Maharana Pratap Jayanti 2024: भारत एक ऐसा देश है जिसका इतिहास अत्यंत स्वर्णिम रहा है। भारत भूमि पर कई ऐसे वीर सपूतों ने जन्म लिया है, जिनकी वीरता के किस्से अनंतकाल तक दोहराए जाते रहेंगे। आज हम एक ऐसे ही एक वीर सपूत महाराणा प्रताप की बात कर रहे हैं, जिन्होंने विश्व स्तर पर अपनी अमिट छाप छोड़ी।
लंबी थी कद-काठी जिसकी, सीना जिसका चौड़ा था
नमन है उस महाराणा को, चेतक जिसका घोड़ा था।।
लेख के मुख्य बिंदु
• महाराणा प्रताप जयंती कब है?
• महाराणा प्रताप के जन्म से जुड़े मतभेद
• महाराणा प्रताप के माता-पिता
• महाराणा प्रताप का बचपन
• हल्दीघाटी का युद्ध
•महाराणा प्रताप के बारे में विशेष तथ्य
• महाराणा प्रताप के जीवन से मिलने वाली सीख
Maharana Pratap Jayanti 2024: महाराणा प्रताप जयंती कब है?
साल 2024 में महाराणा प्रताप जयन्ती 9 जून, रविवार को मनाई जायेग
तृतीया तिथि प्रारम्भ – 8 जून, 2024 को 03:55 PM
तृतीया तिथि समाप्त – 9 जून 2024 को 03:44 PM
हालांकि तारीख के अनुसार महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई 1540 को राजस्थान के कुम्भलगढ़ में हुआ था, इसलिए 9 मई को भी उनकी जयंती मनाई जाती है।
Maharana Pratap Jayanti 2024: महाराणा प्रताप के जन्म से जुड़े मतभेद
महाराणा प्रताप के जन्म को लेकर विद्वानों के अलग अलग मत देखने को मिलते हैं। कुछ इतिहासविद् कहते हैं कि महाराणा प्रताप राजस्थान के कुंभलगढ़ में जन्मे थे क्योंकि उनके पिता उदय सिंह वहीं शासन करते थे।
वहीं कुछ विद्वानों के अनुसार महाराणा प्रताप का जन्म पाली में हुआ था क्योंकि उनकी माँ का पीहर पाली में ही था और मान्यता के अनुसार उस समय पहला बच्चा पीहर अर्थात् मायके में होता था। किंतु अधिकतर जानकार कुंभलगढ़ को ही महाराणा प्रताप का जन्म स्थल मानते हैं।
Maharana Pratap Jayanti 2024: महाराणा प्रताप के माता-पिता
महाराणा प्रताप के पिता का नाम महाराणा उदय सिंह द्वितीय था और उनकी माता रानी जीववंत कंवर थीं। महाराणा प्रताप अपने पच्चीस भाइयों बहनों में से सबसे बड़े थे, इसीलिए उनके पिता के बाद राज्य का कार्यभार उन्हें सौंपा गया था। महाराणा प्रताप 54 वें शासक बने। प्रताप अपने वंशजों में महाराणा की उपाधि प्राप्त करने वाले एकमात्र राजा थे।
Maharana Pratap Jayanti 2024: महाराणा प्रताप का बचपन
महाराणा प्रताप ने अपनी बाल्यावस्था का अधिकांश समय भील समुदाय के साथ व्यतीत किया, और उन्हीं के साथ रहकर उन्होंनें शस्त्र चलाने व युद्ध करने की कला सीखी थी। ऐसा कहा जाता है कि भील समुदाय में शस्त्र चलाने का प्रशिक्षण लेने वालों को ‘कीका’ कहा जाता था, इसलिए महाराणा प्रताप जी को भी बचपन में कीका कहकर पुकारा जाता था।
महाराणा प्रताप का एक अति प्रिय अश्व था, जिसका नाम चेतक था। चेतक के बारे में कहते हैं कि वह हवा की गति से दौड़ता था।
Maharana Pratap Jayanti 2024: हल्दीघाटी का युद्ध
जब भी महाराणा प्रताप की बात होती है, तो हल्दीघाटी युद्ध का भी जिक्र जरूर होता है। ये युद्ध सन् 1576 में अकबर और महाराणा प्रताप की सेना के बीच हुआ था। कुछ इतिहासकार बताते हैं कि ये युद्ध महाराणा की सेना के 2000 सैनिक और मुगलों की सेना के 10,000 सैनिकों के बीच लड़ा गया था।
वहीं कहीं कहीं ये भी पढ़ने को मिलता है कि इस युद्ध में महाराणा प्रताप की सेना के 10,000 और मुगलों की सेना के एक लाख सैनिक आमने-सामने थे। इन सभी तथ्यों से इस बात का पता चलता है कि मुगलों की सेना संख्या में अधिक थी।
इस भयानक युद्ध में एक ही दिन में कई सैनिक मारे गए थे। कहा जाता है कि इस युद्ध में महाराणा प्रताप का अश्व चेतक भी वीरगति को प्राप्त हो गया था। संख्या में कम होने पर भी महाराणा की सेना मुगल सेना को धूल चटाने में कामयाब हो रही थी। इस युद्ध के दौरान एक समय ऐसा आया जब महाराणा अत्यंत गंभीर रूप से घायल हो गए थे।
किंतु इसके बावजूद भी उन्होंने मुगल सेना के सामने समर्पण करना स्वीकार नहीं किया, और वो वहां से बच निकले। कुछ समय पश्चात् महाराणा ने छापेमार युद्ध नीति का प्रयोग करते हुए अपने क्षेत्र पर फिर से कब्जा कर लिया।
Maharana Pratap Jayanti 2024: महाराणा प्रताप के बारे में विशेष तथ्य
• कहते हैं कि महाराणा प्रताप युद्ध के समय लगभग 72 किलो का कवच पहनते थे।
• महाराणा प्रताप की लंबाई 7 फुट से अधिक थी।
वो अपने साथ 2 तलवारें रखते थे, जिनका कुल वजन लगभग 208 किलोग्राम था।
• महाराणा प्रताप की 11 पनियां थीं, और कुल 17 बच्चे थे।
महाराणा प्रताप के जीवन से मिलने वाली सीख
• देशभक्ति की भावना महाराणा प्रताप अत्यंत स्वाभिमानी प्रवृत्ति के थे, यही कारण था कि अकबर की लाख प्रयासों के बाद भी उन्होंने अकबर से संधि नहीं की और युद्ध के लिए तैयार रहे।
• पशु प्रेम- महाराणा प्रताप को उनका अश्व चेतक अत्यंत प्रिय था। वो उसे अपना मित्र मानते थे।
• साहस – महाराणा प्रताप ने अनेक युद्धों के दौरान अपने अदम्य साहस का परिचय दिया, और हर बार दुश्मनों को मात दी।
तो दोस्तों, ये थी महाराणा प्रताप जयंती से जुड़ी जानकारी। आप भी इस अवसर पर भारत के इस वीर सपूत को याद करें, और गौरवान्वित महसूस करें।
ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारी के लिए आप धार्मिक सुविचार से जुड़े रहें।
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