kamada ekadashi 2024:भगवान विष्णु को समर्पित प्रत्येक एकादशी व्रत भक्तों को सुख समृद्धि एवं मुक्ति दिलाने वाला होता है। इनमे से चैत्र शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को कामदा एकादशी कहा जाता है। चैत्र नवरात्रि और राम नवमी के बाद आने वाली यह पहली एकादशी तिथि है।
kamada ekadashi 2024:कामदा एकादशी का व्रत कब किया जाएगा?
कामदा एकादशी व्रत – 19 अप्रैल 2024, शुक्रवार
एकादशी तिथि प्रारम्भ- 18 अप्रैल, 05:31 PM से
एकादशी तिथि समापन 19 अप्रैल, 08:04 PM तक
पारण समय 05:31 AM से 08:05 AM तक
जो जातक कामदा एकादशी का उपवास करते हैं, उनके जन्म जन्मांतर के पाप नष्ट हो जाते हैं। यहां तक कि इस व्रत से ब्रह्महत्या जैसा भयंकर पाप भी मिट जाता है।
kamada ekadashi 2024: कामदा एकादशी क्या है? जानें महत्व
जगतपालक भगवान विष्णु की उपासना से सदैव भक्तों की हर इच्छा पूर्ण होती है। अत्यंत दयालु श्री हरि अपने भक्तों से अतिशीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं। विशेष रूप से यदि एकादशी तिथि पर उनकी आराधना की जाए तो अक्षय पुण्य प्राप्त होता है। इनमें से कामदा एकादशी का महत्व सबसे अधिक है।
लेख के मुख्य बिंदु
• कामदा एकादशी क्या है?
• कामदा एकादशी का महत्व क्या है?
kamada ekadashi 2024: कामदा एकादशी क्या है?
चैत्र माह के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली कामदा एकादशी विष्णु उपासना के लिए श्रेष्ठ मानी गई है। श्री हरि को समर्पित इस एकादशी को जन्म जन्मांतर के पापों को नष्ट करने वाली और मोक्ष प्रदान करने वाली माना जाता है।
ऐसा कहा जाता है कि यदि कोई व्यक्ति पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ कामदा एकादशी का व्रत करता है, तो उसके सभी बुरे कर्मों का प्रभाव समाप्त हो जाता है, यहां तक कि ब्रह्म हत्या जैसा जघन्य अपराध भी नष्ट हो जाता है। साथ ही जीवन पर्यंत जातक के परिवार पर भगवान विष्णु का आशीर्वाद बना रहता है।
kamada ekadashi 2024: कामदा एकादशी का महत्व क्या है?
• हिंदू वर्ष की पहली एकादशी कामदा एकादशी है। समस्त एकादशी तिथियों की तरह ये एकादशी भी अत्यंत महत्वपूर्ण एवं समस्त मनोकामना पूर्ण करने वाली मानी जाती है।
• ऐसा कहा जाता है, कि यदि विधि-विधान से ये व्रत किया जाए तो ब्रह्म हत्या जैसा महापाप भी नष्ट हो जाता है, और राक्षस योनि से भी मुक्ति मिलती है।
• इसके अलावा जो दंपत्ति निः संतान हैं, और संतान प्राप्ति की इच्छा रखते हैं, यदि वे कामदा एकादशी का व्रत करते हैं, तो उन्हें उत्तम संतान की प्राप्ति होती है।
• जो दंपत्ति संतान का सुख प्राप्त कर चुके हैं, यदि वे आस्था पूर्वक कामदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की उपासना करते हैं, तो
उनकी संतान दीर्घायु होती है, साथ ही जीवन के हर क्षेत्र में विजय प्राप्त करती है।
• कामदा एकादशी के व्रत का पालन करने वाले जातक समस्त सांसारिक सुखों का उपभोग करने के पश्चात् मरणोपरांत भगवान विष्णु के निज धाम यानि वैकुंठधाम की प्राप्ति करते हैं।
• श्रृंगी ऋषि के आदेशानुसार ललिता नामक स्त्री ने विधि-विधान से कामदा एकादशी का व्रत रखकर उसका पुण्यफल अपने पति ललित को राक्षस योनि से मुक्त कराने के लिए दिया था।
तो ये थी कामदा एकादशी के महत्व से जुड़ी जानकारी। हमारी कामना है कि आपका ये व्रत सफल हो, आपकी आस्थापूर्ण उपासना से भगवान विष्णु प्रसन्न हों, एवं अपना आशीर्वाद सदैव आप पर बनाए रखें।
kamada ekadashi 2024:एकादशी पूजा सामग्री
सनातन व्रतों में विशेष एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा का विधान है। इस दिन संपूर्ण विधि और उचित सामग्री के साथ पूजा करना अत्यंत फलदायक होता है।
पूजा की सामग्री
• चौकी
• धूप
• पीला वस्त्र
• दीप
• गंगाजल
• हल्दी
• भगवान विष्णु की प्रतिमा
• कुमकुम
• गणेश जी की प्रतिमा
•चन्दन
• अक्षत
अगरबत्ती
• जल का पात्र
• तुलसीदल
• पुष्प
पञ्चामृत का सामान (दूध, घी, दही, शहद और मिश्री)
• माला
•मिष्ठान्न
• मौली या कलावा
• ऋतुफल
• जनेऊ
• घर में बनाया गया नैवेद्य
नोट – गणेश जी की प्रतिमा के स्थान पर आप एक सुपारी पर मौली लपेटकर इसे गणेशजी के रूप में पूजा में विराजित कर सकते हैं।
कामदा एकादशी व्रत की पूजा विधि
विजया एकादशी का दिन भगवान विष्णु के भक्तों के लिए विशेष होता है। यदि इस दिन संपूर्ण विधि विधान से भगवान विष्णु की भक्ति एवं पूजा-अर्चना की जाए तो कठिनतम लक्ष्य की प्राप्ति भी संभव हो जाती है।
कामदा एकादशी व्रत की पूजा की तैयारी
एकादशी के दिन व्रत करने वाले जातक दशमी तिथि की शाम में व्रत और पूजन का संकल्प लें।
• दशमी में रात्रि के भोजन के बाद से कुछ भी अन्न या एकादशी व्रत में निषेध चीजों का सेवन न करें।
• विजया एकादशी के दिन प्रातःकाल उठें, और किसी पेड़ की टहनी से दातुन करें।
• इसके बाद नित्यकर्मो से निवृत्त होकर स्नान करें। स्नान करते समय पानी में तिल और गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
• स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें। स्वयं को चन्दन का तिलक करें।
• अब भगवान सूर्यनारायण को अर्घ्य दें और नमस्कार करते हुए, आपके व्रत और पूजा को सफल बनाने की प्रार्थना करें।
• अब पूजा करने के लिए सभी पूजन सामग्री इकट्ठा करें और पूजा शुरू करें।
ऐसे करें पूजा
• सबसे पहले पूजा स्थल को साफ करके इस स्थान पर एक चौकी स्थापित करें, और इसे गंगाजल छिड़क कर पवित्र करें।
• इसके बाद चौकी पर एक पीला वस्त्र बिछाएं। इस चौकी के दायीं ओर एक दीप प्रज्वलित करें।
• चौकी के सामने एक साफ आसन बिछाकर बैठ जाएं। जलपात्र से अपने बाएं हाथ से दाएं हाथ में जल लेकर दोनों हाथों को शुद्ध
करें।
• अब चौकी पर अक्षत के कुछ दानें आसन के रूप में डालें और इस पर गणेश जी को विराजित करें।
इसके बाद चौकी पर भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर को स्थापित करें।
• अब स्नान के रूप में एक जलपात्र से पुष्प की सहायता से जल लेकर भगवान गणेश और विष्णु जी पर छिड़कें।
• भगवान गणेश को हल्दी-कुमकुम-अक्षत और चन्दन से तिलक करें।
• इसके बाद वस्त्र के रूप में उन्हें जनेऊ अर्पित करें। इसके बाद पुष्प अर्पित करके गणपति जी को नमस्कार करें।
• भगवान विष्णु को रोली-चन्दन का तिलक करें। कुमकुम, हल्दी और अक्षत भी चढ़ाएं।
• अब ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः मंत्र का जप करते हुए श्रीहरि को पुष्प, जनेऊ और माला अर्पित करें।
• भगवान विष्णु को पंचामृत में तुलसीदल डालकर अर्पित करें। (चूंकि भगवान विष्णु को तुलसी अतिप्रिय है इसीलिए भगवान के भोग में तुलसी को अवश्य शामिल करें। ध्यान दें गणेश जी को तुलसी अर्पित न करें)
• इसके बाद भोग में मिष्ठान्न, घर में बनाया भोग और ऋतुफल अर्पित करें।
• विष्णु सहस्त्रनाम या श्री हरि स्त्रोतम का पाठ करें, इसे आप श्री मंदिर के माध्यम से सुन भी सकते हैं।
• अंत में भगवान विष्णु की आरती करें।
द्वादशी के दिन ब्राह्मणों को भोजन करवाएं व क्षमता अनुसार दान-दक्षिणा दें। तत्पश्चात ही व्रत का पारण करें।
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