Mahalakshmi Vrat 2024:धन की देवी मा लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए भाद्रपद मास में 16 दिन के महालक्ष्मी व्रत का अनुष्ठान किया जाता है। महालक्ष्मी व्रत का आरंभ भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से होता है, और ये व्रत अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर समाप्त होता है। मान्यता है इस व्रत में मां लक्ष्मी की उपासना करने से धन, ऐश्वर्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
महालक्ष्मी व्रत कब है
•महालक्ष्मी व्रत 11 सितम्बर 2024, बुधवार से आरंभ होगा।
• अष्टमी तिथ 10 सितम्बर 2024, मंगलवार को रात 11 बजकर 11 मिनट से प्रारम्भ होगी।
• अष्टमी तिथि का समापन 11 सितम्बर 2024, बुधवार को रात 11 बजकर 46 मिनट पर होगा।
• चन्द्रोदय दोपहर 12 बजकर 46 मिनट पर होगा।
• महालक्ष्मी व्रत 24 सितम्बर 2024, मंगलवार को पूर्ण होगा।
• इस साल संपूर्ण महालक्ष्मी व्रत 14 दिनों का होगा।
अष्टमी के शुभ मुहूर्त –
• ब्रह्म मुहूर्त 04:10 AM से 04:56 AM
• प्रातः सन्ध्या 04:33 AM से 05:42 AM
• अभिजित मुहूर्त कोई नहीं
• विजय मुहूर्त – 01:58 PM से 02:48 PM
• गोधूलि मुहूर्त – 06:06 PM से 06:29 PM
• सायाह्न सन्ध्या 06:06 PM से 07:16 PM
•अमृत काल 12:05 PM से 01:46 PM
• निशिता मुहूर्त- 11:31 PM से 12:18 AM, (12 सितम्बर)
• रवि योग – 09:22 PM से 05:43 AM, (12 सितम्बर)
महालक्ष्मी व्रत का महत्व
महालक्ष्मी व्रत माता लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए बहुत ही महत्त्वपूर्ण माना गया है। महालक्ष्मी व्रत भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से प्रारम्भ होता है और अगले 16 दिनों तक चलता है। इस व्रत का समापन आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को होता है। तिथियों के घटने-बढ़ने के आधार पर, उपवास की अवधि पन्द्रह दिन या सत्रह भी हो सकती है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार महालक्ष्मी व्रत के अनुष्ठान से दुख, दरिद्रता का नाश होता है। कहा जाता है कि इस व्रत के प्रताप से खोया हुआ धन, राज-पाट, संपत्ति व सम्मान पुनः प्राप्त होता है। इससे जुड़ी एक कथा के अनुसार जब पांडव चौपड़ में अपना सब कुछ हार गये थे, तब श्रीकृष्ण ने उन्हें महालक्ष्मी व्रत का अनुष्ठान करने के लिए कहा था।
कैसे करें कम दिनों का महालक्ष्मी व्रत
धन प्राप्ति और सुखी समृद्ध जीवन के लिए रखा जाने वाला महालक्ष्मी व्रत स्त्रियों के साथ-साथ पुरुष भी रख सकते हैं। वैसे ये व्रत 16 दिनों का होता है, लेकिन यदि आपके लिए सोलह दिनों तक व्रत रखना संभव न हो, तो पहले, आठवें और अंतिम दिन उपवास रखकर भी महालक्ष्मी जी कृपा प्राप्त की जा सकती है। हालांकि माता की पूजा-अर्चना इस पर्व के 16 दिनों तक नियमित रूप से करते रहे
महालक्ष्मी व्रत पूजा विधि
• ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहने, फिर व्रत का संकल्प ले।
• इसके बाद पूजा स्थल को स्वच्छ करके एक चौकी रखें।
• इस चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर श्री महालक्ष्मी की मूर्ति या तस्वीर की स्थापना करें।
• अब एक कलश में जल भरकर उसमें पाच पान के पत्ते और नारियल रखकर उसे स्थापित करें।
• कलश को विशेष रूप से लाल रंग के धागे और लाल कपडे से सजाएँ।
• इसमें कुछ सिक्के और चावल भी रखें एवं सिंदूर से स्वस्तिक का चिन्ह बनाएँ।
• अब महालक्ष्मी को पंचामृत से स्नान करवाएं
• मां को सिंदूर, कुमकुम आदि लगाकर उनका श्रंगार करें।
•अब धूप और दीप प्रज्वलित करें।
• मा को पुष्प हार पहनाएं, और संभव हो तो उन्हें इस दिन कमल का फूल अर्पित करें।
• अब एक पान पर लौंग, बताशा, 1 रुपया और छोटी इलायची रखकर माता को चढ़ाएं।
• महालक्ष्मी देवी की पूजा थाल में चांदी के सिक्के, फल और फूल भी रखे।
• अब लक्ष्मी माता के विभन्न नामों और मंत्रों का जाप करें।
• इसके बाद महालक्ष्मी व्रत की कथा सुने, या पढ़े।
फिर अंत में माता की आरती करें, और पूजा में हुई किसी भी भूल के लिए क्षमा-प्रार्थना करें।
महालक्ष्मी व्रत के लाभ
किसी विशेष मनोकामना पूर्ति के लिए महालक्ष्मी देवी के साथ विष्णु जी की भी आराथना करें।
धन-समृद्धि पाने के लिए माता महालक्ष्मी को गुलाब का पुष्प चढ़ाकर फिर उसे किसी कपड़े में लपेटकर तिजोरी में रखें।
कार्यक्षेत्र में सफलता प्राप्ति के लिए महालक्ष्मी व्रत के 16 दिनों तक हर सुबह स्नान करके तुलसी माता को जल चढ़ाएं।
सुख शांति पाने की इच्छा रखने वाले जातक महालक्ष्मी व्रत के दौरान दान पुण्य अवश्य करें।
हमारी कामना है कि आपका ये व्रत सफल हो, और माता महालक्ष्मी आपकी मनोकामना शीघ्र पूर्ण करें।
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