Vedic Clock Ujjain: संस्कृति व विज्ञान की धरोहर को समेटे हुए उज्जैन में वैदिक घड़ी की स्थापना की गई है। ये घड़ी भारतीय पंचांग के आधार पर समय की गणना करेगी, जिसे सबसे अधिक विश्वसनीय प्रणाली माना जा रहा है।
ऐसा कहा जाता है कि उज्जैन पहले भी देश के समय को निर्धारित करता था। जो ज्योतिष से लेकर उज्जैन आने वाले लोगों के लिए भी एक आकर्षण का केंद्र बन गया ह।
Vedic Clock Ujjain: वैदिक घड़ी उज्जैन में ही क्यों लगाई गयी?
धार्मिक मान्यता हैं कि उज्जैन प्राचीन काल में भारतवर्ष की केंद्रीय मध्याह्न रेखा माना जाता था। वास्तव में ये रेखा पृथ्वी की सतह पर एक काल्पनिक रेखा है, जो उसे दो भागों में बांटती है। जानकार बताते हैं कि पहले भी उज्जैन देश के समय अंतर को निर्धारित करता था।
Vedic Clock Ujjain: इस घड़ी में देखे जा सकेंगे देश-विदेश के पर्यटन स्थल
घड़ी की विशेषता बताते हुए महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ के निदेशक श्रीराम तिवारी ने कहा कि इस घड़ी के बैकग्राउंड में हर घंटे देश-विदेश के प्रमुख पर्यटन स्थलों की तस्वीरें भी दिखेंगी। इसमें द्वादश ज्योतिर्लिंग मंदिर, नवग्रह, राशि चक्र के साथ-साथ देश-दुनिया में होने वाले सूर्यास्त व सूर्य ग्रहण की तस्वीर भी देखने को मिलेंगी।
इसके साथ ही इस घड़ी में शहर का तापमान, हवा की गति आदि के साथ-साथ, हिंदू महीनों का नाम भी दर्शाया जा रहा है।
बताया जा रहा है कि घड़ी में दिखाई जा रही तस्वीरों के लिए नासा का भी सहयोग लिया गया है। वैदिक घड़ी का एक एप भी बनाया गया है, जिसमें विक्रम पंचांग के साथ साथ सूर्योदय सूर्यास्त की जानकारी, ग्रह, योग, भद्रा, चंद्र स्थिति, नक्षत्र, चौघड़िया, सूर्यग्रहण, चंद्रग्रहण आदि की जानकारी भी उपलब्ध है।
Vedic Clock Ujjain: 48 मिनट का होगा 1 घण्टा- 30 घण्टे का होगा दिन
आपको बता दें कि इस वैदिक घड़ी को उज्जैन में जंतर-मंतर के अंदर जीवाजी वेधशाला के समीप एक टॉवर पर लगाया गया है, जिसकी ऊंचाई 85 फुट है। इस पूरी तरह से डिजिटल वैदिक घड़ी में एक घंटा 48 मिनट का होगा, और इस तरह एक दिन में 24 की जगह 30 घंटे होंगे। बताया जा रहा है कि इस घड़ी में कुछ समय बाद राशिफल भी देखा जा सकेगा।
Vedic Clock Ujjain: इस स्थान का 300 वर्ष पुराना है इतिहास
वैदिक घड़ी जीवाजी वेधशाला परिसर में लगाई गई है। इसका इतिहास 300 वर्ष पुराना बताया जाता है। मिली जानकारी के अनुसार, मालवा के गवर्नर रहे महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय द्वारा सन् 1719 में उज्जैन में जीवाजी वेधशाला का निर्माण कराया गया था।
इसके बाद दिल्ली, जयपुर, मथुरा और वाराणसी में भी वेधशाला का निर्माण कराया था। चूंकि उज्जैन से कर्क रेखा भी गुजरती है, इसलिए सवाई जयसिंह ने यहां स्वयं आकर अध्ययन किया था। करीब 200 वर्षों बाद 1923 में उज्जैन की वेधशाला का पुनरुद्धार हुआ।
तो ये थी उज्जैन में स्थापित की गई वैदिक घड़ी के बारे में विशेष जानकारी।
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