Yashoda Jayanti 2024: माँ यशोदा जयंती कब है इसका महत्व, पूजा विधि और कथा सहित संपूर्ण जानकारी Its significance, worship method and story, devotion.

Yashoda Jayanti 2024: संसार में ऐसे बहुत से भाग्यशाली भक्त हुए हैं, जिनकी इच्छा के अनुसार स्वयं जगतपालक भगवान ने अनेक रूप धारण किए। लेकिन इस ब्रह्माण्ड के नायक श्री हरि को स्तनपान कराने और ओखल से बांधने का महाभाग्य केवल यशोदा रानी को ही प्राप्त हुआ।

Yashoda Jayanti 2024

 

अंकाधिरूढं शिशुगोपगूढं स्तनं धयन्तं कमलैककान्तम्।
सम्बोधयामास मुदा यशोदा गोविन्द दामोदर माधवेति ।।

अर्थात् – अपनी गोद में बैठे बालगोपाल रूप भगवान विष्णु को स्तनपान करते हुए देखकर मातृत्व प्रेम में सराबोर हुई यशोदा मैया उन्हें ‘ऐ मेरे गोविन्द ! ऐ मेरे दामोदर! ऐ मेरे माधव!’ आदि नामों से पुकारती थीं।

इस लेख में हम सभी जानेंगे कि-

कब है यशोदा जयंती?

यशोदा जयंती का महत्व

यशोदा जंयती की पूजा विधि

यशोदा जंयती की कथा

Yashoda Jayanti 2024: कब है यशोदा जयंती?

यशोदा जयंती फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन मनाई जाती है। इस वर्ष ये पर्व 02 मार्च, शनिवार को पड़ रहा है।

01 मार्च 2024 को सुबह 06:21 AM पर षष्ठी तिथि का प्रारंभ होगा।
02 मार्च को सुबह 07:53 AM पर षष्ठी तिथि समाप्त हो जायेगी।

यशोदा जयंती का महत्व

यशोदा जयंती हिंदू धर्म का एक विशेष पर्व है, जो कन्हैया की मैया ‘यशोदा’ के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। यद्यपि कृष्ण को जन्म तो देवकी ने दिया था, लेकिन उनका लालन पालन करने का अवसर और मातृत्व का सुख यशोदा रानी को मिला।

यशोदा जयंती को लेकर शास्त्रों में वर्णन मिलता है कि इस दिन माता यशोदा और श्री कृष्ण की यदि कोई स्त्री विधिवत पूजा करती है, तो उन्हें उत्तम संतान की प्राप्ति होती है, और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

यशोदा जयंती की पूजा विधि-

यशोदा जयंती के अवसर पर मैया की गोद में विराजमान श्री कृष्ण के बाल स्वरूप और यशोदा जी की पूजा करने का विधान है।

Yashoda Jayanti 2024

• इस दिन किसी पवित्र नदी में प्रातकाल उठकर नित्यकर्म करके निवृत होकर स्नान करें।

• अगर नदी में स्नान कर पाना संभव नहीं है, तो आप अपने पानी में गंगाजल मिलाकर उससे स्नान कर सकते हैं।

• स्नान करने के पश्चात् स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

• अब एक साफ लकड़ी की चौकी लें और थोड़ा सा गंगाजल छिड़कर कर इसे पवित्र कर लें।

• चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं।

• अब इसके ऊपर एक कलश स्थापित करें।

• कलश स्थापना के पश्चात् मैया यशोदा की गोद में विराजमान लड्डू गोपाल की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।

• अब यशोदा जी को लाल रंग की चुनरी चढ़ाएं।

• लड्डू गोपाल एवं माता यशोदा को कुमकुम, फल, फूल, मीठा रोठ, पंजीरी, माखन आदि वस्तुएं अर्पित करें।

• इन सभी वस्तुओं को चढ़ाने के पश्चात् यशोदा और लड्डू गोपाल के समक्ष धूप व दीप जलाएं।

• अब श्रद्धा पूर्वक यशोदा जयंती की कथा सुनें या पढ़ें।

• इसके पश्चात् माता यशोदा और लड्डू गोपाल की आरती करें।

• अब पूजा में हुई किसी भी भूल के लिए यशोदा और लड्डू गोपाल से क्षमा याचना करें।

• परिवार के सभी लोगों को प्रसाद वितरित करें और स्वयं भी ग्रहण करें।

• पूजा संपन्न होने के पश्चात् गऊ माता को भोजन अवश्य कराएं, क्योंकिक्यों श्री कृष्ण कन्हैया को गायें अति प्रिय हैं। ऐसा करने से यशोदा और यशोदा नंदन दोनों की कृपा आप पर बनी रहेगी।

यशोदा जंयती की कथा

पुराणों में वर्णन मिलता है कि एक बार यशोदा जी ने भगवान विष्णु की कठोर तपस्या की थी। इस तपस्या से प्रसन्न होकर नारायण प्रकट हुए, और बोले- हे यशोदा ! वरदान मांगो! तुम्हारी क्या इच्छा है? यशोदा ने कहा- हे भगवन्! मेरी एक ही अभिलाषा है कि आप मुझे पुत्र रूप में मिलें और अपनी माता कहलाने का महाभाग्य प्रदान करें।

यशोदा की बात सुनकर भगवान विष्णु मुस्कुराए और बोले- हे यशोदा ! चिंता न करो! मैं तुम्हें अपनी मां कहलाने का एक वरदान देता हूं! विष्णु जी ने कहा- कुछ समय पश्चात् ही में वसुदेव की पत्नी देवकी के गर्भ से जन्म लूंगा। लेकिन मेरा लालन-पालन तुम्हारे ही हाथों होगा, और समस्त संसार में
तुम ही मेरी मैया के रूप में जानी जाओगी।

धीरे-धीरे समय का पहिया आगे बढ़ता गया और आख़िर वो अद्भु त संयोग आ ही गया, जब भगवान श्री कृष्ण ने वसुदेव-देवकी की आठवीं संतान के रूप में जन्म लिया। लेकिन वसुदेव ने अपने पुत्र को कंस के क्रोध से बचाने के लिए उन्हें अपने परम मित्र नंद के घर पहुंचा दिया।

इस प्रकार भगवान ने यशोदा को दिया हुआ वरदान पूर्ण किया, और कान्हा पर जिस तरह से अपनी ममता नंदरानी ने न्यौछावर की, उसका वर्णन शब्दों में नहीं किया जा सकता।

श्रीमद्भागवत में वर्णन मिलता है कि नारायण ने जो महाभाग्य यशोदा को प्रदान किया, वैसी कृपा ब्रह्माजी, शंकर जी और स्वयं उनकी अर्धागिनी लक्ष्मी जी को भी कभी प्राप्त नहीं हुई।

आशा है कि इस लेख से आपको यशोदा जयंती की संपूर्ण जानकारी मिल गई होगी ऐसी ही अन्य रोचक जानकारियों के लिए जुड़े रहें “धार्मिक सुविचार” के साथ

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