Sheetala Ashtami 2024 :शीतला सप्तमी होली पर्व के सात दिन बाद चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी को मनाई जाती है। इस दिन मां दुर्गा के स्वरूप माता शीतला की उपासना की जाती है। और शीतला अष्टमी के दिन उन्हें बासी भोजन का भोग लगाया जाता है। यह व्रत संतानवती स्त्रियां प्रमुख रूप से अपनी संतान के उत्तम स्वास्थ्य व उनकी दीर्घायु की कामना के लिए करती हैं।
शीतला सप्तमी – 01 अप्रैल, सोमवार
शीतला सप्तमी पूजा मुहूर्त – 05:49 AM से 06:14 PM
सप्तमी तिथि प्रारम्भ- 31 मार्च, 09:30 PM
सप्तमी तिथि समाप्त – 01 अप्रैल, 09:09 PM
Sheetala Ashtami 2024: शीतला सप्तमी तिथि के अन्य शुभ मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त- 04:16 AM से 05:02 AM तक
प्रातः सन्ध्या – 04:39 AM से 05:48 AM तक
अभिजित मुहूर्त – 11:37 AM से 12:26 PM तक
विजय मुहूर्त – 02:06 PM से 02:56 PM तक
गोधूलि मुहूर्त – 06:14 PM से 06:37 PM तक सायाह्न सन्ध्या 06:15 PM से 07:24 PM तक
अमृत काल – 06:05 PM से 07:40 PM
विशेष योग
रवि योग – 05:49 AM से 11:12 PM
Sheetala Ashtami 2024: जानिए पूजा का सही समय
शीतला अष्टमी हर वर्ष चैत्र मास की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। इसे बासोड़ा पूजा के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, पूर्ण आस्था से शीतला मां की उपासना करने से संतान को उत्तम स्वास्थ्य व दीर्घायु प्राप्त होती है, और उनके सारे कष्ट दूर होते हैं। आपको बता दें कि शीतला अष्टमी पर शीतला माता को बासी भोजन का भोग लगाने की भी परंपरा है।
शीतला अष्टमी – 02 अप्रैल (चैत्र, कृष्ण अष्टमी)
शीतला अष्टमी पूजा मुहूर्त – 05:48 AM से 06:15 PM
अष्टमी प्रारम्भ – 02 अप्रैल, 09:09 PM
अष्टमी समाप्त – 03 अप्रैल, 08:08 PM
Sheetala Ashtami 2024: शीतला अष्टमी पर बासी भोग का महत्व जानें
शीतला अष्टमी के दिन बासोड़ा पर शीतला मां को बासी भोजन का भोग लगता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि क्यों है ऐसा और क्या है इसका रहस्य ?
इस लेख में,
1. क्या है शीतला अष्टमी या बासोड़ा ?
2. दिन क्यों चढ़ता है बासी भोजन का भोग ?
1. क्या है शीतला अष्टमी या बासोड़ा ?
शीतला अष्टमी को बासोड़ा पूजा भी कहा जाता है। यह माता शीतला को समर्पित एक महत्वपूर्ण तिथि है। होली के बाद कृष्ण पक्ष अष्टमी को मनाई जाती है। गुजरात, राजस्थान और उत्तर प्रदेश जैसे उत्तर भारतीय राज्यों में इस दिन का अत्यंत महत्व है। इसे कई स्थानों पर बसियौरा नाम से भी जाना जाता है।
प्राचीन मान्यताओं के अनुसार शीतला अष्टमी के दिन शीतला माता के आशीर्वाद से चेचक, खसरा और आंखों से जुड़ी समस्या ठीक होने का आर्शीवाद प्राप्त होता है। इस दिन व्रत एवं पूजन किये जाने का विधान है।
2. इस दिन क्यों चढ़ता है बासी भोजन का भोग ?
चैत्र मास के कृष्ण पक्ष में शीतला अष्टमी या बासोड़ा के दिन भक्तजन मां शीतला को बासी भोजन का भोग लगाते हैं। बासोड़ा प्रथा के अनुसार इस दिन खाना पकाने के लिए आग नहीं जलाई जाती। बासी भोजन की वजह से ही इस व्रत का नाम बसोड़ा पड़ा जिसका अर्थ होता है बासी भोजन। इस दिन का भोजन एक दिन पूर्व ही तैयार कर लिया जाता है और शीतला अष्टमी के दिन माता को इसका भोग लगाया जाता है।
कहा जाता है इस दिन के बाद से बासी भोजन खाने से परहेज करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि देवी शीतला चेचक और खसरा आदि को नियंत्रित करती हैं। इन बीमारियों के प्रकोप को दूर करने के लिए भक्त जन उनकी पूजा-अर्चना करते हैं।
शीतला मां की कृपा से आप परिवार सहित स्वस्थ रहें।
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