Chandra Grahan 2024: “2024 में चंद्र ग्रहण कब है” जाने संपूर्ण जानकारी

Chandra Grahan 2024: हम आज आपको चंद्र ग्रहण के बारे में बताने जा रहे हैं। चंद्रग्रहण एक खगोलीय घटना है। जिस वक़्त पृथ्वी चंद्रमा और सूर्य के बीच में होती है अर्थात जब पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है तो इस घटना को चंद्रग्रहण कहा जाता है।

Chandra Grahan 2024

कब है चंद्र ग्रहण ?

वर्ष 2024 का पहला चंद्र ग्रहण 25 मार्च 2024 को लगने जा रहा है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार 100 वर्षों बाद होली के दिन चंद्र ग्रहण लग रहा है।

चंद्रोदय का समय

चंद्र ग्रहण वाले दिन चंद्रमा उदय का समय 06 बजकर 44 मिनट पर होगा। वहीं चंद्र ग्रहण सुबह 10 बजकर 24 मिनट से आरंभ होगा और दोपहर 03 बजकर 01 मिनट तक रहेगा। आपको बता दें कि ये एक उपच्छाया ग्रहण होगा, जो कन्या राशि में लगेगा।

Chandra Grahan 2024: स्थानीय ग्रहण की अवधि

किसी स्थान विशेष में ग्रहण जिस अवधि के लिए दिखता है, वह उस जगह की स्थानीय ग्रहण अवधि कही जाती है। ऐसे में, इस बार यह ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा।

उपच्छाया स्पर्श समय

चन्द्रमा पर पड़ने वाली पृथ्वी की छाया, जहाँ पूरा अंधकार न होकर थोड़ी रौशनी होती है उसे उपच्छाया कहते है। ऐसे में वर्ष के प्रथम चंद्र ग्रहण का उपच्छाया से पहला स्पर्श सुबह 10 बजकर 24 मिनट पर और अंतिम स्पर्श दोपहर 03 बजकर 01 मिनट पर होगा।

परम ग्रास

परम ग्रास चंद्र ग्रहण दोपहर 12 बजकर 43 मिनट पर होगा।

सूतक कालः 

सूतक काल को एक प्रकार से अशुभ काल माना जाता है और इस अवधि में कोई भी मांगलिक या शुभ कार्य नहीं किया जाता। माना जाता है कि ग्रहण लगने से 9 घण्टे पहले ही सूतककाल प्रारंभ हो जाता है, लेकिन 25 मार्च को लगने वाला चंद्र ग्रहण भारत में नहीं दिखेगा, इसलिए सूतककाल भी मान्य नहीं होगा।

Chandra Grahan 2024: कहां दिखेगा पहला चंद्र ग्रहण ?

होली पर लगने वाला साल 2024 का पहला चंद्र ग्रहण आयरलैंड, इंग्लैंड, स्पेन, पुर्तगाल, हॉलैंड, बेल्जियम, नार्वे, स्विट्जरलैंड, इटली, जर्मनी, फ्रांस, अमेरिका, जापान, रूस, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, प्रशांत, अटलांटिक, आर्कटिक और अंटार्कटिका के कुछ भागों में देखा जाएगा।

Chandra Grahan 2024

तो ये थी 25 मार्च 2024 को लगने वाले साल के पहले चंद्रग्रहण से संबंधित जानकारी। उम्मीद है यह जानकारी आपके लिए उपयोगी होगी। ऐसे ही अन्य धार्मिक विषय में अवगत होने के लिए बने रहिए ‘धार्मिक सुविचार’ के साथ।

क्या है चन्द्र ग्रहण का रहस्य ?

Chandra Grahan 2024:भौतिक विज्ञान के अनुसार चंद्र ग्रहण का कारण

भौतिक विज्ञान की मान्यताओं के अनुसार, चंद्र ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा पृथ्वी की छाया में चला जाता है या पृथ्वी की छाया से गुजरता है। उस समय चंद्रमा पर पड़ रही सूर्य की रोशनी, पृथ्वी चन्द्रमा और सूर्य के बीच में आने से रुक जाती है। ऐसे में, जब पृथ्वी से रोशनी परिवर्तित होकर चंद्रमा पर पड़ती है, तब चंद्रग्रहण के समय चंद्रमा का रंग बदल कर लाल दिखता है। इतना ही नहीं, पृथ्वी की छाया चंद्र ग्रहण की अवधि में जब चंद्रमा पर पड़ती है, तब दो भागों में भी बंट जाती है जिसे उपच्छाया और प्रच्छाया कहा जाता है।

चन्द्रमा पर पड़ने वाली पृथ्वी की छाया जहाँ पूरा अंधकार न होकर थोड़ी रौशनी होती है उसे उपच्छाया कहते है चन्द्रमा पर पड़ने वाली पृथ्वी की छाया जहाँ पूरा अंधकार होता है उसे प्रच्छाया कहते है। यदि चंद्रमा पूरी तरह न होकर केवल आंशिक रूप से प्रच्छाया से निकलता है, लेकिन पूरी तरह पार नहीं करता है तब इस स्थिति को आंशिक चंद्रग्रहण कहा जाता है। वहीं, 08 नवंबर को होने वाला चंद्र ग्रहण पूर्ण चंद्र ग्रहण है। इस ग्रहण के समय चंद्रमा पूरी तरह से पृथ्वी की प्रच्छाया के भीतर छुप जाएगा।

ग्रहण के दौरान, पृथ्वी के वायुमंडल से बिना परिवर्तित हुए सूर्य की रोशनी चंद्रमा के जितने अंश पर पड़ेगी उतना अंश ही लाल रंग का दिखेगा। भारत में अधिकतर जगहों से आंशिक चंद्रग्रहण ही देखा जाएगा तथा पूर्ण चंद्र ग्रहण भारत के पूर्वी हिस्सों में ही दिखेगा।

Chandra Grahan 2024: ज्योतिष विज्ञान की दृष्टि से चंद्रग्रहण का कारण –

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सूर्य या चंद्रमा पर लगने वाले ग्रहण का संबंध राहु तथा केतु ग्रहों से है।

ऐसा कहा जाता है, कि समुद्र मंथन से उत्पन्न अमृत कलश से अमृत का पान जब केवल देवताओं को कराया जा रहा था और दैत्यों को नहीं, तब राहु दैत्य छुप कर देवताओं की पंक्ति में जाकर बैठ गया था और उसने भी अमृत का पान कर लिया था। सूर्य और चंद्र देव को इस बात का पता चल गया था। तभी से राहु, सूर्य और चंद्रमा को थोड़ी अवधि के लिए निगल लेता है। इसी घटना को सूर्यग्रहण और चंद्रग्रहण कहा जाता है।

ज्योतिष शास्त्र में ऐसा भी माना गया है, कि यदि ग्रहण आंखों से साफ देखा जा सकता हो तभी उसका महत्व होता है। इसके साथ ही, तभी ग्रहण का असर विभिन्न राशियों पर मान्य भी होता है, अन्यथा ग्रहण को अनदेखा कर दिया जाता है। ऐसे चंद्रग्रहण के विषय में कोई सावधानी नहीं बरती जाती है तथा ऐसे ग्रहण को पंचांग में भी दिखाया नहीं जाता है। ग्रहण वही मान्य होता है, जिसे नग्न आंखों द्वारा देखा जा सकता हो और तभी ग्रहण संबंधी नियमों का पालन किया जाता है और राशियों पर पड़ रहे ग्रहण के असर का विचार किया जाता है।

चंद्रग्रहण होने के लिए कौन सी शर्त पूरी होनी आवश्यक है ?

1. चंद्र ग्रहण केवल पूर्णिमा के दिन ही होता है।

2. चंद्र ग्रहण तभी संभव है, जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सरल रेखा में हों।

3. एक साल में अधिकतम तीन बार पृथ्वी के उपछाया से चंद्रमा गुजरता है, तभी चंद्रग्रहण लग सकता है।

4. चंद्र ग्रहण तभी संभव है, जब सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी आ जाती है और सूर्य की पूरी रोशनी चंद्रमा पर नहीं पड़ती।

आज हमने चंद्र ग्रहण के रहस्य से आपको अवगत कराया है। उम्मीद है यह जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित होगी।

ऐसे ही महत्वपूर्ण तथ्यों के विषय में अवगत होने के लिए जुड़े रहिये धार्मिक सुविचार से।

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