Yashoda Jayanti 2025: Date, Significance & Vrat Katha | यशोदा जयन्ती का महत्त्व और व्रत कथा

Yashoda Jayanti 2025 Date:जानें यशोदा जयन्ती 2025 की तिथि, पूजा विधि, व्रत कथा और भगवान कृष्ण के प्रति माँ यशोदा के प्रेम की अद्भुत गाथा।

Yashoda Jayanti

अंकाधिरूढं शिशुगोपगूढं स्तनं धयन्तं कमलैककान्तम्। सम्बोधयामास मुदा यशोदा गोविन्द दामोदर माथवेति ।।

अर्थात्- अपनी गोद में बैठे बालगोपाल रूप भगवान विष्णु को स्तनपान करते हुए देखकर मातृत्व प्रेम में सराबोर हुई यशोदा मैया उन्हें ‘ऐ मेरे गोविन्द ! ऐ मेरे दामोदर! ऐ मेरे माथव!’ आदि नामों से पुकारती थीं।

संसार में ऐसे बहुत से भाग्यशाली भक्त हुए है, जिनकी इच्छा के अनुसार स्वयं जगतपालक भगवान ने अनेक रूप धारण किए। लेकिन इस ब्रह्माण्ड के नायक श्री हरि को स्तनपान कराने और ओखल से बांधने का महाभाग्य केवल यशोदा रानी को ही प्राप्त हुआ।

आज इस लेख में हम आपको बताएंगे कि-

1. कब है यशोदा जयंती?

2. यशोदा जयंती का महत्व

3. यशोदा जंयती की पूजा विधि

4. यशोदा जंयती की कथा

1. कब है Yashoda Jayanti यशोदा जयंती ?

यशोदा जयंती फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन मनाई जाती है। इस वर्ष ये पर्व, 18 फरवरी 2025, मंगलवार को पड़ रहा है।

• षष्ठी तिथि प्रारम्भ 18 फरवरी 2025, मंगलवार को 04:53 AM बजे से

• षष्ठी तिथि समाप्त – 19 फरवरी 2025, बुधवार को 07:32 AM बजे तक

2. यशोदा जयंती Yashoda Jayanti का महत्व

यशोदा जयंती हिंदू धर्म का एक विशेष पर्व है, जो कन्हैया की मैया ‘यशोदा’ के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। यद्यपि कृष्ण को जन्म तो देवकी ने दिया था, लेकिन उनका लालन पालन करने का अवसर और मातृत्व का सुख यशोदा रानी को मिला।

यशोदा जयंती को लेकर शास्त्रों में वर्णन मिलता है कि यदि कोई स्त्री इस दिन माता यशोदा और श्री कृष्ण की विधिवत पूजा करती है, तो उन्हें उत्तम संतान की प्राप्ति होती है, और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।

3. यशोदा जयंती Yashoda Jayanti की पूजा विधि 

यशोदा जयंती के अवसर पर मैया की गोद में विराजमान श्री कृष्ण के बाल स्वरूप और यशोदा जी की पूजा करने का विधान है।

1. इस दिन प्रातःकाल उठकर नित्यकर्म से निवृत होकर किसी पवित्र नदी में स्नान करें।

2. अगर नदी में स्नान कर पाना संभव नहीं है, तो आप अपने पानी में गंगाजल मिलाकर उससे स्नान कर सकते हैं।

3. स्नान करने के पश्चात् स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

4. अब एक साफ लकड़ी की चौकी ले और थोड़ा सा गंगाजल छिड़कर कर इसे पवित्र कर लें।

5. चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं।

6. अब इसके ऊपर एक कलश स्थापित करें।

7. कलश स्थापना के पश्चात् मैया यशोदा की गोद में विराजमान लड्डू गोपाल की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।

8. अब यशोदा जी को लाल रंग की चुनरी चढ़ाएं।

9. माता यशोदा एवं लड्डू गोपाल को कुमकुम, फल, फूल, मीठा रोठ, पंजीरी, माखन आदि वस्तुएं अर्पित करें।

10. इन सभी वस्तुओं को चढ़ाने के पश्चात् यशोदा और लड्डू गोपाल के समक्ष धूप व दीप जलाएं।

11. अब श्रद्धा पूर्वक यशोदा जयंती की कथा सुने या पढ़े।

12. इसके पश्चात् माता यशोदा और लड्डू गोपाल की आरती करें।

13. अब पूजा में हुई किसी भी भूल के लिए यशोदा और लड्डू गोपाल से क्षमा याचना करें।

14. परिवार के सभी लोगों को प्रसाद वितरित करें और स्वयं भी ग्रहण करें।

15. पूजा संपन्न होने के पश्चात् गऊ माता को भोजन अवश्य कराएं, क्योंकि श्री कृष्ण कन्हैया को गायें अति प्रिय है। ऐसा करने से यशोदा और यशोदा नंदन दोनों की कृपा आप पर बनी रहेगी।

Yashoda Jayanti

4. यशोदा जंयती Yashoda Jayanti की कथा 

पुराणों में वर्णन मिलता है कि एक बार यशोदा जी ने भगवान विष्णु की कठोर तपस्या की थी। इस तपस्या से प्रसन्न होकर नारायण प्रकट हुए, और बोले- हे यशोदा ! वरदान मांगो! तुम्हारी क्या इच्छा है? यशोदा ने कहा- हे भगवन् ! मेरी एक ही अभिलाषा है कि आप मुझे पुत्र रूप में मिलें और अपनी माता कहलाने का महाभाग्य प्रदान करें।

यशोदा की बात सुनकर भगवान विष्णु मुस्कुराए और बोले- हे यशोदा ! चिंता न करो! मैं तुम्हें अपनी मां कहलाने का वरदान देता हूं! विष्णु जी ने कहा- कुछ समय पश्चात् ही में वसुदेव की पत्नी देवकी के गर्भ से जन्म लूंगा। लेकिन मेरा लालन-पालन तुम्हारे ही हाथों होगा, और समस्त संसार में तुम ही मेरी मैया के रूप में जानी जाओगी।

धीरे-धीरे समय का पहिया आगे बढ़ता गया और आखिर वो अद्भुत संयोग आ ही गया, जब भगवान श्री कृष्ण ने वसुदेव देवकी की आठवीं संतान के रूप में जन्म लिया।

लेकिन वसुदेव ने अपने पुत्र को कंस के क्रोध से बचाने के लिए उन्हें अपने परम मित्र नंद के घर पहुंचा दिया। इस प्रकार भगवान ने यशोदा को दिया हुआ वरदान पूर्ण किया, और नंदरानी ने कान्हा पर जिस तरह से अपनी ममता न्यौछावर की, उसका वर्णन शब्दों में नहीं किया जा सकता।

श्रीमद्भागवत में वर्णन मिलता है कि नारायण ने जो महाभाग्य यशोदा को प्रदान किया, वैसी कृपा ब्रह्माजी, शंकर जी और स्वयं उनकी अर्धांगिनी लक्ष्मी जी को भी कभी प्राप्त नहीं हुई।

आशा है कि इस लेख से आपको यशोदा जयंती की संपूर्ण जानकारी मिल गई होगी।

ऐसे ही व्रत, त्यौहार व अन्य धार्मिक जानकारियों के लिए जुड़े रहिए ‘धार्मिक सुविचार’ के साथ

और पढ़ें ↘️ 

धार्मिक सुविचार↘️

Leave a Comment