Ashadha Month 2024:हिन्दू पंचांग के अनुसार ‘आषाढ़’ वर्ष का चौथा मास है। ग्रेगोरियन कैलेंडर में ये जून व जुलाई का महीना होता है। इस महीने सूर्य देव, भगवान विष्णु व शिव जी की उपासना का विशेष महत्व है, साथ ही इसी मास में जगन्नाथ रथयात्रा जैसे प्रमुख पर्व मनाए जाते हैं।
लेख के प्रमुख बिंदु
• कब है आषाढ़ ‘उत्तर प्रारम्भ ?
• इस मास का नाम आषाढ़ कैसे पड़ा?
• आषाढ़ मास का धार्मिक महत्व क्या है?
• आषाढ़ मास में पड़ने वाले व्रत एवं पर्व
Ashadha Month 2024: कब है आषाढ़ ‘उत्तर प्रारम्भ ?
आषाढ़ मास प्रारंभ – 23 जून, 2024, रविवार
आषाढ़ मास समाप्त – 21 जुलाई, 2024 रविवार
Ashadha Month 2024: इस मास का नाम आषाढ़ कैसे पड़ा?
ज्योतिष के अनुसार, आषाढ़ मास के दौरान चंद्रमा पूर्वाषाढ़ा और उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में मौजूद होते हैं, इसलिए इस महीने को आषाढ़ नाम से जाना जाता है।
Ashadha Month 2024: आषाढ़ मास का धार्मिक महत्व क्या है?
हिंदू धर्म में आषाढ़ मास कई कारणों से महत्वपूर्ण माना जाता है।
• मान्यता है कि जो जातक आषाढ़ मास में भगवान शिव व भगवान विष्णु की श्रद्धा पूर्वक पूजा अर्चना करते हैं, उनके सफलता के रास्ते में आने वाली सभी रुकावटें दूर होती हैं, और असंख्य पुण्य प्राप्त होते हैं।
• आषाढ़ मास में पड़ने वाली योगिनी एकादशी से जुड़ी एक मान्यता के अनुसार कहा जाता है, कि जो भक्त इस दिन व्रत रखते हैं उन्हें 88 हजार ब्राह्मण और गायों को भोजन कराने के समान पुण्य प्राप्त होता है।
• आषाढ़ मास में देवशयनी एकादशी के दिन से भगवान चार महीने के लिए शयन के लिए चले जाते हैं, इस कारण इन चार महीनों के दौरान कोई भी मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं।
• स्कंद पुराण में वर्णन मिलता है कि आषाढ़ मास के दौरान एकभुक्त उपवास करना चाहिए। यानि केवल एक समय ही भोजन करना चाहिए। ऐसा करने से स्वास्थ्य लाभ होता है। इस मास में वर्षा ऋतु की शुरुआत होती है, जिसके कारण पाचन शक्ति कम्जोर हो जाती है, और अधिक भोजन की वजह से पेट से संबंधित परेशानियां हो सकती हैं।
• धार्मिक मान्यताओं के अनुसार आषाढ़ मास में संतों व ब्राह्मणों को खड़ाऊ, छाता, नमक व आंवले का दान करने से भगवान वामन प्रसन्न होते हैं, और जातक को धन संपन्नता का आशीर्वाद देते हैं। इसके अलावा इस महीने ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करने का भी विशेष महत्व है।
• आषाढ़ मास में भगवान सूर्य की उपासना का भी विधान है। इस महीने रविवार के दिन भोजन में नमक का प्रयोग नहीं करना चाहिए। जिन जातकों की कुंडली में सूर्य अशुभ है, उन्हें इस महीने किसी ब्राह्मण को लाल वस्त्र, गेहूं, लाल चंदन, गुड़ व तांब के बर्तन का दान करना चाहिए, इससे भगवान सूर्य प्रसन्न होते हैं।
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