हमें भी बुरी संगत में रहने के बावजूद भी स्वयं पर उसका प्रभाव नहीं होने देना चाहिए।

भक्तों, ये थी महेश नवमी की सम्पूर्ण जानकारी। हमारी कामना है कि भगवान सदा शिव की कृपा आप पर जीवन पर्यंत बनी रहे।

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2 thoughts on “Mahesh Navami 2024: “2024 में महेश नवमी कब है?” महेश नवमी की संपूर्ण जानकारी”

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