Ratha Saptami 2024: माघ के महीने में बसंत ऋतु की शुरूआत होती है और इसी माघ की सप्तमी को हिंदूओ का एक महत्वपूर्ण त्योहार भी मनाया जाता है। इस त्योहार का नाम है रथ सप्तमी। यह हिंदुओं का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जिसे रथसप्तमी या अचला सप्तमी भी कहते हैं। मगर क्या आप जानते हैं, कि रथ सप्तमी का त्योहार क्यों मनाया जाता है? अगर नहीं, तो आज के इस लेख में हम इसी के बारे में आपको जानकारी देंगे।
किस समय करनी है पूजा?
रथ सप्तमी- 16 फरवरी, शुक्रवार
रथ सप्तमी के दिन स्नान मूहूर्त – 04:51 AM से 06:32 AM
रथ सप्तमी के दिन अरुणोदय – 06:09 AM
रथ सप्तमी के दिन अवलोकनीय सूर्योदय 06:32 AM
सप्तमी तिथि प्रारम्भ – 15 फरवरी, 10:12 AM
सप्तमी तिथि समाप्त 16 फरवरी, 08:54 AM
रथ सप्तमी कब और क्यों मनाते हैं?
रथ सप्तमी का त्योहार माघ महीने की शुक्ल पक्ष की सप्तमी के दिन मनाया जाता है। यह त्योहार भगवान सूर्य को समर्पित होता है। इसी कारण इस दिन को सूर्य जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है, कि इस दिन ऋषि कश्यप और माता अदिति को भगवान सूर्य पुत्र के रूप में प्राप्त हुए थे।
यह दिन सूर्य देव का प्रतीक माना जाता है। इसके अलावा, इसी दिन भगवान सूर्य ने अपने रथ को सात घोड़ों द्वारा उत्तरी गोलार्द्ध की उत्तर पूर्वी दिशा की ओर घुमाया था।
रथ सप्तमी का महत्व
रथ सप्तमी भगवान सूर्य का दिन माना जाता है, जिस कारण यह काफी बड़ा महत्व रखता है। रथ सप्तमी के दिन से बसंत ऋतु का महीना आरंभ होता है, जिस कारण यह ऋतु परिवर्तन में बहुत महत्व रखता है। यह त्योहार पूरे भारत में सूर्य देव को समर्पित मंदिरों में मनाया जाता है।
Ratha Saptami 2024: रथ सप्तमी के लाभ
• रथ सप्तमी हिंदू धर्म में सूर्य देव की पूजा के लिए काफी महत्वपूर्ण दिन है।
• इस दिन भगवान सूर्य की पूजा आरोग्य और यश प्रदान करती है।
• इतना ही नहीं, इस दिन सच्चे मन से भगवान सूर्य की पूजा और व्रत करने से मनुष्य को सुख व शांति से जीवन जीने की प्रेरणा भी मिलती है।
• रथ सप्तमी का दिन सूर्य देव को समर्पित है, जिसका मतलब है कि जिस प्रकार सूर्य प्रकाशमान है उसी प्रकार सूर्य देव की पूजा करने पर जीवन भी प्रकाशमान होगा।
इस दिन पूजा कैसे करें
रथ सप्तमी के दिन भगवान सूर्यदेव की उपासना करने के लिए यह विधि अपनायेंः
• रथ सप्तमी के दिन सुबह जल्दी उठकर पूर्व दिशा की ओर मुंह करके सूर्य देव को नमस्कार करें।
• फिर स्नान करने के बाद हाथ में जल लेकर आचमन करें।
• इसके बाद, लाल रंग के कपड़े पहनकर तिल, चंदन और अक्षत को मिलाकर सूर्य देव को अर्घ्य दें।
• इसके साथ ही, देसी घी का दिया जलायें और ‘ओम घृणि सूर्यायः नम, ओम सूर्याय नमः’ मंत्र का उच्चारण करें।
• आखिर में आरती कर पूजा सम्पन्न करें।