वैकासी विसाकम् Vaikasi Visakam दक्षिण भारत में मनाया जाने वाला एक विशेष पर्व है, जोकि हर साल ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन भगवान मुरुगन की पूजा करने का विधान है। तमिल पंचांग में वर्णन मिलता है कि इसी दिन स्वामी मुरुगन यानी कार्तिकय का जन्म हुआ था। ऐसा माना जाता है कि इस दिन मुरुगन की उपासना करने से जातक को जीवन में सदैव विजय प्राप्त होती है, और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
वैकासी विसाकम Vaikasi Visakam तमिल मास वैकासी में विशकाम नक्षत्र में मनाया जाता है।
वैकासी तमिल कैलेण्डर में दूसरा सौर मास है, और विशकाम सत्ताईस नक्षत्रों में से सोलहवाँ नक्षत्र है, जो हर महीने कम से कम एक बार जरूर आता है।
आपको बता दें कि विशकाम नक्षत्र को हिन्दु कैलेण्डर में विशाखा नक्षत्र के नाम से जाना जाता है।
2025 में वैकासी विसाकम: 09 जून 2025, सोमवार
विशाकम नक्षत्र प्रारम्भः 08 जून, 2025 को 12:42 PM
विशाकम नक्षत्र समाप्तः 09 जून, 2025 को 03:31 PM
ॐ वैकासी विसाकम Vaikasi Visakam के दिन के शुभ मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त: 03:58 ए एम से 04:39 ए एम तक
प्रातः सन्ध्याः 04:19 ए एम से 05:19 ए एम तक
अभिजित मुहूर्तः 11:49 ए एम से 12:44 पी एम तक
विजय मुहूर्त: 02:35 पी एम से 03:31 पी एम तक
गोधूलि मुहूर्त: 07:12 पी एम से 07:32 पी एम तक
सायाह सन्ध्याः 07:13 पी एम से 08:14 पी एम तक
अमृत काल: 05:41 ए एम से 07:28 ए एम तक
निशिता मुहूर्तः 11:56 पी एम से 12:37 ए एम, 10 जून तक
सर्वार्थ सिद्धि योग: 03:31 पी एम से 05:19 ए एम, 10 जून तक
रवि योग: 03:31 पी एम से 05:19 ए एम, 10 जून तक
ब्रह्म मुहूर्त: 03:58 ए एम से 04:39 ए एम तक
प्रातः सन्ध्याः 04:19 ए एम से 05:19 ए एम तक
अभिजित मुहूर्त: 11:49 ए एम से 12:44 पी एम तक
विजय मुहूर्त: 02:35 पी एम से 03:31 पी एम तक
गोधूलि मुहूर्तः 07:12 पी एम से 07:32 पी एम तक
सायाह्न सन्ध्या: 07:13 पी एम से 08:14 पी एम तक
अमृत काल: 05:41 ए एम से 07:28 ए एम तक
निशिता मुहूर्तः 11:56 पी एम से 12:37 ए एम, 10 जून तक
सर्वार्थ सिद्धि योग: 03:31 पी एम से 05:19 ए एम, 10 जून तक
रवि योग: 03:31 पी एम से 05:19 ए एम, 10 जून तक
भगवान मुरुगन के जन्म से जुड़ी कथा
पौराणिक कथाओं में वर्णन मिलता है कि प्राचीन काल एक बार तारकासुर का आतंक बढ़ने के कारण तीनों लोक में हाहाकार मच गया। तब देवताओं ने इस आसुरी संकट मुक्ति पाने के लिए भगवान शिव की उपासना की। शिव जी ने देवताओं की उपासना से प्रसन्न होकर उन्हें वरदान दिया कि शीघ्र ही देवी पार्वती के गर्भ से कार्तिकय का जन्म होगा, जो देवताओं के सेनापति बनेंगे। इस तरह भगवान कार्तिकेय के नेतृत्व में देवताओं ने तारकासुर पर विजय प्राप्त की। तमिल पंचांग के अनुसार, जिस दिन स्वामी कार्तिकय का जन्म हुआ, उसी दिन वैकासी विसाकम का पर्व मनाया जाता है।
वैकासी विसाकम Vaikasi Visakam की पूजा विधि
वैकासी विसाकम् के दिन जातक ब्रह्म मुहूर्त में उठाकर अपने घर व पूजा स्थल की साफ-सफाई करें। इसके बाद गंगाजल मिश्रित पानी से स्नान-ध्यान कर व्रत संकल्प लें। अब भगवान भोलेनाथ, देवी पार्वती व भगवान कार्तिकय की विधि विधान से पूजा करें। इस पूजा में अपनी सामर्थ्य के अनुसार फल, फूल, धूप-दीप, अक्षत चंदन व दूर्वा अर्पित करें। इस तरह पूजा-आरती संपन्न करने के बाद व्रती जातक शाम के समय फलाहार करें।
पूजा के समय जातक ॐ श्रवण भव्याः नमः मंत्र का जाप करें। आपको बता दें कि स्वामी मुरुगन का अभिषेकम कच्चे दूध से किया जाता है।
तो ये थी वैकासी विसाकम् पर्व की विशेष जानकारी। हमारी कामना है कि आप सभी पर भगवान मुरुगन की कृपा बनी रहे।
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