माघ कृष्ण प्रदोष व्रत,पूजा विधि ,तैयारी,संपूर्ण पूजन सामग्री,विशेष मंत्र और आरती

प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित है। अगर आप भगवान शिव और माता पार्वती के आशीष से जीवन में सुख-समृद्धि पाने की कामना करते हैं और जीवन के उपरांत मोक्ष प्राप्त करना चाहते हैं, तो यह व्रत आपके लिए अत्यंत लाभकारी सिद्ध होगा।

प्रदोष व्रत

हिंदू पंचांग के अनुसार, हर माह में शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत रखा जाता है। चलिए जानते हैं, साल 2024 में माघ माह के कृष्ण पक्ष में प्रदोष व्रत कब किया जाएगा

• माघ कृष्ण प्रदोष व्रत 07 फरवरी, 2024 बुधवार को किया जाएगा।

• त्रयोदशी तिथि का प्रारम्भ 07 फरवरी, बुधवार को दोपहर 02 बजकर 02 मिनट पर होगा।

• त्रयोदशी तिथि का समापन 08 फरवरी, गुरुवार को दिन में 11 बजकर 17 मिनट पर होगा।

• प्रदोष काल का समय 07 फरवरी, बुधवार को शाम 05 बजकर 46 मिनट से रात में 08 बजकर 20 मिनट तक रहेगा

प्रदोष व्रत की पूजा विधि

भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए, घर में सुख-समृद्धि के आगमन के लिए और जीवन के पश्चात् मोक्ष की प्राप्ति के लिए यह पूजा अत्यंत लाभदायक है। हम बात कर रहे हैं, प्रदोष व्रत की और आज हम आपको विस्तार से बताएंगे कि आपको यह पूजा विधिवत किस प्रकार से करनी चाहिए-

• इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर शिव जी का स्मरण करें और व्रत का संकल्प लें।

• इसके बाद पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान आदि करके सभी नित्य कर्मों से निवृत हो जाएं।

• अब स्वच्छ कपड़े धारण करके सूर्यदेव को जल का अर्घ्य दें।

• सूर्य देव को अर्घ्य देते हुए, ‘ॐ सूर्याय नमः’ मंत्र का जाप करें।

• इसके बाद घर में मंदिर में दैनिक पूजा पाठ करें।

कैसे करें तैयारी

• की पूजा प्रदोष काल में होती है, लेकिन आप पूजा से संबंधित सभी सामग्री पहले ही एकत्रित कर लें।

• पूजा की सामग्री की सूची श्री मंदिर पर उपलब्ध है।

• इसके बाद उत्तर-पूर्व यानी ईशान कोण में एक चौकी की स्थापना करें।

• चौकी पर सफेद कपड़ा बिछाएं।

• अब इसपर गंगाजल का छिड़काव करें।

• इस चौकी पर भगवान शिव, भगवान गणेश और माता पार्वती की प्रतिमा या चित्र को स्थापित करें।

साथ ही एक शिवलिंग को भी एक थाली में रखें।

प्रदोष काल में शुरू करें पूजा

• सभी प्रतिमाओं पर गंगाजल का छिड़काव करें।

• इसके बाद पूजन स्थल पर घी का दीप प्रज्वलित करें।

• अब सभी प्रतिमाओं को तिलक करें।

• भगवान शिव को चंदन का तिलक लगाएं, भगवान गणेश को हल्दी-कुमकुम का तिलक लगाएं और माता पार्वती को भी कुमकुम का तिलक लगाएं।

• इसके बाद सभी प्रतिमाओं को अक्षत अर्पित करें।

• अब सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करें, उन्हें जनैऊ, दूर्वा, पान-सुपारी, लौंग, इलायची, लाल पुष्प, पुष्प माला, धूप, दीप, भोग, दक्षिणा आदि अर्पित करें।

अब आप पंचामृत से शिवलिंग का अभिषेक करें और फिर गंगाजल से अभिषेक करें।

• इसके बाद शिवलिंग पर भांग, धतूरा, आक का फूल, बिल्वपत्र आदि अर्पित करें।

• अगर घर में शिवलिंग नहीं है तो किसी मंदिर में जाकर शिवलिंग का अभिषेक करें।

• भगवान शिव जी की प्रतिमा पर भी पुष्प माला, सफेद पुष्प, बिल्व पत्र, आक का फूल, भांग, धतूरा अर्पित करें।

• माता पार्वती को श्रृंगार की सामग्री, मौली, पुष्प, पुष्प माला अर्पित करें।

• अब प्रदोष व्रत कथा पढ़ें, यह श्री मंदिर पर उपलब्ध है।

• आप शिव चालीसा भी पढ़ सकते हैं, या 108 बार महामृत्युंजय मंत्र का जाप भी कर सकते हैं।

• अंत में धूप-दीप से भगवान शिव और माता पार्वती की आरती उतारें।

इस प्रकार आपकी प्रदोष व्रत की पूजा विधिवत पूर्ण हो जाएगी। हम आशा करते हैं, आपकी पूजा फलीभूत हो।

प्रदोष व्रत संपूर्ण पूजन सामग्री

प्रदोष व्रत करने वाले सभी भक्तों के लिए आज हम संपूर्ण पूजन सामग्री लेकर आए हैं। आप व्रत से पहले यह सभी सामग्री एकत्रित कर लें, जिससे आपके व्रत में कोई भी बाधा न आए।

प्रदोष व्रत

सामान्य सामग्री-

1. भगवान भोलेनाथ, माता पार्वती, भगवान गणेश की प्रतिमा या चित्र (आप भगवान शिव के पूरे परिवार का चित्र भी ले सकते हैं)

2. शिवलिंग

3. सफेद या पीला चंदन

4. हल्दी या हल्दी की गांठ

5. कुमकुम

6. अक्षत

7. धूप

8. घी का दीपक

9. फल

10. मिठाई

11. मौली

12. इत्र

13. पुष्प माला

14. जल पात्र

15. कपूर

16. लोंग

17. इलायची

18. सुपारी

19. पान

20. घंटी

21. दक्षिणा

पंचामृत के लिए सामग्री-

1. कच्चा दूध

2. दही

3. शहद

4. गंगाजल

5. मिश्री

6. घी

भगवान शिव को अर्पित करने के लिए सामग्री

1. धतूरा

2. सफेद पुष्प

3. सफेद पुष्प की माला

4. आक के फूल

5. बिल्वपत्र

6. सफेद रंग की मिठाई

भगवान गणेश जी को अर्पित करने के लिए सामग्री-

1. दूर्वा

2. लाल-पीले पुष्प

3. जनेऊ

माता पार्वती को अर्पित करने के लिए सामग्री-

16 श्रृंगार की सामग्री अथवा जो भी सुहाग की सामग्री आपके पास उपलब्ध हो।

प्रदोष व्रत – विशेष मंत्र और आरती

हिंदू धर्म के अनुसार, त्रयोदशी तिथि भगवान शिव को समर्पित है। प्रदोष व्रत में भी भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना का विधान है। माना जाता है कि अगर इस दिन शिवजी की पूजा सच्चे मन से की जाए तो मनुष्य के सभी दुख-दर्द दूर हो जाते हैं।

प्रदोष व्रत

शिव भक्त प्रदोष व्रत के दिन शिवजी की आरती करते हैं साथ ही भजन भी गाते हैं। ऐसे में अगर इस व्रत के दौरान शिव जी के मंत्रों का जाप भी किया जाए तो भोलेनाथ बेहद प्रसन्न हो जाते हैं।

शिवजी के 10 प्रभावशाली मंत्रः

1. ॐ नमः शिवाय।

2. ॐ नमो नीलकण्ठाय।

3. ॐ पार्वतीपतये नमः।

4. ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय।

5. ॐ नमो भगवते दक्षिणामूर्तये महां मेधा प्रयच्छ स्वाहा।

6. ॐ ऊर्ध्व भू फट्।

7. ॐ ई क्षं में औं अं।

8. ॐ प्रौं हीं ठ।

9. महामृत्युंजय मंत्रः – ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् | उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ||

इस मंत्र का महत्व शिवपुराण में अत्यधिक बताया गया है। मान्यता है कि इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति के जीवन से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। साथ ही मृत्यु का भय भी नहीं रहता है।

10. रुद्र गायत्री मंत्र – ओम तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात।

इस मंत्र को भी बेहद शक्तिशाली बताया गया है। इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति के जीवन की सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं।

मान्यता है कि इन मंत्रों का जाप रुद्राक्ष की माला से करना चाहिए। जब भी आप मंत्र जपे तो इस बात का ध्यान जरूर रखें कि आपका मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर हो। साथ ही जाप करते समय शिवजी को बिल्वपत्र भी अर्पित करने चाहिए।

प्रदोष व्रत में अवश्य करें शिव जी की आरती, महादेव और माँ गौरा की कृपा से पूर्ण होंगी समस्त मनोकामनाएं।

ओम जय शिव ओंकारा॥ स्वामी जय शिव ओंकारा ॥

ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धगी धारा ॥ ओम जय शिव ओंकारा ॥

एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे। हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे॥ ओम जय शिव ओंकारा॥

दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे। त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे॥ ओम जय शिव ओंकारा॥

अक्षमाला वनमाला मुण्डमालाधारी। त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी ॥ ओम जय शिव ओंकारा॥

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे। सनकादिक गरुड़ादिक भूतादिक संगे ॥ ओम जय शिव ओंकारा ॥

कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूलधारी। मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे।। ओम जय शिव ओंकारा॥

पर्वत सोहें पार्वती, शंकर कैलासा। धतूर का भोजन, भस्मी में वासा॥ ओम जय शिव ओंकारा ॥

जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला। शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला ॥ ओम जय शिव ओंकारा॥

काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी। नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी ॥ ओम जय शिव ओंकारा॥

त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे। कहत शिवानन्द स्वामी, मनवान्छित ओम जय शिव ओंकारा॥ ओम जय शिव ओंकारा॥

इस प्रकार आप भी प्रदोष व्रत के दौरान भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती की भक्ति करें और उनका विशेष आशीर्वाद प्राप्त कर अपने जीवन को खुशहाल बनायें।

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