तुलसी और उसकी महत्ता
तुलसी, जिसे हम अक्सर अपने घरों में पाते हैं, केवल एक पौधा नहीं है। यह हिंदू धर्म में एक पवित्र पौधा माना जाता है। भगवान श्री कृष्ण के अनुसार, तुलसी लक्ष्मी का अवतार है और यह भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है। कार्तिक मास में इसकी विशेष पूजा की जाती है। इसमें जल चढ़ाने और दीपक जलाने का महत्व है, जो न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि जीवन में सुख और समृद्धि लाने का भी माध्यम है।
सत्यभामा का प्रश्न
एक बार देवी सत्यभामा भगवान श्री कृष्ण के पास आईं और उनसे पूछा कि वे रोज तुलसी को जल क्यों देते हैं और देवी रुक्मिणी तुलसी के पास दीपक क्यों जलाती हैं। यह सुनकर भगवान श्री कृष्ण ने कहा कि यह अत्यंत महत्वपूर्ण प्रश्न है। उन्होंने बताया कि जो भी व्यक्ति तुलसी को जल देता है, उस पर उनकी कृपा सदैव बनी रहती है।
कथा का आरम्भ
भगवान श्री कृष्ण ने एक कथा सुनाई जो मध्य देश में एक वैश्य श्याम शर्मा के बारे में थी। श्याम शर्मा एक समृद्ध वैश्य था, लेकिन उसके पास संतान नहीं थी। इस कारण वह हमेशा दुखी रहता था। उसने संतान प्राप्ति के लिए कई उपाय किए, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली। अंततः, वह महामुनि वशिष्ठ जी से मिलने गया।
वशिष्ठ जी की सलाह
वशिष्ठ जी ने अपनी दिव्य दृष्टि से श्याम शर्मा का पूर्व जन्म देखा और उसे बताया कि पिछले जन्म में उसने एक गाय को दुखी किया था। गाय के श्राप के कारण उसे इस जन्म में संतान सुख नहीं मिल रहा था। श्याम शर्मा ने अपने पाप का प्रायश्चित करने के लिए उपाय पूछे। वशिष्ठ जी ने कहा कि उसे पुत्र यज्ञ करना होगा।
पुत्र यज्ञ की तैयारी
श्याम शर्मा ने वशिष्ठ जी के कहे अनुसार पुत्र यज्ञ की तैयारी की। उसने ऋषि-मुनियों को आमंत्रित किया और यज्ञ संपन्न किया। यज्ञ के बाद अग्निदेव प्रकट हुए और श्याम शर्मा को एक पुत्र का वरदान दिया, लेकिन उसकी आयु केवल 18 वर्ष की होगी।
पुत्र का जन्म और विवाह
कुछ समय बाद श्याम शर्मा की पत्नी गर्भवती हुई और एक सुंदर पुत्र का जन्म हुआ। जैसे-जैसे पुत्र बड़ा होने लगा, श्याम शर्मा और उसकी पत्नी ने उसके विवाह की तैयारी की। हालांकि, उन्हें पुत्र की कम आयु की चिंता थी।
सुभद्रा का पतिव्रता धर्म
श्याम शर्मा के पुत्र ने सुभद्रा नामक एक गुणवान कन्या से विवाह किया। सुभद्रा ने अपने पति के प्रति समर्पण दिखाया और किसी भी प्रकार की चिंता नहीं की। जब उनके पुत्र की मृत्यु का समय निकट आया, तो सुभद्रा ने भगवान से प्रार्थना की कि उसकी पति की रक्षा हो।
तुलसी का चमत्कार
सुभद्रा ने सुबह तुलसी को जल चढ़ाया और तुलसी माता से प्रार्थना की। उस दिन यमराज का दूत श्याम शर्मा के पुत्र की प्राण लेने आया, लेकिन तुलसी के पौधे ने उसे रोक दिया। तुलसी ने कहा कि सुभद्रा ने उसे चुनरी चढ़ाई है, इसलिए वह उसके पति के प्राणों की रक्षा कर रही है।
दीपक का महत्व
शाम को, सुभद्रा ने तुलसी के पास एक दीपक जलाया और उससे प्रार्थना की। यमराज के दूत फिर से आए, लेकिन दीपक ने उन्हें रोक दिया। दीपक ने कहा कि उसने सुभद्रा के पति के प्राणों की रक्षा की है। यमराज के दूत भयभीत होकर लौट गए।
जल का लोटा और गाय की मदद
सुभद्रा ने जल से भरा लोटा रखा और यमराज के दूतों को रोका। यमराज को अपनी आज्ञा का पालन करने में कठिनाई का सामना करना पड़ा। अंत में, यमराज स्वयं आए और सुभद्रा से मिले। सुभद्रा ने यमराज से कहा कि उन्होंने उसे सदा सुहागन रहने का आशीर्वाद दिया था।
यमराज का आशीर्वाद
यमराज ने सुभद्रा की समर्पण भावना को देखकर उसके पति के प्राण छोड़ दिए। उन्होंने यह भी कहा कि जो भी स्त्री अपने घर के सामने तुलसी का पौधा लगाती है, रोज शाम को तुलसी के पास दीपक जलाती है, उसके घर में मृत्यु का प्रवेश नहीं होता।
निष्कर्ष
इस प्रकार, भगवान श्री कृष्ण ने बताया कि तुलसी के पास दीपक जलाने और तुलसी को जल चढ़ाने से न केवल भक्ति की भावना प्रकट होती है, बल्कि यह जीवन में सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य भी लाता है। इसलिए, हमें अपने घरों में तुलसी का पौधा लगाना चाहिए और उसकी नियमित पूजा करनी चाहिए।