Kartik Purnima, Guru Nanak Jayanti, Dev Diwali 2025: एक साथ तीन त्योहारों का अद्भुत संगम | The Triple Celebration on Nov 5

क्या आपने कभी सोचा है कि एक ही दिन में तीन-तीन महान त्योहारों का अनुभव कैसा होता है? A day brimming with diverse spiritual energies, historical significance, and heartfelt celebrations? Well, get ready, because November 5, 2025, is set to be just such a day! इस दिन हम एक साथ कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima), गुरु नानक जयंती (Guru Nanak Jayanti), और देव दिवाली (Dev Diwali) मनाएंगे. यह सिर्फ एक संयोग नहीं, बल्कि एक अद्भुत आध्यात्मिक संगम है जो भारत की सांस्कृतिक विविधता और एकता को दर्शाता है.

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Kartik Purnima / Guru Nanak Jayanti / Dev Diwali (November 5, 2025)

Imagine the sacred chants of a Gurudwara blending with the soft glow of a million diyas on the Ganga ghats, and the serene prayers of a Kartik Snan. It’s truly a sight and a feeling to behold! इस लेख में, हम इन तीनों त्योहारों के महत्व, उनकी कहानियों और उन्हें मनाने के तरीकों पर गहराई से बात करेंगे. साथ ही, हम यह भी समझेंगे कि 5 नवंबर 2025 का यह दिन इतना खास क्यों है.

कार्तिक पूर्णिमा: पवित्रता और प्रकाश का पर्व | Kartik Purnima: A Festival of Purity and Light

कार्तिक पूर्णिमा हिंदू धर्म के सबसे पवित्र दिनों में से एक है. यह कार्तिक मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है, और 2025 में, यह शुभ तिथि 5 नवंबर को पड़ रही है. इस दिन का महत्व कई पौराणिक कथाओं और धार्मिक अनुष्ठानों से जुड़ा है.

कार्तिक पूर्णिमा का महत्व | The Significance of Kartik Purnima

इस दिन को ‘त्रिपुरी पूर्णिमा’ या ‘त्रिपुरारी पूर्णिमा’ के नाम से भी जाना जाता है. पता है क्यों? Because it commemorates Lord Shiva’s magnificent victory over the demon Tripurasura. त्रिपुरासुर ने तीनों लोकों में हाहाकार मचा रखा था, और भगवान शिव ने इस दिन उनका वध कर देवताओं और मनुष्यों को उनके अत्याचारों से मुक्ति दिलाई थी. यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, एक ऐसा संदेश जो हर युग में प्रासंगिक रहता है.

इसके अलावा, वैष्णव परंपरा में, कार्तिक पूर्णिमा का दिन भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार से भी जुड़ा है. माना जाता है कि इसी दिन भगवान विष्णु ने मत्स्य रूप धारण कर पृथ्वी और वेदों को प्रलय से बचाया था. यह दिन भगवान कृष्ण के दामोदर रूप की पूजा के लिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि कार्तिक मास को दामोदर मास भी कहा जाता है.

कार्तिक पूर्णिमा के अनुष्ठान और परंपराएं | Rituals and Traditions of Kartik Purnima

कार्तिक पूर्णिमा पर, भक्त कई पवित्र अनुष्ठान करते हैं जो उन्हें आध्यात्मिक शुद्धि और आशीर्वाद प्रदान करते हैं.

Kartik Purnima / Guru Nanak Jayanti / Dev Diwali (November 5, 2025)

1. पवित्र स्नान (Kartik Snan): इस दिन गंगा, यमुना, गोदावरी जैसी पवित्र नदियों में सुबह-सुबह स्नान करने का विशेष महत्व है. ऐसी मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा पर पवित्र जल में डुबकी लगाने से सभी पाप धुल जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है. Pushkar Lake in Rajasthan is particularly famous for this.

2. दीपदान (Deep Daan): मंदिरों, घरों और नदी के घाटों पर दीये जलाए जाते हैं. यह प्रकाश का पर्व है, जो अज्ञान के अंधकार को दूर कर ज्ञान और सकारात्मकता फैलाने का प्रतीक है.

3. पूजा और व्रत (Puja and Fasting): भगवान शिव, भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है. कई भक्त इस दिन व्रत भी रखते हैं और चंद्रमा दर्शन के बाद प्रसाद के साथ अपना व्रत खोलते हैं.

4. दान-पुण्य (Charity): दान करना इस दिन का एक और महत्वपूर्ण पहलू है. गरीबों, ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र और धन का दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है.

कार्तिक पूर्णिमा पांच दिवसीय उत्सव का समापन भी करती है, जो प्रबोधिनी एकादशी से शुरू होता है. यह पूरा महीना ही आध्यात्मिक रूप से बहुत ऊर्जावान माना जाता है.

गुरु नानक जयंती: ज्ञान और समानता का प्रकाश | Guru Nanak Jayanti: The Light of Wisdom and Equality

5 नवंबर 2025 को हम सिख धर्म के संस्थापक और पहले गुरु, श्री गुरु नानक देव जी का 556वां प्रकाश पर्व भी मनाएंगे. यह दिन सिख समुदाय के लिए सबसे पवित्र त्योहारों में से एक है, जो गुरु नानक देव जी के जन्म और उनके सार्वभौमिक संदेशों को याद करने का अवसर है.

गुरु नानक देव जी का जीवन और उपदेश | Life and Teachings of Guru Nanak Dev Ji

गुरु नानक देव जी का जन्म 1469 में तलवंडी (जो अब पाकिस्तान में ननकाना साहिब के नाम से जाना जाता है) में हुआ था. उन्होंने अपना पूरा जीवन एक ऐसे समाज की स्थापना के लिए समर्पित कर दिया जहां सभी लोग समानता, प्रेम और भाईचारे के साथ रहें. उनके उपदेशों का सार है:

Kartik Purnima / Guru Nanak Jayanti / Dev Diwali (November 5, 2025)

* एक ईश्वर में विश्वास (Ek Onkar): एक ही ईश्वर है, जो सर्वव्यापी और सर्वशक्तिमान है.

* ईमानदारी से जीवन यापन (Kirat Karni): ईमानदारी से मेहनत करो और अपना जीवन यापन करो.

* दूसरों की सेवा (Vand Chakko): जो कुछ भी तुम्हारे पास है, उसे दूसरों के साथ बांटो और निस्वार्थ सेवा करो.

* जाति-पाति का खंडन: उन्होंने जाति व्यवस्था और सामाजिक भेदभाव का पुरजोर विरोध किया, सबको एक समान माना.

गुरु नानक देव जी ने सिखाया कि सच्ची भक्ति बाहरी दिखावे या कर्मकांडों में नहीं, बल्कि मन की शुद्धता और निस्वार्थ सेवा में निहित है. उनके उपदेश आज भी लाखों लोगों को प्रेरणा देते हैं.

गुरु नानक जयंती कैसे मनाएं? | How to Celebrate Guru Nanak Jayanti?

गुरु नानक जयंती की तैयारियां आमतौर पर दो दिन पहले से ही शुरू हो जाती हैं:

1. अखंड पाठ (Akhand Path): गुरुद्वारों में गुरु ग्रंथ साहिब का 48 घंटे का अखंड पाठ किया जाता है, जिसमें पवित्र ग्रंथ का लगातार पाठ होता है.

2. नगर कीर्तन (Nagar Kirtan): प्रकाश पर्व से एक दिन पहले, “पंज प्यारे” (पांच प्यारे सिख) के नेतृत्व में एक भव्य शोभा यात्रा (नगर कीर्तन) निकाली जाती है. इसमें भक्त भजन-कीर्तन करते हुए चलते हैं, गुरु नानक जी के संदेशों का प्रचार करते हैं.

3. लंगर (Langar): गुरु नानक जयंती के दिन गुरुद्वारों में विशेष सभाएं आयोजित की जाती हैं, जहां कीर्तन और कथाएं होती हैं. इसके बाद ‘लंगर’ का आयोजन किया जाता है, जहां जाति, धर्म, लिंग या सामाजिक स्थिति की परवाह किए बिना सभी लोगों को एक साथ भोजन परोसा जाता है. यह समानता और निस्वार्थ सेवा का प्रतीक है.

4. प्रसाद और सेवा: घरों में भी लोग अरदास करते हैं, कड़ा प्रसाद बनाते हैं और गरीबों की सेवा करते हैं. यह दिन हमें गुरु नानक जी के आदर्शों को अपने जीवन में उतारने की प्रेरणा देता है.

5 नवंबर 2025 को, जब हम गुरु नानक जयंती मनाएंगे, तो यह सिर्फ एक छुट्टी का दिन नहीं होगा, बल्कि ज्ञान, समानता और निस्वार्थ सेवा के उन शाश्वत मूल्यों को याद करने का एक अवसर होगा जो गुरु नानक देव जी ने हमें सिखाए थे.

देव दिवाली: देवताओं की दिवाली काशी में | Dev Diwali: The Diwali of Gods in Kashi

क्या आपको पता है कि वाराणसी में दिवाली के 15 दिन बाद भी एक और दिवाली मनाई जाती है? जी हाँ, इसे देव दिवाली या देव दीपावली कहते हैं, और 2025 में, यह भी 5 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के साथ ही पड़ रही है. यह त्योहार मुख्य रूप से वाराणसी के घाटों पर अपनी भव्यता के लिए जाना जाता है, जहाँ लाखों दीये गंगा नदी को रोशन करते हैं.

Kartik Purnima / Guru Nanak Jayanti / Dev Diwali (November 5, 2025)

देव दिवाली का महत्व | The Significance of Dev Diwali

देव दिवाली का शाब्दिक अर्थ है “देवताओं की दिवाली”. ऐसी मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन देवता पृथ्वी पर आते हैं और गंगा नदी में स्नान करते हैं. यह त्योहार भगवान शिव की त्रिपुरासुर पर विजय का भी जश्न मनाता है, जैसा कि हमने कार्तिक पूर्णिमा के संदर्भ में देखा था. यह दिन बुराई पर अच्छाई की जीत, अंधकार पर प्रकाश की विजय और ज्ञान के उत्सव का प्रतीक है.

वाराणसी में देव दिवाली का भव्य आयोजन | Grand Celebrations of Dev Diwali in Varanasi

अगर आपने कभी देव दिवाली वाराणसी में देखी है, तो आप जानते होंगे कि यह एक ऐसा अनुभव है जो जीवन भर याद रहता है.

1. लाखों दीयों से सजे घाट (Ghats Adorned with Millions of Diyas): शाम होते ही, वाराणसी के सभी घाट, दशाश्वमेध घाट से लेकर अस्सी घाट तक, लाखों मिट्टी के दीयों से जगमगा उठते हैं. गंगा नदी की शांत सतह पर इन दीयों का प्रतिबिंब एक जादुई दृश्य बनाता है, ऐसा लगता है मानो आकाश के तारे धरती पर उतर आए हों.

2. भव्य गंगा आरती (Grand Ganga Aarti): दशाश्वमेध घाट पर होने वाली गंगा आरती इस दिन और भी भव्य हो जाती है. कई पुजारी एक साथ, लयबद्ध मंत्रोच्चार और बड़े-बड़े दीयों के साथ, मां गंगा की स्तुति करते हैं. यह दृश्य बेहद आध्यात्मिक और मनमोहक होता है.

3. नौका विहार (Boat Rides): पर्यटक और भक्त नावों में बैठकर गंगा नदी से इस अद्भुत नज़ारे का आनंद लेते हैं. नदी से घाटों की रोशनी देखना एक अविस्मरणीय अनुभव होता है.

4. सांस्कृतिक कार्यक्रम और आतिशबाजी (Cultural Programs and Fireworks): पूरे शहर में सांस्कृतिक कार्यक्रम और आतिशबाजी का भी आयोजन होता है, जो उत्सव के माहौल को और भी जीवंत बना देता है.

देव दिवाली सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक और आध्यात्मिक अनुभव है जो हमें हमारी परंपराओं और विश्वासों से जोड़ता है. 5 नवंबर 2025 को, अगर आप वाराणसी में नहीं भी हैं, तो भी आप अपने घर में दीये जलाकर और गंगा मां का स्मरण करके इस पवित्र ऊर्जा का हिस्सा बन सकते हैं.

आध्यात्मिक संगम: 5 नवंबर 2025 क्यों है इतना खास? | The Spiritual Confluence: Why is November 5, 2025, So Special?

अब जब हमने इन तीनों त्योहारों को अलग-अलग समझा है, तो आइए बात करते हैं कि 5 नवंबर 2025 का यह दिन इतना अद्भुत क्यों है. यह सिर्फ कैलेंडर का एक संयोग नहीं है कि कार्तिक पूर्णिमा, गुरु नानक जयंती और देव दिवाली एक ही दिन पड़ रहे हैं; बल्कि यह एक गहरा आध्यात्मिक संदेश देता है.

इन तीनों त्योहारों में कुछ समान धागे हैं जो इन्हें एक साथ बुनते हैं:

* प्रकाश का महत्व (Importance of Light): कार्तिक पूर्णिमा पर दीपदान, गुरु नानक जयंती पर गुरुद्वारों की रोशनी और देव दिवाली पर लाखों दीये – ये सभी प्रकाश के महत्व को दर्शाते हैं. प्रकाश अज्ञान के अंधकार को मिटाकर ज्ञान, आशा और सकारात्मकता फैलाता है. यह हमें याद दिलाता है कि जीवन में हमेशा एक उम्मीद की किरण होती है.

* बुराई पर अच्छाई की जीत (Triumph of Good Over Evil): कार्तिक पूर्णिमा और देव दिवाली दोनों ही भगवान शिव की त्रिपुरासुर पर विजय का जश्न मनाते हैं. गुरु नानक देव जी ने भी अपने उपदेशों से सामाजिक बुराइयों और असमानता के खिलाफ आवाज उठाई. यह हमें सिखाता है कि हमें हमेशा धर्म और न्याय के मार्ग पर चलना चाहिए.

* शुद्धि और नवीनीकरण (Purity and Renewal): कार्तिक पूर्णिमा पर पवित्र स्नान और गुरु नानक जी के उपदेशों में मन की शुद्धि पर जोर – ये सभी हमें आंतरिक और बाहरी शुद्धि की ओर प्रेरित करते हैं. यह एक अवसर है अपने आप को फिर से जीवंत करने का, पुरानी आदतों को छोड़कर नई, सकारात्मक शुरुआत करने का.

* सामुदायिक सद्भाव (Community Harmony): गुरु नानक जयंती पर लंगर की परंपरा और देव दिवाली पर घाटों पर उमड़ती भीड़, हमें सामुदायिक भावना और सद्भाव का पाठ पढ़ाती है. यह दिन हमें याद दिलाता है कि हम सब एक हैं और हमें एक दूसरे का साथ देना चाहिए.

5 नवंबर 2025 को, जब ये तीनों त्योहार एक साथ आएंगे, तो यह ऊर्जा और भक्ति का एक अद्वितीय संगम होगा. यह हमें अपनी विविध सांस्कृतिक विरासत का जश्न मनाने और उन सार्वभौमिक मूल्यों को आत्मसात करने का अवसर देगा जो हमें एक साथ बांधते हैं. यह दिन हमें याद दिलाएगा कि आध्यात्मिकता किसी एक धर्म या अनुष्ठान तक सीमित नहीं है, बल्कि यह मानव आत्मा की पवित्रता, करुणा और ज्ञान की खोज है.

कैसे मनाएं और खुद को इस दिव्य ऊर्जा में लीन करें? | How to Celebrate and Immerse Yourself in This Divine Energy?

तो, 5 नवंबर 2025 को इस अनोखे ‘ट्रिपल सेलिब्रेशन’ का हिस्सा कैसे बनें? चाहे आप घर पर हों या किसी धार्मिक स्थल पर, आप इन तरीकों से इस दिन की पवित्रता और ऊर्जा को महसूस कर सकते हैं:

Kartik Purnima / Guru Nanak Jayanti / Dev Diwali (November 5, 2025)

1. सुबह का पवित्र स्नान (Morning Holy Dip): अगर संभव हो तो किसी पवित्र नदी या जलाशय में स्नान करें. अगर ऐसा संभव न हो, तो घर पर ही नहाते समय पवित्र नदियों का स्मरण करें और जल में गंगाजल की कुछ बूंदें मिलाएं. यह आपको आंतरिक शुद्धि का अनुभव देगा.

2. दीपदान और प्रकाश (Light Diyas and Illuminate): अपने घर में, विशेषकर शाम को, दीये जलाएं. बालकनी, आंगन या पूजा घर में दीयों की रोशनी करें. यह सिर्फ एक परंपरा नहीं, बल्कि अंधकार को दूर कर प्रकाश और सकारात्मकता को आमंत्रित करने का एक तरीका है. आप छोटे फ्लोटिंग दीये बनाकर किसी जल पात्र में भी छोड़ सकते हैं.

3. पूजा और अरदास (Puja and Ardas): अपने इष्टदेव की पूजा करें. भगवान शिव, भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी का स्मरण करें. गुरु नानक देव जी के उपदेशों को याद करते हुए ‘अरदास’ करें. पवित्र ग्रंथों का पाठ करें, भजन या कीर्तन सुनें.

4. दान-पुण्य और सेवा (Charity and Service): इस दिन दान करने का विशेष महत्व है. जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र या धन का दान करें. किसी गुरुद्वारे में लंगर सेवा में भाग लें या अपने आसपास किसी की मदद करें. निस्वार्थ सेवा ही सच्ची भक्ति है.

5. परिवार के साथ समय (Time with Family): इन त्योहारों को अपने परिवार के साथ मिलकर मनाएं. बच्चों को इन त्योहारों की कहानियां और महत्व बताएं. साथ मिलकर प्रसाद बनाएं और बांटें. यह हमारी परंपराओं को अगली पीढ़ी तक पहुंचाने का सबसे अच्छा तरीका है.

6. आध्यात्मिक चिंतन (Spiritual Reflection): इस दिन थोड़ा समय निकालकर आत्म-चिंतन करें. गुरु नानक जी के उपदेशों को पढ़ें, कार्तिक पूर्णिमा की कहानियों पर विचार करें. अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का संकल्प लें.

यह दिन हमें याद दिलाता है कि भले ही हमारे त्योहार अलग-अलग हों, लेकिन उनकी अंतर्निहित भावनाएं अक्सर एक जैसी होती हैं – प्रेम, करुणा, ज्ञान और एक बेहतर दुनिया के लिए आशा. 5 नवंबर 2025 को, आइए हम सब मिलकर इस अनूठी आध्यात्मिक ऊर्जा का सम्मान करें और इसे अपने जीवन में उतारें.

निष्कर्ष: एक साथ तीन पर्व, एक ही भावना | Conclusion: Three Festivals, One Spirit

तो देखा आपने, 5 नवंबर 2025 सिर्फ एक सामान्य तारीख नहीं है, बल्कि यह कार्तिक पूर्णिमा, गुरु नानक जयंती और देव दिवाली के एक अद्भुत, दिव्य संगम का साक्षी बनने वाला है. यह एक ऐसा दिन है जब भारत की आत्मा अपनी पूरी विविधता और एकता के साथ चमक उठेगी. Whether it’s the serene holy dips, the soul-stirring kirtans, or the breathtaking sight of a million lamps, this day promises to be a feast for the senses and the soul.

यह दिन हमें याद दिलाता है कि हमारा देश विभिन्न संस्कृतियों और विश्वासों का एक सुंदर गुलदस्ता है, जहां हर फूल अपनी सुगंध बिखेरता है, और साथ मिलकर एक अद्भुत सामंजस्य बनाता है. तो, इस 5 नवंबर 2025 को, अपने दिल के दरवाजे खोलें, इन त्योहारों की पवित्र ऊर्जा को अपने भीतर महसूस करें, और प्रेम, प्रकाश और सद्भाव के इस अद्वितीय संगम का हिस्सा बनें. Happy Kartik Purnima, Happy Guru Nanak Jayanti, and Happy Dev Diwali! May this triple celebration fill your life with immense joy and spiritual awakening.

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