Varaha Jayanti 2024:भगवान विष्णु के तीसरे अवतार के अवतरण होने की तिथि को हर साल वराह जयंती के रूप में बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है। भगवान विष्णु के वराह अवतार को उद्धारक देवता के रूप में भी जाना जाता है। तो आइए, हम आपको प्रभु के इस अवतार के से जुड़ी संपूर्ण जानकारी से अवगत कराते है।
इस लेख में जानिये-
1. वराह जयंती कब है?
2. वराह जयंती का महत्व क्या है?
3. वराह जयंती से जुड़ी पौराणिक मान्यता
4. इन मंदिरों में होता है विशेष आयोजन
Varaha Jayanti 2024:वराह जयंती कब है?
वराह जयंती, भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन मनाई जाती है।
• इस साल वराह जयन्ती 06 सितंबर 2024, शुक्रवार को पड़ रही है।
• वराह जयन्ती मुहूर्त – 01:11 PM से 03:41 PM तक रहेगा
• अवधि – 02 घण्टे 30 मिनट्स
• तृतीया तिथि प्रारम्भ – 05 सितम्बर 2024 को 12:21 PM बजे से
• तृतीया तिथि समाप्त 06 सितम्बर 2024 को 03:01 PM बजे तक होगा।
Varaha Jayanti 2024:वराह जयंती के दिन के शुभ मुहूर्त
•ब्रह्म मुहूर्त- 04:09 AM से 04:55 AM तक
• प्रातः सन्ध्या 04:32 AM से 05:41 AM तक
• अभिजित मुहूर्त 11:31 AM से 12:21 PM तक
• विजय मुहूर्त – 02:01 PM से 02:51 PM तक
• गोधूलि मुहूर्त – 06:11 PM से 06:34 PM तक
• सायाह सन्ध्या 06:11 PM से 07:20 PM तक
• अमृत काल 05:20 AM, से 07:08 AM (07 सितम्बर)
• निशिता मुहूर्त – 11:33 PM से 12:19 AM, (07 सितम्बर)
Varaha Jayanti 2024:वराह जयंती का महत्व क्या है
हिंदू धर्म में वराह जयंती के पर्व का एक विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु और उनके वराह स्वरुप की पूजा करने से, इंसान के जीवन में खुशियों का संयोग बनता है। ऐसा भी माना जाता है, कि जो लोग वराह जयंती का व्रत सच्चे मन से रखते हैं, उनका सोया हुआ भाग्य जाग जाता है। साथ ही जातक की आर्थिक स्थिति भी बेहतर होती है।
भगवान विष्णु ने वराह का कल्याणकारी अवतार बुरी शक्तियों का अंत करने के लिए लिये लिया था, ऐसे में इस दिन उनकी पूजा करने वाले मनुष्य की सभी भूल व पाप नष्ट हो जाते हैं। इसके अलावा वराह जयंती की पूजा के बाद इस दिन जरुरतमंदों को धन, वस्त्र व अन्य चीजों का दान करने से भगवान विष्णु की असीम कृपा प्राप्त होती है।
Varaha Jayanti 2024:वराह जयंती से जुड़ी पौराणिक मान्यता
पौराणिक कथाओं के अनुसार, वराह अवतार में भगवान विष्णु आधे शुकर एवं आधे इंसान के रूप में अवतरित हुए थे। अपने इस अवतार में भगवान विष्णु ने हिरण्याक्ष नामक दैत्य का अन्त करके संपूर्ण जगत की रक्षा की थी। तभी से भगवान विष्णु के इस स्वरुप की पूजा की जाती है, और इस अवतार के जन्मोत्सव को वराह जयंती के रूप में मनाया जाता है।
Varaha Jayanti 2024:इन मंदिरों में होता है विशेष आयोजन
वराह जयंती देश के कई हिस्सों में बहुत धूमधाम से मनाई जाती है। वहीं, देश के कुछ मंदिर ऐसे भी हैं, जहाँ इस त्योहार में भगवान के दर्शन के लिये, भक्तों की भीड़ लगी रहती है। ऐसा ही एक मंदिर, तिरुमाला में स्थित ‘भुवराह स्वामी मंदिर’ है। इस मंदिर का निर्माण लगभग 16वीं शताब्दी में हुआ था। यहाँ वराह जयंती के दिन भगवान विष्णु के वराह अवतार की मूर्ति को नारियल के पानी से नहलाया जाता है, फिर उनकी पूजा की जाती है।
ऐसा ही एक और पुराना मंदिर भारतीय राज्य मध्य प्रदेश के छतरपुर क्षेत्र में भी मौजूद है, जिसका निर्माण 11 वीं शताब्दी में हुआ था। यह मंदिर “वराह मंदिर खजुराहो” के नाम से प्रसिद्ध है और इस स्मारक को, यूनेस्को विश्व धरोहर में भारत का एक धरोहर क्षेत्र भी माना गया है। भगवान वराह के जन्मदिन पर यहाँ भव्य आयोजन किया जाता है।
तो भक्तों, यह थी वराह जयंती से जुड़ी विशेष जानकारी। हमारी कामना है कि वराह भगवान आप पर अपनी कृपा बनाए रखें, और आपको प्रभावित करने वाली सभी नकारात्मक शक्तियों का नाश करें।
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