Sankashti Chaturthi 2024: द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी, जानें पूजाविधि, मुहूर्त, आरती और मंत्र

Sankashti Chaturthi 2024:भगवान गणेश को समर्पित संकष्टी चतुर्थी भक्तों के लिए खुशियों की सौगात लेकर आती है। भगवान गणेश जी की कृपा से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। चलिए जानते हैं कि फाल्गुन माह में यह तिथि कब आएगी और इस दिन शुभ मुहूर्त क्या रहेगा।

Sankashti Chaturthi 2024

ये है पूजा का उपयुक्त समय

द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी – 28 फरवरी, बुधवार

चतुर्थी तिथि प्रारम्भ – 28 फरवरी 2024, 01:53 AM

चतुर्थी तिथि समाप्त – 29 फरवरी 2024, 04:18 AM

संकष्टी के दिन चन्द्रोदय – 09:14 PM

Sankashti Chaturthi 2024: द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के अन्य शुभ मुहूर्त

ब्रहा मुहूर्त- 04:43 AM से 05:33 AM तक

प्रातः सन्ध्या- 05:08 AM से 06:23 AM

अभिजित मुहूर्त – कोई नहीं

विजय मुहूर्त- 02:07 AM से 02:53 PM तक

गोधूलि मुहूर्त- 05:57 PM से 06:21 PM तक

सायाह्न सन्ध्या – 05:59 PM से 07:13 PM तक

अमृत काल- 29 फरवरी, 03:13 AM से 05:00 AM तक

संकष्टी चतुर्थी: पूजा सामग्री

रिद्धि सिद्धि और बुद्धि के देवता भगवान गणेश जी को प्रसन्न करने के लिए हर माह संकष्टी चतुर्थी का व्रत और पूजन किया जाता है। ज्यादातर महिलाएं इस पूजा को अपनी संतान की सलामती और परिवार में सुख समृद्धि की कामना के साथ करती है। संकष्टी चतुर्थी की पूजा में सम्पूर्ण और सटीक पूजा सामग्री का होना बहुत जरूरी है, क्योंकि इसी से आपकी पूजा सफल होगी।

संकष्टी चतुर्थी पूजा की सामग्री

  • मौली या जनेऊ
  • लड्डू
  • लाल फूल
  • दूर्वा
  • पुष्प माला
  • धुप
  • कर्पूर
  • दक्षिणा

गणेश जी की प्रतिमा या तस्वीर

  • चौकी
  • लाल वस्त्र
  • ताम्बे का कलश
  • गंगाजल मिश्रित जल
  • घी का दीपक
  • हल्दी- कुमकुम
  • अक्षत
  • चन्दन
  • फल या नारियल

चन्द्रमा को अर्घ्य देने और पूजन की सामग्री

  • ताम्बे का कलश
  • दूध मिश्रित जल
  • पूजा की थाली
  • हल्दी – कुमकुम
  • अक्षत
  • भोग
  • घी का दीपक
  • फूल
  • धुप

इस सामग्री को पूजा शुरू करने से पहले ही इकट्ठा कर लें, ताकि गणेश जी की पूजा करते समय आपको किसी तरह की कोई बाधा का सामना न करना पड़े। इस सामग्री के द्वारा पूजा करने से आपकी संकष्टी चतुर्थी की पूजा जरूर सफल होगी और भगवान गणेश आपकी हर मनोकामना को जरूर पूरा करेंगे।

संकष्टी चतुर्थी: मंत्र व आरती

भगवान गणेश को विघ्नहर्ता कहा जाता है और जो भी सच्चे मन से गणपति जी का स्मरण करते हैं, उनके जीवन से सभी संकट दूर होते हैं और मंगल का आगमन होता है। इस लेख में आप जानेंगे कि संकष्टी चतुर्थी की पूजा में किन मंत्रों एवं आरती से भगवान गणेश को आसानी से प्रसन्न किया जा सकता ह और

1. श्री वक्रतुण्ड मंत्र

2. ॐ श्रीं गं मंत्र

3. एकदन्तं महाकायं मंत्र

4. गजाननं भूतगणादि मंत्र

5. ॐ नमो गणपतये मंत्र

6. गणेश जी की आरती

1. श्री वक्रतुण्ड मंत्र:

श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोठी समप्रभा।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा।।

2. ॐ श्रीं गं मंत्र

ॐ श्रीं गं सौभाग्य गणपतये वर्वर्द।
सर्वजन्म में वषमान्य नमः ||

3. एकदन्तं महाकायं मंत्र

एकदन्तं महाकायं लम्बोदर गजाननम्।
विध्ननाशकरं देवं हेरम्बं प्रणमाम्यहम्॥

4. गजाननं भूतगणादि मंत्र

गजाननं भूतगणादि सेवितं कपित्थजम्बूफलचारू भक्षणम्।
उमासुतं शोकविनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपङ्कजम् ।।

5. ॐ नमो गणपतये मंत्र:ॐ नमो गणपतये कुबेर येकद्रिको फट् स्वाहा।

विधिवत पूजा-पाठ करने के बाद गणेश जी की आरती करने से भगवान गणेश अपने भक्तों पर प्रसन्न होकर कृपा एवं अपार स्नेह बरसाते हैं। इसलिए आप संकष्टी चतुर्थी पर गणेश जी की आरती अवश्य करें।

6. गणेश जी की आरती

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा ।।

एकदंत दयावंत चार भुजा धारी।
माथे पर तिलक सोहे मूसे की सवारी।।

पान चढ़े फूल चढ़े और चढ़े मेवा।
लड्डू के भोग लगे संत करें सेवा।।

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा ।।
अंधे को आंख देत कोढिन को काया।
बांझन को पुत्र देत निर्धन को माया।।

सूर श्याम शरण आए सफल कीजे सेवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा।।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा।।

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