अयोध्या राम मंदिर से जुड़ी संपूर्ण जानकारी ऐसे हुई रामलला की पूजा प्राण प्रतिष्ठा

550 साल की प्रतीक्षा के बाद अंततः वो भाव विभोर कर देने वाला क्षण आ ही गया जब कौशल्या नंदन रामलला अयोध्या राम मंदिर के गर्भगृह में विराजमान हो गए हैं। राम लला की प्राण प्रतिष्ठा वैदिक मंत्रोच्चार के साथ संपन्न हो गई। इसी के साथ हर राम भक्त का दिल भावुक है, लेकिन मन में संतोष का भाव है।

अयोध्या राम मंदिर

अयोध्या राम मंदिर :-जानिए अनुष्ठान को ऐतिहासिक बनाने वाले कुछ विशेष क्षणों के बारे में

इस दौरान पीएम नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत उपस्थित रहे। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर देशभर के गणमान्य अतिथि भी मंदिर परिसर में उपस्थित रहे।

देश के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने मुख्य यजमान की भूमिका निभाई और पूरे विधि विधान के साथ प्राण प्रतिष्ठा के सभी अनुष्ठान किये। आपको बता दें कि प्राण प्रतिष्ठा से पहले प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने ग्यारह दिन का यम तप किया था, और प्राण प्रतिष्ठा पूर्ण होने के बाद चरणामृत लेकर अपने व्रत का पारण किया।

प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर मोदी जी हाथों में पूजा की सामग्री लेकर मंदिर के गर्भगृह तक पहुंचे। शुभ मूहर्त में प्रतिष्ठा संपन्न होने तक मोदी जी रामलला के गर्भगृह में रहे और पूजन अर्चन किया। इस दिव्य अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने भगवान के बाल स्वरूप की आरती की, और उन्हें दंडवत प्रणाम किया।

इस दौरान राम जन्मभूमि परिसर में मंगल ध्वनियां, रामधुन और भजन गुंजायमान रहे। प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम संपन्न होने के बाद मोदी जी ने सभी साधु संतो का अभिनंदन किया और उन्हें भेंट दी। इस दौरान साधु संतों ने भी गर्भ गृह में उपस्थित प्रधानमंत्री जी सहित अन्य अतिथियों को विशेष भेंट दी।

प्राण प्रतिष्ठा के दिन घर पर रहकर ही कैसे पूजा करें?

अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के दिन यदि आप भी इस ऐतिहासिक और दिव्य क्षण का हिस्सा बनना चाहते हैं तो ये ज़रूरी नहीं हैं, आप प्राण प्रतिष्ठा समारोह में उपस्थित रहें, बल्कि आप अपने घर से रामलला की उपासना कर सकते हैं।

पूजा सामग्री

भगवान श्रीराम की प्रतिमा, पूजा थाली, अक्षत, हल्दी, कुमकुम, चंदन, फूल, मालाएं, धूपबत्ती, घी, भोग, कपूर, दीपक आदि।

पूजा से पहले करें ये तैयारी

• रामलला के प्राण प्रतिष्ठा वाले दिन सबसे पहले अपने घर के मंदिर की सफाई करें। ध्यान रखें कि मंदिर में कोई भी फटी पुरानी तस्वीर न रहे।

• जिन मूर्तियों को स्नान करना संभव है जैसे धातु से बनी मूर्तियों को गंगाजल मिश्रित जल से स्नान कराएं। वहीं जो ऐसी मूर्तियां हैं जिन्हें पानी से स्नान नहीं कराया जा सकता, उन्हें साफ़ कपड़े से पोंछ लें।

• अगर आपके घर का मंदिर ईशान कोण पर स्थित है, तो इस स्थान को ठीक से साफ़ करके पूजा के लिए तैयार करें। पूजा स्थान को साफ़ करने के साथ ही स्वयं भी स्नान करें और साफ़ वस्त्र पहनें।

ऐसे करें पूजा 

• पूजा की सारी सामग्री को एक साफ़ जगह पर रखें और मंदिर में रामलला की मूर्ति को एक चौकी पर पीला वस्त्र बिछाकर स्थापित करें।

• सबसे पहले भगवान श्रीराम की मूर्ति का जलाभिषेक करें और पंचामृत से स्नान कराएं। इसके बाद पूजा आरम्भ करने से पहले हथेली में जल लेकर संकल्प करें।

• अब मूर्ति के सामने बैठ जाएं और आंखें बंद करके भगवान श्रीराम का ध्यान करें।

• इसके बाद प्रभु श्री राम को अक्षत, चंदन, कुमकुम और फूल अर्पित करें।

• पवित्र वातावरण बनाने के लिए घी का दीपक और अगरबत्ती जलाएं।

• अब भगवान को भोग अर्पित करें, और राम नाम का जप करें।

• अंत में रामलला की आरती करें, और पूजा में हुई किसी भी भूल के लिए क्षमा-याचना करें।

प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर करें ये विशेष अनुष्ठान

अयोध्या राम मंदिर :-रामलला को भोग में क्या अर्पित करें?

रामलला को भोग के रूप में आप फल या मिठाई अर्पित कर सकते हैं, साथ ही आप इस दिन आटे की पंजीरी, पंचामृत और खीर का भोग भी अवश्य लगाएं। फिर इस प्रसाद को घर के सभी लोगों में वितरित करें।

घर में कपूर व घी के दीपक जलाएं

प्राण प्रतिष्ठा वाले दिन कपूर जलाकर पूरे घर में इसका धुंआ करें। साथ ही शाम के समय घर में घी के दीपक जलाकर प्रभु श्री राम के आगमन का उत्सव मनायें।

ऐसा है रामलला का नया स्वरूप 

अयोध्या के राम मंदिर में रामलला के बहुप्रतीक्षित विग्रह का आगमन होने के बाद इसकी तस्वीरें लगातार सामने आ रही हैं। इसी बीच शुक्रवार को भगवान श्री राम की नई प्रतिमा की एक और तस्वीर जारी हुई, जिसमें उनके पूरे स्वरूप को देखा जा सकता है।

सामने आई तस्वीर में रामलला के बाल स्वरूप को फूलों की माला पहनाई गई है। भगवान श्रीराम का वर्ण श्याम है और उनका बालरूप भक्तों को मंत्रमुग्ध करने वाला है। हालांकि आंखों पर अभी भी पट्टी बांधी गई है, जिसे प्राण प्रतिष्ठा के समय खोला जायेगा।

आपको बता दें कि गुरुवार को रामलला के अचल विग्रह की कपड़े से ढंकी हुई तस्वीर जारी की गई थी। गुरुवार को ही रामलला की ढकी मूर्ति की पूजा की गई थी। इस अवसर पर पवित्र नदियों के जल से भगवान के अचल विग्रह, गर्भगृह स्थल और यज्ञमंडप का अभिषेक किया गया, इसके बाद राम मंदिर के गर्भगृह में रामलला का जलाधिवास व गंधाधिवास कराया गया।

क्या है ‘अधिवास अनुष्ठान’

अधिवास वह अनुष्ठान है, जिसमें मूर्ति को कुछ समय के लिये कई अलग-अलग सामग्रियों में रखा जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से विग्रह पर शिल्पकार के औजारों से आई चोट व अन्य दोष समाप्त हो जाते हैं। इसी कारण जलाधिवास के समय रामलला की अचल विग्रह को शास्त्र में वर्णित विधि से जल में रखा गया, फिर इसके बाद गंधाधिवास अनुष्ठान पूरा किया गया। इसमें भगवान के विग्रह पर सुगंधित द्रव्यों का लेप किया गया।

विग्रह स्थापना के समय लिया गया ‘प्रधान संकल्प’

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य अनिल मिश्रा ने मंत्रोच्चार के बीच रामलला के विग्रह की स्थापना के समय ‘प्रधान संकल्प’ किया। प्रधान संकल्प का उद्देश्य है कि भगवान राम की ‘प्रतिष्ठा’ मानवता एवं संपूर्ण राष्ट्र का कल्याण करने वाली हो।

मिली जानकारी के अनुसार, रामलला की मूर्ति को आसन पर विराजमान करने में चार घंटे से ज्यादा का समय लगा। मंत्रोच्चार और पूजन विधि के साथ भगवान राम के इस विग्रह को आसन पर स्थापित किया गया। इस अवसर पर रामलला के विग्रह का निमार्ण करने वाले मूर्तिकार योगीराज के साथ कई संत जन भी उपस्थित थे।

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