आज हम जानेंगे कि भगवान विष्णु को समर्पित अपरा एकादशी व्रत के बारे मे। अन्य सभी एकादशी के समान ही यह एकादशी भी श्री हरि भक्तों के लिए बेहद खास मानी जाती है।
हिन्दू कैलेंडर के अनुसार ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को अपरा एकादशी के नाम से जाना जाता है।
अपरा एकादशी 2025 : तिथि, समय और शुभ मुहूर्त
एकादशी तिथि प्रारम्भ मई 23, 2025 को 01:12 ए एम बजे
एकादशी तिथि समाप्त मई 23, 2025 को 10:29 पी एम बजे
चलिए जानें अपरा एकादशी के शुभ मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त – 04:00 ए एम से 04:42 ए एम तक
प्रातः सन्ध्या – 04:21 ए एम से 05:23 ए एम तक
अभिजित मुहूर्त – 11:46 ए एम से 12:41 पी एम तक
विजय मुहूर्त – 02:31 पी एम से 03:26 पी एम तक
गोधूलि मुहूर्त – 07:04 पी एम से 07:24 पी एम तक
सायाह्न सन्ध्या – 07:05 पी एम से 08:07 पी एम तक
अमृत काल- 11:35 ए एम से 01:04 पी एम तक
निशिता मुहूर्त – 11:53 पी एम से 12:34 ए एम, तक (24 मई)
सर्वार्थ सिद्धि योग 04:02 पी एम से 05:22 ए एम, तक (24 मई)
अमृत सिद्धि योग – 04:02 पी एम से 05:22 ए एम, तक (24 मई)
भक्तों, एकादशी व्रत का पारण हरि वासर के दौरान नहीं करना चाहिए। व्रत खोलने से पहले हरि वासर समाप्त होने की प्रतीक्षा करनी चाहिए।
मान्यता है कि अपरा एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा की जाती है, और जो भक्त पूरे मन से इस दिन भगवान की पूजा अर्चना व ध्यान करते हैं, उन्हें मृत्यु के बाद भूत-पिशाच और अन्य शापित योनियों में जन्म लेने की पीड़ा से मुक्ति मिलती है।
हम आशा करते हैं आपका अपरा एकादशी का व्रत सफल बनें।
अपरा एकादशी का महत्व
दोस्तों ! आज हम बात करेंगे श्री नारायण को समर्पित अपरा एकादशी के बारे में। यह दिन विष्णु जी के भक्तों के लिए बेहद खास माना जाता है। भक्तजन इस पवित्र तिथि के अवसर पर विधि विधान से हरि की पूजा एवं व्रत करते हैं। इस एकादशी को भारत के कुछ हिस्सों में इसे अचला एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।
अपरा एकादशी क्या है?
सनातन धर्म में ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को अत्यंत महत्ता प्राप्त है। इसे अपरा एकादशी के नाम से जाना जाता है। हर एकादशी की तरह अपरा एकादशी को भी भगवान विष्णु की विशेष तिथि माना जाता है। इसीलिए इस दिन श्री हरि के भक्त पूरे समर्पण के साथ उनकी पूजा करते हैं।
अपरा एकादशी का महत्व क्या है?
हिन्दू धार्मिक शास्त्रों के अनुसार अपरा एकादशी के दिन अनजाने में हुई भूल चूक और पापों से मुक्ति पाने के लिए भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इस एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है और उसे जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति मिलती है। हिन्दू धर्म में किसी भी मनुष्य से जाने-अनजाने में हुए पापों से मुक्ति के लिए अपरा एकादशी का व्रत किया जाता है
एकादशी पूजा विधि
विजया एकादशी का दिन भगवान विष्णु के भक्तों के लिए विशेष होता है। यदि इस दिन संपूर्ण विधि विधान से भगवान विष्णु की भक्ति एवं पूजा-अर्चना की जाए तो कठिनतम लक्ष्य की प्राप्ति भी संभव हो जाती है।
पूजा विधि-
1. एकादशी का व्रत करने के लिए दशमी तिथि की शाम में व्रत और पूजा का संकल्प लिया जाता है।
2. एकादशी के दिन प्रातःकाल उठे, और किसी पेड़ की टहनी से दातुन करें, इसके बाद नित्यकर्मों से निवृत्त होकर स्नान करें।
3. स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें। स्वयं को चन्दन का तिलक अवश्य करें।
4. अब भगवान सूर्यनारायण को अर्घ्य दें और नमस्कार करते हुए, आपके व्रत और पूजा को सफल बनाने की प्रार्थना करें।
5. अब पूजा करने के लिए सभी सामग्री इकट्ठा करें और पूजा शुरू करें।
6. सबसे पहले पूजा स्थल पर एक चौकी स्थापित करें, और इसे गंगाजल छिड़क कर पवित्र करें।
7. इसके बाद चौकी पर एक पीला वस्त्र बिछाएं।
8. चौकी पर भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर को स्थापित करें। चौकी की दायीं तरफ एक दीपक जलाएं।
9. भगवान को रोली-चन्दन का तिलक करें। कुमकुम हल्दी और अक्षत भी चढ़ाएं।
10. अब ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः मंत्र का जप करते हुए श्रीहरि को पुष्प, जनेऊ और माला अर्पित करें।
11. भगवान विष्णु को पंचामृत में तुलसी दल डालकर अर्पित करें, भगवान विष्णु को तुलसी अतिप्रिय है इसीलिए भगवान के भोग में तुलसी को अवश्य शामिल करें।
12. भगवान को भोग में मिष्ठान्न और ऋतुफल अर्पित करें।
13. विष्णु सहस्त्रनाम या श्री हरि स्त्रोतम का पाठ करें, इसे आप श्री मंदिर के माध्यम से सुन भी सकते हैं।
14. अंत में भगवान विष्णु की आरती करें।
15. अब सभी लोगों में भगवान को चढ़ाया गया भोग प्रसाद के रूप में वितरित करें।
इस तरह आपकी एकादशी की पूजा संपन्न होगी। इस पूजा को करने से आपको भगवान विष्णु की कृपा निश्चित रूप से प्राप्त होगी।
तो यह थी अपरा एकादशी पर हमारी विशेष पेशकश, आशा है आपको यह जानकारी पसंद आएगी।
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