प्रदोष व्रत Pradosh Vrat भगवान शिव को समर्पित है। अगर आप भगवान शिव और माता पार्वती के आशीष से जीवन में सुख-समृद्धि पाने की कामना करते है और जीवन के उपरांत मोक्ष प्राप्त करना चाहते हैं, तो यह व्रत आपके लिए अत्यंत लाभकारी सिद्ध होगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर माह में शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत रखा जाता है।
चलिए जानते हैं, साल 2024 में भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष में प्रदोष व्रत Pradosh Vrat कब किया जाएगा-
प्रदोष व्रत Pradosh Vrat
• शनि प्रदोष व्रत- 31 अगस्त 2024, शनिवार (भाद्रपद, कृष्ण त्रयोदशी)
• त्रयोदशी तिथि का प्रारम्भः 31 अगस्त 2024, 02:25 AM से
•त्रयोदशी तिथि का समापनः 01 सितम्बर 2024, 03:40 AM तक
• प्रदोष काल पूजा का मुहूर्तः 31 अगस्त 2024 06:18 PM से 08:34 PM तक रहेगा।
• जिसकी कुल अवधि: 02 घण्टे 16 मिनट होगी।
प्रदोष व्रत Pradosh Vrat दिन के अन्य शुभ मुहूर्त
• ब्रह्म मुहूर्त 04:08 AM से 04:53 AM तक
• प्रातः सन्ध्या 04:30 AM से 05:38 AM तक
• अभिजित मुहूर्त 11:33 AM से 12:23 PM तक
• विजय मुहूर्त – 02:05 PM से 02:55 PM तक
• गोधूलि मुहूर्त – 06:18 PM से 06:40 PM तक
• सायाह सन्ध्या 06:18 PM से 07:26 PM तक
• अमृत काल 12:48 PM से 02:31 PM तक
• निशिता मुहूर्त-11:35 PM से 12:21 AM (01 सितम्बर) तक
तो यह थी प्रदोष व्रत के शुभ मुहूर्त और तिथि से जुड़ी पूरी जानकारी, हम आशा करते हैं कि आपका व्रत सफल हो।
प्रदोष व्रत Pradosh Vrat कथा
स्कंद पुराण में वर्णित एक कथा के अनुसार, पूर्वकाल में विक्रमनगर नामक एक नगरी में एक ब्राह्मण परिवार निवास करता था। उस परिवार के मुखिया की अचानक मृत्यु हो गई। ब्राह्मण की मृत्यु के पश्चात् ब्राह्मणी भिक्षा मांगकर अपने परिवार का पालन-पोषण करने लगी।
उसका एक बेटा था, जिसके साथ वह भिक्षा मांगने जाया करती थी और शाम में भिक्षा मांगकर वापिस लौट आती थी।
एक दिन जब वह शाम में भिक्षा लेकर लौट रही थी तो उसकी नज़र, नदी के किनारे एक नवयुवक पर पड़ी। जब वह उसके पास गई तो उसने देखा कि वह बालक घायल अवस्था में दर्द से कराह रहा था।
ब्राह्मणी को यह देखकर बहुत कष्ट हुआ और दया भाव के चलते, वह उस नवयुवक को घर ले आई। उस बालक का नाम धर्मगुप्त था जो कि विदर्भ का राजकुमार था, लेकिन ब्राह्मणी को इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी।
अपने बेटे की तरह ब्राह्मणी ने उसका पालन-पोषण किया और एक माँ की तरह पूरे स्नेह के साथ उसका ध्यान रखा। इसी तरह परिवार में तीनों का समय व्यतीत होने लगा। कुछ समय पश्चात ब्राह्मणी दोनों बालकों के साथ मंदिर गई, वहां उनकी भेंट
ऋषि शांडिल्य से हुई।
ऋषि शांडिल्य ने ब्राह्मणी को बताया कि जो बालक उन्हें मिला है, वह विदर्भ देश के राजकुमार है। उन्होंने आगे धर्मगुप्त के अतीत के बारे में बताते हुए कहा कि, शत्रुओं की सेना ने उसके राज्य पर आक्रमण कर दिया था और इस युद्ध में उसके पिताजी वीरगति को प्राप्त हो गए थे। उनकी माता जी भी शोक में स्वर्ग लोक सिधार गई। इसके बाद शत्रु सैनिकों ने धर्मगुप्त को राज्य से बाहर निकाल दिया।
राजकुमार धर्मगुप्त की यह दुखद कहानी सुनकर ब्राह्मणी बहुत उदास हुई। ऋषि शांडिल्य ने ब्राह्मणी के कष्टों को देखते हुए, उसे प्रदोष व्रत करने की सलाह दी। ऋषि की आज्ञा से दोनों बालकों ने भी अपनी मां के साथ शिव जी की आराधना और प्रदोष व्रत करना शुरू कर दिया।
कुछ दिन बाद दोनों बालक वन में घूम रहे थे, तभी उन्हें कुछ गंधर्व कन्याएं नजर आईं। ब्राह्मण बालक तो घर लौट आया किंतु राजकुमार धर्मगुप्त की ‘अंशुमती’ नाम की गंधर्व कन्या से बात होने लगी। गंधर्व कन्या और राजकुमार एक दूसरे पर मोहित हो गए। कन्या ने विवाह हेतु राजकुमार को अपने पिता से मिलने के लिए बुलाया।
दूसरे दिन जब वह पुनः गंधर्व कन्या से मिलने आया तो गंधर्व कन्या के पिता ने बताया कि वह विदर्भ देश का राजकुमार है। गंधर्वराज को भगवान शिव ने सपने में दर्शन देकर अपनी पुत्री का विवाह राजकुमार धर्मगुप्त से कराने की आज्ञा दी। भगवान की आज्ञा मानकर गंधर्वराज ने अपनी पुत्री का विवाह राजकुमार धर्मगुप्त से करवा दिया।
इसके बाद राजकुमार धर्मगुप्त ने गंधर्व सेना की सहायता से विदर्भ देश पर पुनः आधिपत्य प्राप्त किया। राजकुमार ने ब्राह्मणी के पुत्र को अपनी सेना का प्रधानमंत्री नियुक्त किया। इस प्रकार प्रदोष व्रत करने के फलस्वरूप अंततः उन तीनों लोगों के सभी कष्ट दूर हो गए।
कहा जाता है कि चार धाम की यात्रा पशुपति महादेव के दर्शन के बिना अधूरी मानी जाती है, लाखों भक्तों ने पशुपति महादेव के चरणों में भेंट अर्पित कर, महादेव का आशीर्वाद प्राप्त किया है, आप भी इस सेवा का लाभ लेकर महादेव का आशीर्वाद प्राप्त करें।
ऐसे ही व्रत, त्यौहार व अन्य धार्मिक जानकारियों के लिए जुड़े रहिए ‘धार्मिक सुविचार‘ के, साथ धन्यवाद
जिंदगी बदलने वाली कुछ बातें
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