Jaya Ekadashi 2025 पर भगवान विष्णु का दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करें। जानिए इस Ekadashi Vrat ki Kahani, महत्व और Puja Vidhi। क्या यह व्रत Bhut-Pret Mukti दिलाता है? पढ़ें पूरी जानकारी!
इस लेख में हम जानेंगे कि माघ मास में भगवान विष्णु को समर्पित तिथि जया एकादशी कब है, और इस एकादशी पर व्रत का पालन करने वाले जातकों के लिए जया एकादशी व्रत के पारण का शुभ मुहूर्त कब होगा।
हिन्दू कैलेंडर के अनुसार माघ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को जया एकादशी के नाम से जाना जाता है।
हमारे धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख है कि जया एकादशी के दिन किये गए व्रत से जातकों को भगवान श्री हरि का असीम आशीर्वाद मिलता है। इस दिन किये गए व्रत को द्वादशी के दिन शुभ महूर्त में ही खोला जाना ही श्रेष्ठ होता है। इसी क्रम में चलिए जाने कि जया एकादशी के व्रत के पारण का समय क्या होगा?
Jaya Ekadashi 2025:जया एकादशी कब है?
जया एकादशी – 08 फरवरी 2025, बुधवार (माघ, शुक्ल पक्ष) को पड़ रही है।
• एकादशी तिथि प्रारम्भ 07 फरवरी, 2025 को 09:26 पी एम बजे तक
• एकादशी तिथि समाप्त 08 फरवरी, 2025 को 08:15 पी एम बजे तक
• 9वाँ फरवरी को, पारण (व्रत तोड़ने का) समय 06:37 ए एम से 08:51 ए एम
• पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय 07:25 पी एम
इस दिन के अन्य शुभ मुहूर्त
• ब्रह्म मुहूर्त- 04:55 ए एम से 05:46 ए एम
• प्रातः सन्ध्या 05:20 ए एम से 06:37 ए एम
• अभिजित मुहूर्त 11:50 ए एम से 12:35 पी एम
विजय मुहूर्त 02:04 पी एम से 02:49 पी एम
• गोधूलि मुहूर्त- 05:45 पी एम से 06:11 पी एम
• सायाहू सन्ध्या-05:47 पी एम से 07:04 पी एम
• अमृत काल- 09:31 ए एम से 11:05 ए एम
• निशिता मुहूर्त- 11:46 पी एम से 12:38 ए एम, फरवरी 09
• रवि योग- 06:37 ए एम से 06:07 पी एम
जया एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा की जाती है, और जो भक्त पूरे मन से इस दिन भगवान की पूजा अर्चना व ध्यान करते हैं, उन्हें मृत्यु के बाद भूत-पिशाच और अन्य शापित योनियों में जन्म लेने से मुक्ति मिलती है।
जया एकादशी(Jaya Ekadashi 2025): कथा और महत्व
जया एकादशी हिंदू धर्म में बहुत ही महत्वपूर्ण मानी जाती है। यह माघ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को आती है और इसके व्रत से समस्त पापों से मुक्ति मिलती है। यह विशेष रूप से भूत-प्रेत बाधा से रक्षा करने वाली मानी जाती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से व्यक्ति को मोक्ष प्राप्त होता है और जीवन के सभी दुख दूर हो जाते हैं।
जया एकादशी (Jaya Ekadashi 2025) की पौराणिक कथा
प्राचीन समय की बात है। स्वर्गलोक में देवराज इंद्र का राज था और वहां अप्सराएं, गंधर्व, देवता सभी सुखपूर्वक रहते थे। एक बार स्वर्ग में एक भव्य उत्सव का आयोजन किया गया, जिसमें गंधर्व समुदाय के सभी लोग संगीत और नृत्य प्रस्तुत कर रहे थे।
गंधर्वों में से एक, मालयवान नामक गंधर्व अपनी अप्सरा पुष्पवती के साथ वहां मौजूद था।
पुष्पवती बहुत ही सुंदर और आकर्षक थी। दोनों एक-दूसरे के प्रेम में इतने डूबे हुए थे कि वे संगीत और नृत्य में ध्यान केंद्रित नहीं कर सके। जब इंद्र ने देखा कि मालयवान पूरी तरह से खोया हुआ है और ठीक से गा नहीं पा रहा, तो उन्होंने क्रोधित होकर दोनों को शाप दे दिया।
इंद्रदेव बोले,
“तुम दोनों अपनी जिम्मेदारी निभाने में असफल रहे हो। इसलिए मैं तुम्हें श्राप देता हूं कि तुम मृत्युलोक में जाकर भूत-प्रेत योनि में जन्म लोगे और वहां कष्ट भोगोगे।”
शाप के प्रभाव से मालयवान और पुष्पवती धरती पर गिर गए और हिमालय के एक घने जंगल में जाकर रहने लगे। दोनों भूत योनि में आ चुके थे और अत्यंत दुखी थे। ठंड, भूख और अंधकार में उनका जीवन असहनीय हो गया।
इसी दौरान माघ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी का दिन आया। संयोगवश, उस दिन उन्होंने कोई अन्न ग्रहण नहीं किया और न ही किसी प्रकार का सांसारिक भोग भोगा। वे पूरी रात ठंड में कांपते हुए जागते रहे और मन ही मन अपने पूर्व जन्म के सुख को याद करते रहे।
सुबह होते ही, उनकी वह पीड़ा समाप्त हो गई। भगवान विष्णु के आशीर्वाद से वे अपने असली स्वरूप में लौट आए और स्वर्ग वापस चले गए। जब वे इंद्र के समक्ष पहुंचे, तो इंद्रदेव आश्चर्यचकित हो गए और उनसे पूछा कि उन्होंने यह मुक्ति कैसे प्राप्त की।
मालयवान ने उत्तर दिया,
“हे देवराज! हमने अनजाने में जया एकादशी का व्रत कर लिया, जिसके प्रभाव से हमें यह भयंकर कष्टमय योनि छोड़ने का अवसर मिला। यह व्रत अद्भुत और समस्त पापों को हरने वाला है।”
जया एकादशी (Jaya Ekadashi 2025)व्रत का महत्व
पापों से मुक्ति: इस व्रत को करने से व्यक्ति जाने-अनजाने में किए गए सभी पापों से मुक्त हो जाता है।
भूत-प्रेत बाधा से रक्षा: यदि किसी को कोई ऊपरी बाधा या नेगेटिव एनर्जी महसूस होती हो, तो यह व्रत करने से सभी नकारात्मक शक्तियां दूर हो जाती हैं।
मोक्ष की प्राप्ति: इस व्रत को करने से मृत्यु के बाद व्यक्ति को विष्णु लोक में स्थान मिलता है।
मानसिक शांति: यह व्रत व्यक्ति के मन को शांत करता है और उसे आध्यात्मिक सुख की ओर प्रेरित करता है।
जया एकादशी (Jaya Ekadashi 2025) व्रत विधि
व्रत का संकल्प: प्रातः स्नान करके भगवान विष्णु की पूजा करने का संकल्प लें।
भगवान विष्णु की पूजा: पीले वस्त्र पहनकर श्रीहरि को तुलसी, पीले फूल, फल, पंचामृत और मिठाई अर्पित करें।
एकादशी व्रत कथा का पाठ: जया एकादशी की कथा का श्रवण करें और दूसरों को भी सुनाएं।
भजन-कीर्तन: दिनभर हरि नाम संकीर्तन करें और भजन-कीर्तन करें।
रात्रि जागरण: इस दिन जागरण करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।
द्वादशी पर पारण: अगले दिन प्रातः स्नान करके ब्राह्मणों को भोजन कराएं और फिर स्वयं व्रत का पारण करें।
निष्कर्ष
जया एकादशी एक बहुत ही पुण्यदायी तिथि है, जिसका व्रत करने से व्यक्ति को इस लोक और परलोक में उत्तम फल प्राप्त होते हैं। यह व्रत न केवल भूत-प्रेत बाधा से मुक्ति दिलाने वाला है, बल्कि मोक्ष प्रदान करने वाला भी है। यदि कोई भी व्यक्ति अपने जीवन में सुख, शांति और पापों से मुक्ति चाहता है, तो उसे इस पावन एकादशी का व्रत अवश्य रखना चाहिए।
“ॐ नमो भगवते वासुदेवाय”
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