Dhanu Sankranti Puja 2025: Complete Vidhi & Significance | धनु संक्रांति पूजा विधि और महत्व

क्या आपने कभी उगते सूरज को देखकर महसूस किया है कि उसकी ऊर्जा आपके अंदर एक नई उम्मीद जगा रही है? बस यही एहसास, लेकिन हज़ार गुना ज़्यादा शक्तिशाली होकर, हमें धनु संक्रांति पर मिलता है। यह सिर्फ़ एक और त्योहार नहीं, बल्कि एक cosmic event है, एक खगोलीय घटना, जब ग्रहों के राजा, सूर्य देव, बृहस्पति की धनु राशि में प्रवेश करते हैं। सोचिए, जब ऊर्जा और ज्ञान का मिलन होता है, तो उसका प्रभाव कितना गहरा होगा!

Dhanu Sankranti Puja

यह वो समय है जब प्रकृति एक ठहराव लेती है, और हमें भी अपने अंदर झाँकने का एक मौका मिलता है। इसे ‘खरमास’ या ‘मलमास’ भी कहते हैं, एक ऐसा महीना जब कोई भी शुभ कार्य जैसे शादी-ब्याह नहीं होते। पर क्यों? क्या यह सच में एक ‘अशुभ’ महीना है? या फिर इसका कोई गहरा आध्यात्मिक रहस्य है? चलिए, आज हम इसी रहस्य से पर्दा उठाते हैं और धनु संक्रांति की पूजा के हर पहलू को बहुत ही सरल और सहज भाषा में समझते हैं। मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ, इस लेख के अंत तक, आप इस दिन के महत्व को एक नई दृष्टि से देखने लगेंगे।

Dhanu Sankranti 2025: Auspicious Date and Timings | धनु संक्रांति 2025: शुभ तिथि और मुहूर्त

सबसे पहले, सबसे ज़रूरी बात। अपने calendar में इस तारीख को mark कर लीजिए!

* धनु संक्रांति तिथि (Dhanu Sankranti Date): मंगलवार, 16 दिसंबर, 2025 (Tuesday, December 16, 2025)

* संक्रांति क्षण (Sankranti Moment): सुबह 09:42 AM

* पुण्य काल (Punya Kaal): सुबह 09:42 AM से शाम 03:45 PM तक

* महा पुण्य काल (Maha Punya Kaal): सुबह 09:42 AM से 11:30 AM तक

पुण्य काल और महा पुण्य काल वो समय होता है जब स्नान, दान, और पूजा-पाठ करने का सबसे ज़्यादा फल मिलता है। कोशिश करें कि इस दौरान आप आध्यात्मिक गतिविधियों में ज़्यादा से ज़्यादा समय बिताएं। यह वो golden window है जब ब्रह्मांड की सकारात्मक ऊर्जा अपने चरम पर होती है।

Why is Dhanu Sankranti So Important? | क्यों है धनु संक्रांति इतनी महत्वपूर्ण?

धनु संक्रांति सिर्फ़ सूर्य के राशि परिवर्तन का दिन नहीं है। यह ऊर्जा, अध्यात्म और आत्म-चिंतन का एक अनूठा संगम है। आइए इसके महत्व को कुछ points में समझते हैं:

Dhanu Sankranti Puja

1. The Start of Kharmas | खरमास का आरम्भ: जैसे ही सूर्य देव धनु राशि में प्रवेश करते हैं, खरमास या मलमास का महीना शुरू हो जाता है, जो मकर संक्रांति तक चलता है। ज्योतिष के अनुसार, जब सूर्य बृहस्पति की राशि (धनु या मीन) में होते हैं, तो उनकी गति थोड़ी धीमी हो जाती है और उनका प्रभाव कुछ कमज़ोर पड़ जाता है। इसीलिए इस एक महीने के लिए विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन जैसे मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है।

2. A Time for Spiritual Growth | आध्यात्मिक उन्नति का समय: खरमास को अशुभ नहीं, बल्कि आध्यात्मिक रूप से बहुत शक्तिशाली माना जाता है। जब बाहरी दुनिया के काम रुक जाते हैं, तो हमें अपने भीतर की यात्रा करने का अवसर मिलता है। यह महीना भजन-कीर्तन, मंत्र जाप, ध्यान और तीर्थ यात्रा के लिए सबसे उत्तम माना गया है। यह एक तरह का spiritual detox है।

3. Worship of Surya Dev and Lord Vishnu | सूर्य देव और भगवान विष्णु की पूजा: यह महीना विशेष रूप से सूर्य देव और भगवान विष्णु की उपासना के लिए समर्पित है। सूर्य हमें ऊर्जा, स्वास्थ्य और मान-सम्मान देते हैं, जबकि भगवान विष्णु पूरे ब्रह्मांड के पालनहार हैं। इस दौरान इनकी पूजा करने से जीवन में सुख, समृद्धि और शांति आती है।

4. Significance of Charity and Ancestor Worship | दान और पितृ तर्पण का महत्व: धनु संक्रांति के दिन किया गया दान अक्षय फल देता है। इस दिन गरीबों और ज़रूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, और धन का दान करना पितरों को शांति प्रदान करता है और पितृ दोष से भी मुक्ति दिला सकता है। इस दिन पितरों के लिए तर्पण करना भी बेहद शुभ माना जाता है।

The Complete Dhanu Sankranti Puja Vidhi | धनु संक्रांति की संपूर्ण और सरल पूजा विधि

आपको किसी बड़े पंडित की ज़रूरत नहीं है। आप घर पर ही पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ यह पूजा कर सकते हैं। बस इन सरल steps को follow करें:

#### Step 1: Preparation for the Puja | पूजा की तैयारी (सामग्री)

पूजा शुरू करने से पहले, ये चीज़ें इकट्ठा कर लें:

* तांबे का लोटा (Copper Kalash)

* गंगाजल (या साफ़ जल)

* रोली या कुमकुम, अक्षत (बिना टूटे चावल)

* लाल फूल (गुड़हल हो तो उत्तम)

* एक दीपक (घी या तिल के तेल का)

* धूप या अगरबत्ती

* गुड़, तिल या इनसे बनी मिठाई (जैसे तिल के लड्डू)

* फल (विशेषकर मौसमी फल)

* दान के लिए सामग्री (अनाज, कपड़े, पैसे – अपनी श्रद्धानुसार)

#### Step 2: Brahma Muhurta Snan | ब्रह्म मुहूर्त में स्नान

धनु संक्रांति के दिन सुबह सूर्योदय से पहले, यानी ब्रह्म मुहूर्त में उठना सबसे अच्छा होता है। यदि संभव हो तो किसी पवित्र नदी, जैसे गंगा, यमुना में स्नान करें। अगर यह मुमकिन नहीं है, तो घर पर ही नहाने के पानी में कुछ बूँदें गंगाजल की मिला लें और ‘गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती’ मंत्र का जाप करते हुए स्नान करें। यह शारीरिक और मानसिक शुद्धि के लिए ज़रूरी है।

#### Step 3: Offering Arghya to the Sun God | सूर्य देव को अर्घ्य देना

यह इस पूजा का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है।

1. साफ़ वस्त्र पहनें (लाल या नारंगी रंग के कपड़े पहनना शुभ होता है)।

2. तांबे के लोटे में शुद्ध जल भरें।

3. उसमें थोड़ा कुमकुम, अक्षत और एक लाल फूल डालें।

4. अब उगते हुए सूर्य की ओर मुख करके खड़े हो जाएं।

5. दोनों हाथों से लोटे को पकड़कर, धीरे-धीरे जल की धार सूर्य देव को अर्पित करें। जल की धार के बीच से सूर्य देव के दर्शन करने का प्रयास करें।

6. अर्घ्य देते समय इस मंत्र का जाप करें:

“ॐ घृणि सूर्याय नमः” (Om Ghrini Suryay Namah)

या फिर इस पौराणिक मंत्र का जाप करें:

“जपाकुसुम संकाशं काश्यपेयं महाद्युतिम्। तमोऽरिं सर्वपापघ्नं प्रणतोऽस्मि दिवाकरम्॥”

यह प्रक्रिया आपके अंदर सूर्य की सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है और आत्मविश्वास बढ़ाती है।

#### Step 4: Puja at Home | घर के मंदिर में पूजा

सूर्य को अर्घ्य देने के बाद, अपने घर के मंदिर में पूजा करें।

1. एक घी का दीपक और धूप जलाएं।

2. भगवान विष्णु, भगवान सूर्य और अपने इष्ट देव की मूर्तियों को प्रणाम करें।

3. उन्हें तिलक लगाएं, फूल और फल अर्पित करें।

4. इस दिन भगवान सत्यनारायण की कथा का पाठ करना या सुनना भी बहुत शुभ माना जाता है।

5. सूर्य चालीसा या आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें। इसका पाठ करने से जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं और शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।

6. अंत में आरती करें और भगवान से अपने परिवार की सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना करें।

#### Step 5: The Power of Donation | दान का संकल्प

पूजा के बाद, दान करना न भूलें। धनु संक्रांति पर दान का महत्व कई गुना बढ़ जाता है। आप अपनी क्षमता के अनुसार कुछ भी दान कर सकते हैं:

* अन्न दान: गेहूं, चावल, दालें।

* वस्त्र दान: गरीबों को गर्म कपड़े, कंबल।

* गुड़ और तिल का दान: यह सूर्य और शनि दोनों को प्रसन्न करता है।

* ब्राह्मण को भोजन: किसी ब्राह्मण को घर पर भोजन कराएं या सीधा (सूखा राशन) दान करें।

याद रखें, दान हमेशा निस्वार्थ भाव से और प्रसन्न मन से करना चाहिए। यह आपके कर्मों को शुद्ध करता है और पुण्य बढ़ाता है।

Do’s and Don’ts During Kharmas | खरमास में क्या करें और क्या न करें?

यह एक महीना आत्म-अनुशासन का है। कुछ नियमों का पालन करने से आपको इसका पूरा लाभ मिलेगा।

Dhanu Sankranti Puja

क्या करें (Do’s):

* नियमित पूजा-पाठ: प्रतिदिन सूर्य को अर्घ्य दें और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।

* मंत्र जाप: गायत्री मंत्र या महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना बेहद लाभकारी होता है।

* तीर्थ यात्रा: इस दौरान तीर्थ स्थानों की यात्रा करना बहुत पुण्यदायी माना जाता है।

* सेवा कार्य: गौशाला में सेवा करें, गरीबों की मदद करें।

* सात्विक भोजन: इस महीने हल्का और सात्विक भोजन ग्रहण करें। तामसिक भोजन (प्याज, लहसुन, मांस, मदिरा) से परहेज करें।

क्या न करें (Don’ts):

* मांगलिक कार्य: विवाह, सगाई, गृह प्रवेश, मुंडन संस्कार जैसे कोई भी शुभ कार्य न करें।

* नया काम या निवेश: कोई नया व्यापार शुरू करने या बड़ी खरीदारी (जैसे वाहन या घर) करने से बचें।

* नकारात्मक विचार: किसी की निंदा न करें, झूठ न बोलें और क्रोध से बचें। यह महीना मन को शांत रखने का है।

The Legend of Dhanu Sankranti | धनु संक्रांति से जुड़ी पौराणिक कथा

खरमास से जुड़ी एक बहुत ही रोचक कथा है। कहा जाता है कि एक बार सूर्य देव अपने सात घोड़ों वाले रथ पर ब्रह्मांड की परिक्रमा कर रहे थे। वे बिना रुके लगातार चलते रहते थे, जिससे उनके घोड़े बहुत थक गए और उन्हें प्यास लगने लगी। अपने घोड़ों की यह हालत देखकर सूर्य देव का मन द्रवित हो गया।

Dhanu Sankranti Puja

वे उन्हें एक तालाब के किनारे पानी पिलाने के लिए ले गए। लेकिन उन्हें यह भी याद था कि उनका कर्तव्य रुकना नहीं है, क्योंकि अगर वे रुक गए तो सृष्टि में सब कुछ थम जाएगा। तभी उन्हें तालाब के किनारे दो खर (गधे) दिखाई दिए। सूर्य देव ने अपने घोड़ों को आराम करने और पानी पीने के लिए रथ से खोल दिया और उनकी जगह उन दो गधों को अपने रथ में जोत लिया।

गधों की चाल घोड़ों की तुलना में बहुत धीमी थी, जिस वजह से इस एक महीने तक सूर्य देव के रथ की गति बहुत कम हो गई और पृथ्वी पर सूर्य का प्रकाश भी क्षीण हो गया। इसी एक महीने की अवधि को ‘खरमास’ कहा जाता है। मकर संक्रांति पर जब सूर्य देव वापस अपने घोड़ों को रथ में जोतते हैं, तो उनकी गति फिर से तेज हो जाती है और धरती पर ऊर्जा का संचार बढ़ जाता है।

यह कथा हमें सिखाती है कि कर्तव्य सर्वोपरि है, लेकिन विश्राम और आत्म-चिंतन भी उतना ही आवश्यक है।

A Final Thought | एक आखिरी विचार

धनु संक्रांति और खरमास का समय डरने या रुकने का नहीं, बल्कि खुद को recharge करने का है। यह एक मौका है कि हम भागदौड़ भरी ज़िंदगी से एक break लें और अपनी spiritual battery को charge करें। जब आप सूर्य को अर्घ्य देते हैं, तो आप सिर्फ़ एक ritual नहीं कर रहे होते, आप ब्रह्मांड की सबसे बड़ी ऊर्जा के स्रोत के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त कर रहे होते हैं।

इस धनु संक्रांति, आइए हम सब मिलकर इस दिव्य ऊर्जा का स्वागत करें। अपनी पूजा पूरी श्रद्धा से करें, दिल खोलकर दान करें और इस एक महीने का उपयोग अपने आत्मिक विकास के लिए करें। यकीन मानिए, जब मकर संक्रांति पर सूर्य देव पूरी ऊर्जा के साथ चमकेंगे, तो आपका जीवन भी एक नई चमक और सफलता से भर जाएगा।

आपको और आपके परिवार को धनु संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएं!

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