मौनी अमावस्या 2025: Mauni Amavasya 2025 मौनी अमावस्या शाही स्नान सम्पूर्ण जानकारी Mauni Amavasya 2025: Discover the Divine Power of Silence and the Royal Bath

Mauni Amavasya 2025:माघ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को ‘मौनी अमावस्या’ कहा जाता है। कुंभ मेले में दूसरा शाही स्नान मौनी अमावस्या के दिन किया जाता है। मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन जैन धर्म के पहले तीर्थंकर ऋषभ देव ने लंबी तपस्या के बाद अपना मौन व्रत तोड़ा था और संगम स्नान किया था। इसके अलावा, पुराणों में ये भी वर्णन मिलता है कि माघ अमावस्या के दिन भगवान मनु का जन्म हुआ था, इसलिए भी इसे मौनी अमावस्या कहा जाता है। मौनी अमावस्या पर मौन व्रत रखने, गंगा के अमृतमय जल में स्नान करने व पितरों का तर्पण करने से जातक को पुण्य प्राप्त होता है और पितरों को शांति मिलती है।

Mauni Amavasya 2025

Mauni Amavasya 2025:मौनी अमावस्या शाही स्नान मुहूर्त-

• मौनी अमावस्या 29 जनवरी, बुधवार को मनाई जाएगी।

• अमावस्या तिथि 28 जनवरी 2025 को शाम 07 बजकर 35 मिनट पर प्रारंभ होगी।

• अमावस्या तिथि का समापन 29 जनवरी 2025 को शाम 06 बजकर 05 नवम्बर पर होगा।

Mauni Amavasya 2025: महाकुंभ में स्नान दान का महत्व

• महाकुंभ का आयोजन हर 12 वर्षों में किया जाता है। 2025 में महाकुंभ का आयोजन प्रयागराज में 13 जनवरी से 26 फरवरी तक किया जाएगा। इस दौरान करोड़ों श्रद्धालु त्रिवेणी संगम में पवित्र स्नान करके अपना जीवन धन्य करेंगे।

• महाकुंभ में किए गए स्नान, दान और पूजा को मोक्ष प्राप्ति का माध्यम माना गया है। इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने से व्यक्ति के सभी पापों का नाश होता है। साथ ही, इस दिन किया गया दान-पुण्य भी विशेष फलदायक होता है। मान्यता है कि इस दिन किए गई स्नान दान से सिर्फ ईश्वर ही नहीं, बल्कि पितरों का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है।

Mauni Amavasya 2025:महाकुंभ पूजा विधि

• ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्यकर्म से निवृत्त हो जाएं

• अब अपनी आस्था के अनुसार ईश्वर का ध्यान करें और पवित्र नदी को प्रणाम करें।

नदी में प्रवेश से पहले गंगा स्तुति या ‘ॐ गंगे च यमुने चैव गोदावरि सरस्वति। नर्मदे सिंधु कावेरी जलऽस्मिन सन्निधिं कुरु ।।” का जाप करें।

• अब त्रिवेणी संगम में तीन बार डुबकी लगाएं।

• इसके बाद सूर्य को अर्घ्य दें।

• स्नान के बाद वस्त्र, भोजन, तिल, चावल, आटा आदि का दान करें।

• इसके बाद संगम तट पर आरती करें, और अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करें।

Mauni Amavasya 2025:महाकुंभ में दान का महत्व

महाकुंभ में दान को असंख्य पुण्य प्रदान करने वाला माना गया है। मान्यता है कि इस अवधि में किया गया दान न केवल इस जन्म में, बल्कि अगले जन्म में भी शुभ फल प्रदान करता है। इस दिन किए गए दान से जातक को जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति मिलती है, पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है, और ग्रह दोष समाप्त होते हैं। ध्यान रहे कि दान हमेशा श्रद्धा और निःस्वार्थ भाव से करें।

Mauni Amavasya 2025

Mauni Amavasya 2025: महाकुंभ में दान की विधि

• आर्थिक समृद्धि और सुख-शांति के लिए चावल का दान करें।

• दरिद्रता को समाप्त करने के लिए वस्त्र दान करें।

• पितृ दोष से छुटकारा दिलाने और ग्रह दोषों को शांत करने के लिए तिल का दान करें।

• अन्न के अभाव से बचने और समृद्धि लाने के लिए आटा का दान करें।

तो यह थी ‘मौनी अमावस्या शाही स्नान’ से जुड़ी विशेष जानकारी। महाकुंभ 2025 के विशेष दिनों के बारे में अधिक जानकारी के लिए जुड़े रहिए ‘धार्मिक सुविचार’ पर।

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Mauni Amavasya 2025

 

 

 

Mauni Amavasya 2025 FAQs

मौनी अमावस्या 2025 कब है?
मौनी अमावस्या 2025 29 जनवरी को है। यह माघ मास की अमावस्या तिथि पर मनाई जाती है।

मौनी अमावस्या का महत्व क्या है?
मौनी अमावस्या का महत्व आत्मशुद्धि, मौन साधना और पवित्र नदियों में स्नान के लिए है। इस दिन गंगा, यमुना और संगम में स्नान करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

शाही स्नान क्या है?
शाही स्नान (Royal Bath) मौनी अमावस्या का सबसे प्रमुख आयोजन है। इस दिन साधु-संत और लाखों श्रद्धालु पवित्र नदियों में डुबकी लगाते हैं। इसे बेहद शुभ और आत्मिक ऊर्जा से भरपूर माना जाता है।

मौनी अमावस्या पर क्या-क्या करना चाहिए?
मौनी अमावस्या पर मौन व्रत रखना, पवित्र नदियों में स्नान करना, ध्यान करना, दान-पुण्य करना, पितरों को तर्पण देना और गौ सेवा करना शुभ माना जाता है।

मौन व्रत का क्या महत्व है?
मौन व्रत से मन और आत्मा की शुद्धि होती है। यह आत्मनिरीक्षण और आंतरिक शांति प्राप्त करने का साधन है। मौनी अमावस्या पर मौन व्रत रखने से ईश्वर का आशीर्वाद मिलता है।

क्या मौनी अमावस्या पर दान करना जरूरी है?
जी हाँ, मौनी अमावस्या पर दान का विशेष महत्व है। अन्न, वस्त्र, धन और भोजन का दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

मौनी अमावस्या पर स्नान का सही समय क्या है?
मौनी अमावस्या पर स्नान का सबसे शुभ समय ब्रह्म मुहूर्त (सूर्योदय से पहले का समय) है। इस समय स्नान करने से अधिक पुण्य फल प्राप्त होता है।

मौनी अमावस्या का संबंध कुंभ मेले से क्या है?
जब मौनी अमावस्या कुंभ मेले के दौरान आती है, तो यह सबसे शुभ दिन माना जाता है। इस दिन संगम पर लाखों श्रद्धालु स्नान करते हैं।

क्या मौनी अमावस्या केवल भारत में मनाई जाती है?
मुख्य रूप से मौनी अमावस्या भारत में मनाई जाती है, लेकिन विश्वभर में भारतीय समुदाय के लोग इसे श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाते हैं।

मौनी अमावस्या पर ध्यान करने के लाभ क्या हैं?
इस दिन ध्यान करने से मानसिक शांति, सकारात्मकता, और आत्मा की गहराई को अनुभव किया जा सकता है। मौन साधना से आत्मिक ऊर्जा और आंतरिक शक्ति बढ़ती है।

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