Radha Krishna: राधा – कृष्ण के प्रेम से जुड़ी निराली बाते

Radha Krishna: जब भी प्रेम की बात होती है, भगवान श्रीकृष्ण का नाम सबसे पहले आता है। श्रीकृष्ण को प्रेम और स्नेह का प्रतीक माना जाता है। आज भी प्रेम की मिसाल के तौर पर श्रीकृष्ण और राधा के प्रेम का उदाहरण सर्वोपरि होता है। लोग श्रीकृष्ण के नाम का जाप करते समय ‘राधे श्याम’ का उच्चारण करते हैं।

Radha Krishna

लेकिन जब भी राधारानी और श्रीकृष्ण के प्रेम की चर्चा होती है, तो मन में ये प्रश्न उठता है कि इस असीम प्रेम के बावजूद भी श्रीकृष्ण ने राधा से विवाह क्यों नहीं किया? चलिए ‘श्री मंदिर’ के इस लेख में जानते हैं-

कौन थीं भगवान श्री कृष्ण की प्रेयसी राधा ?

पद्म पुराण के अनुसार, राधा वृषभानु नाम के एक गोप की पुत्री थीं। कुछ मान्यताएं कहती हैं कि राधा का जन्म यमुना नदी के पास स्थित रावल गांव में हुआ था। बाद में उनके पिता बरसाना में आकर बस गए थे। हालांकि कुछ विद्वानों का मानना है कि राधा का जन्म बरसाना में ही हुआ था। आपको बता दें कि बरसाना में राधा जी को लाडली कहा जाता है। ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार, राधा जी कृष्ण से चार साल बड़ी थीं और उनकी मित्र थीं।

राधा जी से जुड़ी कई अन्य मान्यताएं भी हैं। ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार, राधा का विवाह रायाण नाम के पर से हुआ था, जो कि माता यशोदा के भाई थे। इस मान्यता के अनुसार रिश्ते में राधा कृष्ण की मामी लगती थीं। हालांकि किसी अन्य पुराण में राधा और मां यशोदा के भाई के इस संबंध के बारे में वर्णन नहीं मिलता।

राधा-कृष्ण Radha Krishna को प्रथम मिलन में ही हो गया था प्रेम

कहा जाता है कि जब श्रीकृष्ण आठ वर्ष थे, तब राधा से उनका प्रथम मिलन हुआ था, जो बारह वर्ष की थीं। प्रथम मिलन के समय ही दोनों को एक दूसरे से प्रेम हो गया। दोनों एक दूसरे से विवाह भी करना चाहते थे। लेकिन जब इन दोनों के प्रेम के बारे में राधा के कुटुंब को ज्ञात हुआ, तो उन्होंने अपनी पुत्री राधा को घर में कैद कर दिया। वे लोग राधा और कृष्ण के विवाह के विरुद्ध इस कारण थे क्योंकि राधा का विवाह संबंध किसी और व्यक्ति के साथ तय हो चुका था।

कहते हैं कि कान्हा ने राधा रानी से विवाह करने के लिए हठ किया तो माता यशोदा और नंदबाबा उन्हें ऋषि गर्ग के पास ले गए। ऋषि गर्ग ने भी कान्हा को बहुत समझाया। इसके बाद कान्हा कंसवध के लिए मथुरा चले गए, और वापस वृंदावन नहीं लौटे।

राधा-कृष्ण Radha Krishna का विवाह न होने के पीछे की मान्यताएं

पुराणों में राधा-कृष्ण Radha Krishna का विवाह न होने के कई कारण बताए गये हैं, जिनमें से एक कारण है महर्षि नारद का श्राप। रामचरित मानस के बालकांड में वर्णन मिलता है कि, माता लक्ष्मी के स्वयंवर में नारद मुनि भी भाग लेना चाहते थे, और उन्होंने श्री हरि के पास जाकर उन्हें विष्णु रूप देने का आग्रह किया। इस पर भगवान विष्णु ने नारद जी के साथ छल करते हुए उन्हें स्वयं का स्वरूप न देकर एक वानर का रूप दे दिया, जिसके कारण उस स्वयंवर में महर्षि नारद उपहास के पात्र बने।

खैर, जब नारद मुनि को अपने इस वानर रूप के बारे में ज्ञात हुआ तो बैकुंठ पहुंचे, और भगवान विष्णु को श्राप दिया कि उन्हें भी स्त्री वियोग सहन करना होगा। इस प्रसंग को लेकर मान्यताएं है कि महर्षि नारद के श्राप के कारण ही भगवान विष्णु को राम अवतार में माता सीता का वियोग सहन करना पड़ा और कृष्ण अवतार में राधा से उनका विवाह न हो सका।

एक मत यह भी है कि राधा ने ही श्रीकृष्ण से विवाह के लिए मना किया था। क्योंकि श्री कृष्ण के मथुरा जाने के बाद राजसी जीवन व्यतीत करने लगे, और राधा स्वयं को महलों के जीवन के लिए उपयुक्त नहीं मानती थीं। एक मान्यता के अनुसार ये भी कहा जाता है कि राधा को ज्ञात हो चुका था कि श्रीकृष्ण भगवान का अवतार हैं, जिसके पश्चात वे स्वयं को उनकी भक्त मानने लगी थीं।

श्रीकृष्ण राधा Radha Krishna को मानते थे अपना ही अस्तित्व

भगवान श्रीकृष्ण की सभी लीलाएं मनुष्यों के लिए कोई न कोई सीख अवश्य देती हैं। ऐसे में भगवान कृष्ण का राधा से विवाह न करना भी मनुष्यों को प्रेम की असली परिभाषा से परिचित कराना था। कहते हैं कि एक बार राधा ने कान्हा से पूछा कि वह उनसे विवाह क्यों नहीं करना चाहते। इस पर श्रीकृष्ण ने कहा कि कोई अपनी आत्मा से विवाह करता है क्या?

श्रीकृष्ण राधा को स्वयं से अलग नहीं बल्कि अपना ही अस्तित्व मानते थे। वे लोगों को ये संदेश देना चाहते थे कि प्रेम केवल एक भौतिक संबंध नहीं बल्कि आध्यात्मिक प्रकृति है। प्रेम और विवाह एक दूसरे से अलग नहीं है। इस प्रकार राधा से कृष्ण ने विवाह न करके भी अपनी विवाहित रानियों व पटरानियों से अधिक प्रेम किया। यही कारण है कि आज भी श्रीकृष्ण के नाम के साथ राधा का स्मरण स्वाभाविक है।

तो ये थे राधा-कृष्ण के प्रेम संबंध के बारे में कुछ रोचक प्रसंग।

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2 thoughts on “Radha Krishna: राधा – कृष्ण के प्रेम से जुड़ी निराली बाते”

    • aisa lagata hai ki kuchh bhram ya galataphahamee ho sakatee hai. agar kisee cheez kee vajah se aapako asuvidha huee ho to main maafee chaahata hoon. agar koee khaas baat hai jo aapakee apekshaon par kharee nahin utaree, to main use sambodhit karake aur cheezon ko spasht karane mein madad karake bahut khush hoon. krpaya vivaran saajha karane mein sankoch na karen, aur main aapakee sahaayata karane kee pooree koshish karoonga!
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