Phulera Dooj 2024: “फुलेरा दूज 2024 कब है?” जाने फुलेरा दूज की संपूर्ण जानकारी | phulera dooj significance

Phulera Dooj 2024:फाल्गुन मास में कई ऐसे त्यौहार आते हैं जो हमारी धार्मिक एवं सांस्कृतिक धरोहर को एक बार फिर से ताज़ा करते हैं। उन्हीं में से एक पावन पर्व है ‘फुलेरा दूज’। ये त्यौहार वसंत पंचमी और होली के बीच आता है। माना जाता है कि इसी दिन भगवान कृष्ण ने राधा के साथ फूलों की होली खेली थी, यही कारण है कि इस पर्व का नाम ‘फुलेरा दूज’ पड़ा।

Phulera Dooj

इस लेख में जानिए

• फुलेरा दूज कब है?

• फुलेरा दूज का महत्व

• फुलेरा दूज से होली का आगमन

• होली खेलने के लिए ऐसे तैयार होते हैं कान्हा

• फुलेरा दूज कैसे मनाया जाता है?

• फुलेरा दूज की पौराणिक कथा

फुलेरा दूज Phulera Dooj कब है?

फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर ‘फुलेरा दूज’ मनाई जाती है। इस साल ये तिथि 12 मार्च, मंगलवार को पड़ रही है।

द्वितीया तिथि प्रारंभ – 11 मार्च को 10:44 AM

द्वितीया तिथि समाप्त – 12 मार्च को 07:13 AM

फुलेरा दूज Phulera Dooj का महत्व

कहा जाता है कि फुलेरा दूज पर राधा कृष्ण की पूजा करने, उन्हें फूलों से सजाने, व उनके साथ फूलों वाली होली खेलने से जातक की सभी मनोकामनाएं अति शीघ्र पूरी होती हैं। इस दिन भगवान कृष्ण व राधा रानी की पूजा करने से सभी कष्ट दूर होते हैं, और भविष्य में आने वाली हर अड़चन से छुटकारा मिलता है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार फुलेरा दूज के दिन अबूझ मुहूर्त होता है। ऐसे में इस दिन विवाह या कोई अन्य मांगलिक कार्य करने के लिए शुभ मुहूर्त देखने की आवश्यकता नहीं होती है। ऐसी मान्यता है कि फुलेरा दूज कि इस तिथि पर विवाह करने से दोनों पर राधे कृष्ण की कृपा आजीवन बनी रहती है, और उनका प्रेम संबंध प्रगाढ़ होता है।

फुलेरा दूज Phulera Dooj से होली का आगमन

Phulera Dooj

फुलेरा दूज के दिन से ब्रज क्षेत्र में होली का आगमन माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन स्वयं भगवान श्री कृष्ण अपनी प्रेयसी राधा रानी के साथ फूलों की होली खेलते हैं।

होली खेलने के लिए ऐसे तैयार होते हैं कान्हा

फुलेरा दूज पर होली खेलने के लिए भगवान श्री कृष्ण को विशेष रूप से तैयार करने की परंपरा है। इस दिन कान्हा की कमर पर एक रंगीन कपड़ा बांधा जाता है, जिसके बाद माना जाता है कि अब श्री कृष्ण राधा के संग होली खेलने के लिए तैयार हैं।

फुलेरा दूज Phulera Dooj कैसे मनाई जाती है?

• फुलेरा दूज पर सर्वप्रथम भगवान श्री कृष्ण और अपने ईष्ट देव को गुलाल चढ़ाया जाता है, जिसके पश्चात् ये त्यौहार मनाने की शुरुआत होती है।

• इस पावन पर्व पर भक्त अपने घरों में कई प्रकार के पकवान बनाते हैं, और भगवान श्री कृष्ण को उसका भोग अर्पित करते हैं।

• फुलेरा दूज पर श्री राधे कृष्ण की मूर्तियों को विधिवत् सजाकर उन्हें रंग लगाया जाता है।

फुलेरा दूज Phulera Dooj की पौराणिक कथा

पौराणिक कथा के अनुसार- एक बार कुछ ऐसा हुआ कि भगवान श्री कृष्ण बहुत दिनों तक राधा से मिलने वृन्दावन नहीं जा पाए थे। ऐसे में राधा रानी अत्यंत दुखी हो गईं। राधा का ये अथाह दुख देखकर सिर्फ़ ग्वाल व गोपियां ही नहीं, बल्कि मथुरा के सभी पेड़-पौधे व फूल मुरझाने लगे।

Phulera Dooj

ये बात जब श्री कृष्ण को पता चली तो वो शीघ्र ही राधा रानी से मिलने के लिए वृंदावन आ पहुंचे। कान्हा के आगमन का समाचार सुनकर राधा का मुखमंडल खिल उठा और गोपियां भी बहुत प्रसन्न हुई।

सूखते हुए पेड़ पौधे व फूलों में एक बार फिर से जान आ गई और वो फिर से पहले की भांति हरे-भरे हो गए। उस समय कन्हैया ने इन फूलों को तोड़कर राधा पर फेंकना शुरू कर दिया। इसके बाद राधा भी प्रसन्न होकर उनपर फूल फेकने लगीं। ये देखकर गोपियां और ग्वाल सब एक-दूसरे पर फूल बरसाने लगे।

कहा जाता है कि हर वर्ष मथुरा में इस दिन फूलों की होली खेलने की परंपरा शुरू हुई। तभी से ‘फुलेरा दूज’ का यह पर्व बहुत ही धूम-धाम से मनाया जाने लगा !

इसके साथ ही यह दिन भगवान कृष्ण की कृपा पाने के लिए भी विशेष है। इस दिन श्री कृष्ण जी को सच्चे मन से चढ़ावा अर्पित करने से उनका विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।

भक्तों, हम आशा करते हैं कि आपको फुलेरा दूज की संपूर्ण जानकारी मिल गई होगी। व्रत, पूजा व अन्य धार्मिक जानकारियों के लिए जुड़े रहिए धार्मिक सुविचार पर।

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