Holi Bhai Dooj 2024:भाई-बहन के परस्पर प्रेम एवं सम्मान का प्रतीक भाई दूज देश के कई हिस्सों में बड़े उल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों को तिलक एवं आरती करके, उनके लम्बे और खुशहाल जीवन की प्रार्थना करती हैं। जिसके बाद भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं।
ये त्यौहार साल में दो बार मनाया जाता है। एक ‘दिवाली’ के बाद और दूसरा ‘होली’ के बाद।
होली भाई दूज – 27 मार्च 2024, बुधवार
द्वितीया तिथि प्रारम्भ – 26 मार्च 2024 को 02:55 PM से
द्वितीया तिथि समाप्त – 27 मार्च 2024 को 05:06 PM तक
अन्य शुभ मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त-04:21 AM से 05:08 AM
प्रातः सन्ध्या – 04:44 AM से 05:54 AM
अभिजित मुहूर्त – कोई नहीं
विजय मुहूर्त – 02:06 PM से 02:56 PM
गोधूलि मुहूर्त – 06:11 PM से 06:35 PM
सायाह्न सन्ध्या 06:12 पी एम से 07:22 PM
अमृत काल – 09:08 AM से 10:55 AM
निशिता मुहूर्त – 11:39 PM से 12:26 AM, मार्च 28
भाई दूज का यह पावन पर्व दक्षिण भारत में यम द्वितीया के रूप में जाना जाता है, जबकि उत्तर भारत में यह त्यौहार भाई दूज के रूप में घर-घर में प्रसिद्ध है। हमारी कामना है कि भाई-बहन के स्नेह को दर्शाने वाला यह त्यौहार आपके रिश्ते में और मधुरता लाए, और भाई-बहन का साथ यूं ही बना रहे।
Holi Bhai Dooj 2024: भाई दूज बहन को दें ये उपहार
भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक भाई दूज का पर्व हर तरफ रौनक लेकर आता है। जहां भाई बहन के रिश्ते में ढेर सारा प्यार होता है, वहीं छोटी-मोटी तकरार भी रहती है। लेकिन भाई दूज खुशियों का एक ऐसा पर्व है जो भाई और बहन दोनों के लिए बेहद खास होता है।
1. बहन के नाम पर चढ़ावा
अगर आप अपनी बहन के जीवन की सुख-समृद्धि के लिए मंगल कामना करना चाहते हैं तो आप श्री मंदिर ऐप पर अपनी क्षमता के अनुसार अपनी बहनों के नाम से चढ़ावा अर्पित कर सकते हैं।
2. गैजेट्स
आप अपनी बहन को उसके सबसे अधिक काम आने वाले गैजेट्स गिफ्ट कर सकते हैं। ऐसे गिफ्ट्स में मोबाइल, लैपटॉप, टैबलेट्स, फिट बैंड, हेडफोन आदि शामिल हैं।
3. कपड़े
लड़कियों को अकसर नए-नए कपड़े पहनने का काफी शौक होता है, तो आप उनके पहनावे और पसंद के हिसाब से अपनी बहन को कपड़े गिफ्ट कर सकते हैं।
4. किताबें
अगर आपकी बहन को किताबें पढ़ने का शौक है तो आप उनकी मनपसंद किताबें उन्हें तोहफे में दे सकते हैं। किताबों के साथ अपना अधिकतर समय बिताने वाले लोगों के लिए इससे अच्छा उपहार कुछ हो ही नहीं सकता।
5. ज्वैलरी
आप अपने बजट के हिसाब से अपनी बहन को ज्वैलरी भी गिफ्ट कर सकते हैं। अगर आपका बजट ज्यादा है तो आप उन्हें सोने या चांदी की ज्वेलरी दे सकते हैं, वरना आप उन्हें आर्टिफिशियल ज्वेलरी भी उनकी पसंद के हिसाब से दे सकते हैं।
6. परफ्यूम
कई लड़कियों के लिए परफ्यूम उनकी रोजमर्रा की जिदगी का एक अहम् हिस्सा होते हैं। अगर आपकी बहन को भी अलग-अलग तरह के परफ्यूम्स बेहद पसंद है तो आप उन्हें एक अच्छा परफ्यूम गिफ्ट कर सकते हैं।
7. गिफ्ट वाउचर
अगर आपको कुछ समझ नहीं आ रहा कि आपकी बहन को क्या पसंद आएगा और क्या नहीं, तो आप उनको एक गिफ्ट वाउचर उपहार के तौर पर दे सकते हैं, इस तरह आपकी बहन अपनी पसंद के मुताबिक अपने लिए गिफ्ट ले सकती है।
8. उनकी हॉबी से जुड़ा कोई उपहार
इस भाई दूज पर आप अपनी बहन की हॉबी को बढ़ावा देने के लिए उससे संबंधित चीजें उपहार के रूप में दे सकते हैं। उदाहरण के तौर पर, अगर आपकी बहन को पेंटिंग पसंद है तो आप उसे ब्रश और कलर्स जैसी चीजें गिफ्ट कर सकते हैं।
इस भाई दूज पर आप अपनी बहन की हॉबी को बढ़ावा देने के लिए उससे संबंधित चीजें उपहार के रूप में दे सकते हैं। उदाहरण के तौर पर, अगर आपकी बहन को पेंटिंग पसंद है तो आप उसे ब्रश और कलर्स जैसी चीजें गिफ्ट कर सकते हैं।
9. हैंडबैग / वॉलेट
हैंडबैग और वॉलेट काफी उपयोगी चीजें हैं, जिन्हें आप रक्षाबंधन पर अपनी बहन को देकर उनकी खुशियों को बढ़ा सकते हैं।
अगर आपकी बहन उम्र में काफी छोटी है तो आप उसे चॉकलेट, खिलौने और स्टेशनरी दे सकते हैं। यह छोटे-छोटे उपहार निश्चित रूप से आपकी छोटी बहन के चेहरे पर बड़ी सी मुस्कान ले आएंगे।
आशा है इन विकल्पों के साथ आपको अपनी बहन के लिए सही उपहार का चयन करना आसान होगा। आपकी बहन के लिए सबसे बड़ा उपहार तो आपका प्रेम और आपका साथ ही होगा, तो हमेशा अपनी बहन को स्नेह दें और उसका ख़्याल रखें।
Holi Bhai Dooj 2024: जानें भाई दूज का पौराणिक महत्व
हमारे आज के लेख में हम आपको बताने वाले हैं भाई दूज के पावन पर्व से जुड़ी पौराणिक कथा और महत्व के बार में।
इस लेख में,
1. भाई दूज क्या है?
2. भाई दूज क्यों मनाया जाता है?
3. भाई दूज का महत्व क्या है?
भाई दूज क्या है?
कार्तिक में आने वाले भाई दूज की तरह ही ‘होली भाई दूज’ भी एक ऐसा पर्व है, जो भाई के प्रति बहन के स्नेह को अभिव्यक्त करता है। इस दिन बहनें अपने भाई के सुखमय जीवन के लिए कामना करती हैं, बदले में भाई उन्हें जीवन भर रक्षा करने का वचन देते हैं।
भाई दूज क्यों मनाया जाता है?
एक पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार एक भाई द्वितीया तिथि पर अपनी बहन के घर तिलक करवाने के लिए गया, परंतु रास्ते में उसे नदी, शेर व सांप आदि मिले जो उसके प्राण लेना चाहते थे। भाई ने उन सबको वचन दिया कि जब वो बहन के यहां से टीका लगवाकर वापस लौटेगा तो अपने प्राण दे देगा। ये वचन देने के बाद भाई अत्यंत दुखी था।
जब बहन ने भाई के दुख का कारण जाना तो एक उपाय सुझाया, जिससे भाई के प्राणों की रक्षा हुई। इसके बाद भाई ने जीवन भर बहन की रक्षा करने का संकल्प लिया। भाई बहन के इसी अटूट बंधन, प्रेम और समर्पण को और प्रगाढ़ करने के लिए भाई दूज का ये पावन पर्व मनाया जाता है।
भाई दूज का महत्व क्या है?
• हिन्दू धर्म में कई सारे रीति रिवाज विद्यमान हैं, जिनका अपना अलग ही महत्व होता है। इनमें से भाईदूज एक ऐसा उत्सव है जो विशेष रूप से भाई-बहन के प्रेम को समर्पित होता है। इस दिन भाई और बहन के बीच प्रेम की भावना देखने को मिलती है।
इस दिन विवाहित बहनें अपने भाई को भोजन के लिए अपने घर पर आमंत्रित करती है और अपने भाई को प्रेमपूर्वक भोजन कराती
है। बहन अपने भाई को तिलक करती हैं और उनकी सुख-समृद्धि की कामना करती हैं, जिसके बाद भाई अपनी बहन को उपहार देते हैं।
• कहते हैं कि इस दिन जो कोई भी बहन विधि पर्वक और शभ महर्त में अपने भाई का तिलक करती है और फिर पजा आदि करती है
उसके भाई के जीवन से अकाल मृत्यु का भय दूर होता है और उनकी उम्र लंबी होती है।
Holi Bhai Dooj 2024: भाई दूज तिलक की विधि
भाई दूज के दिन सभी बहनें अपने भाई को भोज के लिए निमंत्रित करती हैं। और उन्हें तिलक करके उनकी लम्बी आयु के लिए भगवान से प्रार्थना करती हैं।
तिलक की सामग्री
1. पूजा की थाली
2. फल, फूल
3. दीपक
4. अक्षत
5. मिठाई
6. देसी घी
7. जल
इसके अतिरिक्त आप अपने भाई को उपहार स्वरूप देने के लिए श्री-फल, मिठाई और वस्त्र आदि भी रख सकती हैं।
तिलक की विधि
• भाई दूज के दिन प्रातःकाल तेल-उबटन आदि करने के बाद स्नान करें। स्नान से निपटकर स्वच्छ नए कपड़े पहनें।
• घर के पूजास्थल में पंचोपचार की क्रिया द्वारा सभी देवों की पूजा करें। भाई बहन एक दूसरे के मंगल की ईश्वर से प्रार्थना करें।
• भाईदूज का तिलक सामान्यत मध्याह्न काल में किया जाता है। इस समय में भाई अपनी बहनों के घर पहुंचे।
• बहनें एक थाली में हल्दी, कुमकुम, अक्षत, दीया आदि रखकर पूजा की थाली तैयार करें।
• इसके बाद बहनें अपने भाई को एक चौकी पर बिठायें। और भाई एक रुमाल से अपने सिर को ढंक लें।
• भाई दूज के दिन प्रातःकाल तेल-उबटन आदि करने के बाद स्नान करें। स्नान से निपटकर स्वच्छ नए कपड़े पहनें।
• घर के पूजास्थल में पंचोपचार की क्रिया द्वारा सभी देवों की पूजा करें। भाई बहन एक दूसरे के मंगल की ईश्वर से प्रार्थना करें।
• भाईदूज का तिलक सामान्यतः मध्याह्न काल में किया जाता है। इस समय में भाई अपनी बहनों के घर पहुंचे।
• बहनें एक थाली में हल्दी, कुमकुम, अक्षत, दीया आदि रखकर पूजा की थाली तैयार करें।
• इसके बाद बहनें अपने भाई को एक चौकी पर बिठायें। और भाई एक रुमाल से अपने सिर को ढंक लें।
• चौकी पर बैठे भाई को हल्दी, कुमकुम अक्षत से तिलक लगाएं। तिलक लगाने के बाद भाई के हाथ में कलावा बांधें। और अब उनकी आरती उतारें।
• अब बहनें भाई को मिठाई खिलाएं। और भाई बहन के द्वारा बनाए गए पकवान का आनंद लें।
• यदि भाई और बहन एक ही घर में रहते हैं, तो दोनों साथ में मध्याह्न भोजन करें। इसके बाद बहन अपने भाई को तिलक कर सकती हैं।
• अब भाई वस्त्र और अन्य उपहार देकर बहन का आभार व्यक्त करें।
ऐसी मान्यता है कि जो भाई इस दिन अपनी विवाहित बहनों को वस्त्र-दक्षिणा आदि देते हैं, उन्हें आने वाले वर्ष में सफलता प्राप्त होती है और बहन के आशीर्वाद से उनके धन, यश, आयु, और बल की वृद्धि होती है।
Holi Bhai Dooj 2024: भाई दूज की पौराणिक कथा
प्राचीन काल में एक नगर था, जहां एक बुढ़िया रहती थी। उसके एक बेटा और एक बेटी थी। बेटी का विवाह हो चुका था। एक बार होली के बाद भाई ने अपनी मां से कहा, माता! मैं अपनी बहन के ससुराल जाकर उससे तिलक कराना चाहता हूं। बुढ़िया ने कहा, ये तो अति उत्तम विचार है बेटा! अवश्य जाओ! इसी बहाने बहन का कुशल क्षेम भी पूछते आना।
बेटा एक जंगल से होते हुए गुजर रहा था, तभी रास्ते में उसे नदी मिली। उस नदी ने कहा मैं तेरी काल हूं और तेरी जान लेकर रहूंगी। इस पर बुढ़िया का बेटा बोला, मैं पहले अपनी बहन से तिलक करा लूं, फिर बेशक तुम मेरे प्राण ले लेना।
इसके बाद जैसी ही वह आगे बढ़ा, उसी रास्ते में एक शेर मिला। बुढ़िया की बेटे से शेर ने भी यही कहा कि वह उसके प्राण लेना चाहता है। बेटे ने पुन नदी को कही हुई बात दोहराई, और आगे बढ़ चला। थोड़ा और आगे बढ़ा तो उसे एक सांप मिला। वह भी बुढ़िया के बेटे की जान का प्यासा था। उस सांप से भी लड़के ने कहा कि मैं अपनी बहन के यहां होकर वापस लौट आऊं, फिर निसंकोच तुम मेरे प्राण ले लेना।
इस तरह जब भाई अपनी बहन के घर पहुंचा तो उसकी बहन सूत कात रही थी। भाई ने बहन को पुकारा परंतु उसने नहीं सुना। लेकिन जब दोबारा उसने आवाज लगाई, तो बहन बाहर आ गई। भाई ने बहन से कहा, बहना ! अपने हाथों से मुझे तिलक कर दो।
बहन ने भाई को तिलक लगाया और वह दुखी मन से वापस चलने को हुआ। भाई को दुखी देखकर बहन ने पूछा, भैया घर पर मां तो ठीक है ना? आखिर वह कौन सा कष्ट है, जिस कारण आपके चेहरे पर यह दुख दिख रहा है। इतना सुनकर भाई ने उसे रास्ते में घटी घटनाओं के बारे में बताया।
इसके बाद जैसी ही वह आगे बढ़ा, उसी रास्ते में एक शेर मिला। बुढ़िया की बेटे से शेर ने भी यही कहा कि वह उसके प्राण लेना चाहता है। बेटे ने पुन नदी को कही हुई बात दोहराई, और आगे बढ़ चला। थोड़ा और आगे बढ़ा तो उसे एक सांप मिला। वह भी बुढ़िया के बेटे की जान का प्यासा था। उस सांप से भी लड़के ने कहा कि मैं अपनी बहन के यहां होकर वापस लौट आऊं, फिर निसंकोच तुम मेरे प्राण ले लेना।
इस तरह जब भाई अपनी बहन के घर पहुंचा तो उसकी बहन सूत कात रही थी। भाई ने बहन को पुकारा परंतु उसने नहीं सुना। लेकिन जब दोबारा उसने आवाज लगाई, तो बहन बाहर आ गई। भाई ने बहन से कहा, बहना! अपने हाथों से मुझे तिलक कर दो।
बहन ने भाई को तिलक लगाया और वह दुखी मन से वापस चलने को हुआ। भाई को दुखी देखकर बहन ने पूछा, भैया घर पर मां तो ठीक है ना? आखिर वह कौन सा कष्ट है, जिस कारण आपके चेहरे पर यह दुख दिख रहा है। इतना सुनकर भाई ने उसे रास्ते में घटी घटनाओं के बारे में बताया।
यह सब सुनकर बहन ने कहा, भैया! तुम निराश ना हो! आपकी बहन के रहते हुए कोई आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकता। इतना कहकर बहन भीतर गई और अपने साथ एक मांस का टुकड़ा, दूध व एक चुनरी लेकर आई, और भाई को कुछ समझा कर सारी वस्तुएं दे दीं।
जैसे ही भाई थोड़ी दूर चला, रास्ते में सबसे पहले उसे शेर मिला। उसने शेर के आगे मांस डाल दिया, इससे उसका ध्यान भटक गया और वह मांस खाने में व्यस्त हो गया। इस तरह थोड़ा आगे बढ़ने पर सांप मिला, जिसे भाई ने दूध दे दिया। सांप भी दूध पीने लगा और उसे कोई नुकसान नहीं पहुंचा पाया। चलते-चलते सबसे अंत में नदी मिली, जिस पर भाई ने चुनरी चढ़ा दी।
इस तरह बहन की चतुराई ने काल रूपी नदी सांप और शेर से अपने भाई की रक्षा की, और भाई ने भी जीवन भर बहन की रक्षा करने का संकल्प लिया। इसी कारण भाई-बहन के इस पावन पर्व को आज भी बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है।
यह सब सुनकर बहन ने कहा, भैया! तुम निराश ना हो! आपकी बहन के रहते हुए कोई आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकता। इतना कहकर बहन भीतर गई और अपने साथ एक मांस का टुकड़ा, दूध व एक चुनरी लेकर आई, और भाई को कुछ समझा कर सारी वस्तुएं दे दीं।
जैसे ही भाई थोड़ी दूर चला, रास्ते में सबसे पहले उसे शेर मिला। उसने शेर के आगे मांस डाल दिया, इससे उसका ध्यान भटक गया और वह मांस खाने में व्यस्त हो गया। इस तरह थोड़ा आगे बढ़ने पर सांप मिला, जिसे भाई ने दूध दे दिया। सांप भी दूध पीने लगा और उसे कोई नुकसान नहीं पहुंचा पाया। चलते-चलते सबसे अंत में नदी मिली, जिस पर भाई ने चुनरी चढ़ा दी।
इस तरह बहन की चतुराई ने काल रूपी नदी सांप और शेर से अपने भाई की रक्षा की, और भाई ने भी जीवन भर बहन की रक्षा करने का संकल्प लिया। इसी कारण भाई-बहन के इस पावन पर्व को आज भी बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है।
ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारी के लिए धार्मिक सुविचार से जुड़े रहें।