Vaishakha Amavasya 2024:हिंदू धर्म के लिए वैशाख मास की अमावस्या विशेष महत्वपूर्ण मानी जाती है। ग्रेगेरियन कैलेंडर के अनुसार ये तिथि अप्रैल या मई के महीने में पड़ती है। देश के कई हिस्सों में लोग इसे अलग-अलग मान्यताओं के अनुसार विभिन्न रीतियों से मनाते हैं।
Vaishakha Amavasya 2024: लेख के मुख्य बिंदु
• वैशाख अमावस्या कब है?
• वैशाख अमावस्या क्यों मनाई जाती है? महत्व
वैशाख अमावस्या के अनुष्ठान एवं लाभ
वैशाख अमावस्या कब है?
वैशाख, कृष्ण अमावस्या 8 मई 2024, बुधवार को मनाई जाएगी।
अमावस्या तिथि प्रारंभ – 7 मई, 11:40 AM
अमावस्या तिथि समापन – 8 मई, 08:51 AM
Vaishakha Amavasya 2024: वैशाख अमावस्या क्यों मनाई जाती है? महत्व
पुराणों में वर्णन मिलता है कि वैशाख मास से त्रेता युग का आरंभ हुआ था। वैशाख अमावस्या पर धर्म-कर्म, स्नान दान एवं पितरों के तर्पण का विशेष महत्व है।
इसके अलावा एक प्रचलित कथा के अनुसार, बहुत समय पहले एक ब्राह्मण हुआ करते थे, जिनका नाम धर्मवर्ण था। वे अत्यंत धार्मिक प्रवृत्ति के थे और ऋषि-मुनियों का खूब आदर सत्कार करते थे।
एक बार उन्होंने किसी संत को ये कहते हुए सुना कि कलयुग में हरि नाम के सुमिरन से अधिक पुण्य अन्य किसी कार्य में नहीं है। धर्मवर्ण के मन पर इस बात का बहुत गहरा प्रभाव पड़ा, और उन्होंने सांसारिक जीवन छोड़कर संन्यास ले लिया।
भ्रमण करते-करते एक दिन धर्मवर्ण पितृलोक पहुंच गए। वहां जा कर देखा तो उनके पितृ अत्यंत कष्ट झेल रहे थे। जब ब्राण धर्मवर्ण ने उनके कष्ट का कारण पूछा, तो उन्होंने कहा- पुत्र ! तुमने जबसे सन्यास लिया, तबसे हमें पिंडदान करने वाला कोई नहीं है, और हमारी ये स्थिति पिंडदान न मिलने के कारण ही हुई है।
यदि तुम अपने पितरों को कष्ट से मुक्त देखना चाहते हो, तो वापस जाओ और गृहस्थ जीवन का आरंभ करो। साथ ही प्रतिवर्ष वैशाख अमावस्या तिथि पर पिंडदान अवश्य करो। इस प्रकार धर्मवर्ण ने अपने पितरों के कहने पर गृहस्थ जीवन अपनाया, और वैशाख अमावस्या पर पिंडदान करके उन्हें समस्त कष्टों से मुक्त किया।
Vaishakha Amavasya 2024: वैशाख अमावस्या के अनुष्ठान एवं लाभ
• जो भक्त इस दिन सच्चे मन से श्री हरि की उपासना करते हैं, उनके समस्त बुरे कर्मों का नाश होता है एवं मोक्ष की प्राप्ति होती है! वैशाख अमावस्या भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व है।
• वैशाख अमावस्या पर गंगा या अन्य पवित्र नदियों में स्नान करना विशेष फलदाई माना जाता है। इस अनुष्ठान से जन्म जन्मांतर के पाप धुल जाते हैं, एवं संपूर्ण जीवन सौभाग्य व समृद्धि से परिपूर्ण रहता है।
• वैशाख अमावस्या पर पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण व उपवास के साथ-साथ दान पुण्य किया जाता है।
• मान्यता है कि वैशाख अमावस्या के दिन वृक्षारोपण करने से आपका जीवन भी हरा-भरा रहता है, यानि सुखी रहता है। इस दिन पेड़-पौधे लगाने की भी परंपरा है।
•इसलिए इस दिन विधि-विधान से शनिदेव की पूजा करने की भी परंपरा है। दक्षिण भारत में वैशाख अमावस्या पर शनि जयंती मनाई जाती है ।
तो भक्तों, ये तो थी वैशाख अमावस्या से जुड़ी संपूर्ण जानकारी। हमारी कामना है कि भगवान विष्णु की कृपा आप पर सदैव बनी रहे।
ऐसे ही व्रत, त्यौहार व अन्य धार्मिक जानकारियों के लिए जुड़े रहिए धार्मिक सुविचार के साथ
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