ekadashi kab hai एकादशी व्रत पर कैसे करें भगवान विष्णु को प्रसन्न

एकादशी (Ekadashi kab hai) भगवान विष्णु को समर्पित महत्वपूर्ण तिथि है, और इस दिन किये गए व्रत और पूजा से प्रसन्न होकर श्री हरि आपकी हर मनोकामना पूरी करते हैं। परन्तु कुछ भक्तगण ऐसे भी हैं जो कि व्रत करने में सक्षम नहीं है। इसीलिए आज के हमारे इस विशेष लेख में हम आपको बताने वाले हैं कि एकादशी पर जो भक्तजन व्रत का पालन नहीं कर पा रहे हैं, वे भगवान विष्णु को कैसे प्रसन्न करें –

ekadashi kab hai

सर्वप्रथम आसान पूजा करें (Ekadashi kab hai)

1. सर्वप्रथम प्रात जल्दी उठकर नित्यकर्मों से निवृत होकर स्नान करें। स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

2. इसके बाद सूर्यनारायण को शुद्ध जल से अर्घ्य दें और संकल्प लें कि ‘हे प्रभु! मैं इस पावन एकादशी व्रत का पालन करने में सक्षम नहीं हूँ, लेकिन इस शुभ दिन पूर्ण श्रद्धा से आपकी पूजा करने के लिए समर्पित हूँ।

3. इसके बाद अपने घर में देवस्थान पर पूजा की तैयारी शुरू करें।

4. पूजा स्थल और यहां विराजमान सभी देवी देवताओं की प्रतिमा और तस्वीर को साफ करें, और यहां गंगा जल की कुछ बूंदे छिड़के।

5. पूजा स्थल में उपस्थित सभी देवताओं पर गंगा जल छिड़क कर स्नान करवाएं।

6. अब पूजा घर में एक दीप जलाएं।

7. इसके बाद सभी देवी देवताओं को और भगवान विष्णु को हल्दी-कुमकुम चन्दन-अक्षत आदि से तिलक करें।

8. अब पूजा स्थल पर धूप-अगरबत्ती जलाएं और इसके पश्चात् भोग में कुछ तुलसी की पत्तियां रखकर इसे भगवान को अर्पित करें।

9. विष्णु मंत्र ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ का 11 बार या 108 बार जप करें।

10. इसके बाद भगवान विष्णु की आरती करें। मंत्र और आरती आप श्री मंदिर के माध्यम से भी सुन सकते हैं।

11. अब भगवान विष्णु सहित सभी देवी- देवताओं को प्रणाम करें। और आपकी मनोकामना की पूर्ति की प्रार्थना करते हुए इस पूजा को संपन्न करें।

2. मंदिर जरूर जाएं (Ekadashi kab hai)
अगर आप घर पर किसी भी प्रकार से पूजा करने में भी असमर्थ हैं तो आप निकटम विष्णु जी के मंदिर में जाकर भी उनका ध्यान कर सकते हैं। यदि संभव हो पाए तो आप एकादशी पर मंदिर में भोग और दक्षिणा अर्पित करें। इसमें आप श्री मंदिर पर उपलब्ध चढ़ावा सेवा का लाभ भी ले सकते हैं।

3. दान-पुण्य से मिलेगी हरिकृपा (Ekadashi kab hai)
इस दिन किसी जरूरतमंद को अपनी क्षमता के अनुसार अन्न दान या वस्त्रदान अवश्य करें। यह दान आप किसी व्यक्ति के साथ ही पशु को भी कर सकते हैं, क्योंकि दीनबंधु दीनानाथ कण कण में विद्यमान हैं। आप गौशाला जाकर गौ माता को भी चारा खिला सकते हैं। इसके अलावा आप अन्य पशुओं को भी खाना खिला सकते हैं। इस प्रकार दान-पुण्य करते हुए हरि नाम के जाप के साथ अपना दिन व्यतीत करें।

सावधान ! एकादशी पर रखें इन 6 बातों का विशेष ध्यान

दोस्तों! हिन्दू धर्म में एक वर्ष में आने वाली लगभग चौबीस एकादशी तिथियां होती हैं। हर एकादशी जितनी पुण्य फलदायक होती है, उतना ही इसे कठिनतम व्रतों में से एक माना जाता है। एकादशी के दिन जाने-अनजाने में की गई भूल-चूक से आपका व्रत और पूजन पूरी तरह से निष्फल हो सकता है, इसलिए हम आपको बताने जा रहे हैं ऐसी सावधानियों के बारे में जो आपको इस विशेष दिन पर बरतनी चाहिए।

ekadashi kab hai
ekadashi kab hai

1. प्रातः देर तक न सोएं (Ekadashi kab hai)
एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठें, सूर्योदय के काफी समय बाद तक न सोएं। एकादशी के दिन देर तक सोने से आपके घर में दरिद्रता का आगमन हो सकता है। इस दिन देर तक सोने से जो सफलता आप पाना चाहते हैं, उसमें आप पिछड़ सकते हैं। यदि किसी कारण से व्रत नहीं भी रख पा रहे हैं, तो भी जल्दी उठकर दैनिक कार्य शुरू करें।

उपाय : सुबह जल्दी उठें, स्नान करके सूर्यदेव को अर्घ्य दें।

2. चावल का सेवन न करें (Ekadashi kab hai)
एकादशी के दिन चावल के सेवन को खास रूप से वर्जित माना जाता है। यदि आप पूरे दिन का व्रत छोड़कर एकासना व्रत अर्थात एक समय भोजन करने वाला व्रत कर रहे हैं, तो ध्यान रहें, इसमें चावल या चावल से बनी कोई भी खाद्य वस्तु न हो। कई किंवदंतियां बताती हैं कि एकादशी पर चावल खाने से यह अति फलदायी व्रत निष्फल हो जाता है।

उपाय: दूध, फल, कंद, कुट्ट के आटे से बने खाद्य आप इस दिन खा सकते हैं।

3. तामसिक भोजन को त्यागें (Ekadashi kab hai)
एकादशी के पूरे दिन आप तामसिक भोजन जैसे कि लहसुन-प्याज आदि से बना मसालेदार खाना, मांस, मदिरा, रात का बचा जूठा भोजन आदि का सेवन न करें। ऐसा करने से आप इस व्रत और आपके द्वारा किये जा रहे पूजन-अनुष्ठान का पूरा लाभ नहीं प्राप्त कर पाएंगे। इस दिन तामसिक भोजन का सेवन आपकी पाचन क्रिया को भी प्रभावित कर सकता है, इसलिए इससे सावधान रहें। साथ ही कोशिश करें कि आपके घर में भी किसी अन्य सदस्य द्वारा मांस-मदिरा का सेवन न किया जाए।

उपाय: बिना लहसुन-प्याज से बना सादा शाकाहारी भोजन ग्रहण करें।

4. परनिंदा न करें (Ekadashi kab hai)

वैसे तो परनिंदा करना किसी पाप से कम नहीं है, और रोज ही आपको ऐसा करने से बचना चाहिए, लेकिन एकादशी के दिन यह कार्य भूलकर भी न करें। किसी का दिल न दुखाएं और झूठ न बोलें। भगवान विष्णु को दीनबंधु कहा जाता है, और वे हर कण में विद्यमान हैं। इसीलिए इस शुभ दिन पर कम बोलें लेकिन अच्छा ही बोलें।

उपाय: विचारों एवं वाणी पर संयम रखें। साथ ही इस दिन दान करें, यह कर्म आपको सीधे ईश्वर से जोड़ता है।

ekadashi kab hai

5. बाल और नाखून न काटें (Ekadashi kab hai)
एकादशी के दिन बाल नहीं कटवाएं और नाखून काटने से भी बचें। यह दोनों ही काम आपके घर में सुख-संपन्नता को बाधित करते हैं, और ऐसा करने से आपके घर में क्लेश हो सकता है। साथ ही आप अपने शरीर की स्वच्छता का ध्यान रखें, स्नान करें लेकिन बाल नहीं धोएं। यदि यह बाल और नाखून आपके भोग और भोजन में मिल जाए तो उसे दूषित कर सकते हैं।

उपाय : दशमी या द्वादशी पर पारण के बाद बाल कटवाएं या नाखून काटें।

6. एकादशी के दिन ब्रह्मचर्य न तोड़ें (Ekadashi kab hai)
एकादशी के दिन ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करें। इस व्रत के पालन में बहुत सावधानी बरतें। मन में कोई भी व्याभिचार नहीं आने दें। भगवान विष्णु बहुत दयालु हैं, लेकिन आपका यह कृत्य आपको भगवान विष्णु के कोप का भागी बना सकता है। इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करने से आपको इस व्रत का सम्पूर्ण लाभ तो मिलेगा ही, साथ ही आपके मन और विचार भी शुद्ध होंगे।

उपाय: इस दिन मंदिर जाएं और जितना संभव हो, प्रभुनाम का स्मरण करें।
तो यह थी वह सावधानियां और उपाय जिनका ध्यान आपको एकादशी पर रखना है, इसके अलावा कोई भूल-चूक हो जाए तो आप श्री हरि से क्षमा अवश्य मांगे।

एकादशी से मिलेंगे ये 5 लाभ

भगवान विष्णु के एकादशी व्रत की महिमा इतनी दिव्य है, कि इसके प्रभाव से मनुष्य जन्म-जन्मांतर के पापों से मुक्त हो जाता है। हमारी पौराणिक मान्यताएं भी कहती हैं कि एकादशी व्रत से अद्भुत पुण्यफल प्राप्त होता है। एकादशी का यह पावन व्रत आपके जीवन को और अधिक सार्थक बनाने में सहयोगी सिद्ध होगा। इसी विश्वास के साथ हम आपके लिए इस व्रत और पूजन से मिलने वाले 5 लाभों की जानकारी लेकर आए हैं।

पहला लाभ- कठिन लक्ष्य एवं कार्यों की सिद्धि
ये एकादशी व्रत एवं पूजन आपके सभी शुभ कार्यों एवं लक्ष्य की सिद्धि करेगा। इस व्रत के प्रभाव से आपके जीवन में सकारात्मकता का संचार होगा, जो आपके विचारों के साथ आपके कर्म को भी प्रभावित करेगा।

दूसरा लाभ- आर्थिक प्रगति एवं कर्ज से मुक्ति
इस एकादशी का व्रत और पूजन आर्थिक समृद्धि में भी सहायक है। यह आपके आय के साधन को स्थायी बनाने के साथ उसमें बढ़ोत्तरी देगा। अतः इस दिन विष्णु जी के साथ माता लक्ष्मी का पूजन अवश्य करें।

तीसरा लाभ- मानसिक शांति की प्राप्ति
इस एकादशी पर नारायण की भक्ति करने से आपको मानसिक सुख शांति के साथ ही परिवार में होने वाले वाद-विवादों से भी मुक्ति मिलेगी।

चौथा लाभ- पापकर्मों से मुक्ति
एकादशी तिथि के अधिदेवता भगवान विष्णु हैं। एकादशी पर उनकी पूजा अर्चना करने से आपको भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलेगा तथा उनकी कृपा से भूलवश किये गए पापों से भी मुक्ति मिलेगी।

पांचवा लाभ- मृत्यु के बाद मोक्ष प्राप्ति 
श्री हरि को समर्पित इस तिथि पर व्रत अनुष्ठान करने से आपको मृत्यु के बाद वैकुण्ठ धाम में स्थान प्राप्त होगा। इस व्रत का प्रभाव बहुत शक्तिशाली होता है, इसीलिए जब आप यह व्रत करेंगे, तो इसके फलस्वरूप आपको आपके कर्मों का पुण्य फल अवश्य प्राप्त होगा, जो आपको मोक्ष की ओर ले जाएगा।

तो यह थे एकादशी के व्रत से होने वाले लाभ, आशा है आपका एकादशी का यह व्रत अवश्य सफल होगा और आपको इस व्रत के सम्पूर्ण फल की प्राप्ति होगी। इस एकादशी पर की जाने वाली पूजा विधि और अन्य महत्वपूर्ण बातें जानने के लिए जुड़े रहिये “धार्मिक सुविचार” के साथ।

और पढ़ें ↘️

Click here buy Ekadashi kab hai book➡️

Follow me Facebook ➡️

6 thoughts on “ekadashi kab hai एकादशी व्रत पर कैसे करें भगवान विष्णु को प्रसन्न”

Leave a Comment